नमस्कार, मैने कल रात को एक नयी कविता लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख हाजिर कर रहा हूँ
चेतना के वेद मंत्र
चेतना के वेद मंत्र
चिंतन के प्रथम यंत्र
समस्या है भीड़ तंत्र
समाधान है लोकतंत्र
चेतना के वेद मंत्र
विरोध के लिए हो स्वतंत्रत
मत बनाओ विरोध के अधिकार को
संपूर्ण राष्ट्र के लिए षड्यंत्र
चेतना के वेद मंत्र
यहॉ कोई नही है महंत
हर आत्मा हो सकती है संत
दुर विकारों का होगा अंत
चेतना के वेद मंत्र
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इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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