सोमवार, 9 सितंबर 2019

हास्य व्यंग कविता, उखाड़ लो घंटा

     नमस्कार, आपके लिए प्रस्तुत है मेरी तकरीबन दो महीने पहले लिखी एक हास्य व्यंग कविता जिसका शीर्षक है

उखाड़ लो घंटा

तुम कोशिश कर कर के मर जाओगे
ये देश नहीं बदलनेवाला
अपनी दकियानूसी सोच नहीं छोड़नेवाला
सब ने समझा समझा के खूब , गाड लिया झंडा
अब तुम भी , उखाड़ लो घंटा

हाथ पांव जोड़कर जो एक बार
विधायक , एमपी , मंत्री ये सब बन गया
वह पांच साल कुछ नहीं करेगा
खूब घोटाला और भ्रष्टाचार करेगा
अपने तिजोरी और जेब भरेगा
तुम्हारी नहीं सुनेगा
जो कर सकते हो कर लो , मार लो डंडा
अब तुम , उखाड़ लो घंटा

मजनू साहब बिक गए लैला को शैर कराने में
महंगे गिफ्ट दिलाने में
होटल पर पकवान खिलाने में
अब लैला किसी और मजनू संग फुर्र हो गई
और तुम पियो , पानी ठंडा
नहीं तो मजनू राजा , उखाड़ लो घंटा

काला धन वापस आएगा
महंगाई कम हो जाएगी
राशन सस्ता हो जाएगा
दाल सस्ती हो जाएगी
सब को रोजगार मिलेगा
पर जाने कब मिलेगा
और कुछ नहीं भी हो पाया तो
अपनी सरकार है , अपना है अंटा
और अब हमारा तुम , उखाड़ लो घंटा

     मेरी ये हास्य व्यंग कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

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