मंगलवार, 24 सितंबर 2019

ग़ज़ल, तू मेरी मोहब्बत में टुटकर राई छाई होजा

     नमस्कार , आज सुबह ही मैने एक नयी गजल लिखी है जिसे मैं आज ही आपके दयार में नुमायाँ कर रहा हूं इस नयी गजल के लिए मुझे आपसे प्यार की उम्मीद है

आ तुझे दिल की तिजोरी में रखु तू मेरी मोहब्बत की पाई पाई होजा
मै चटकुं तेरी चाहत में तू मेरी मोहब्बत में टूटकर राई छाई होजा

पैरहन की खुबसुरत कलाकारी समझने लगें हमे दुनिया वाले
मैं तेरा रंग बिरंगा धागा हो जाउं तू मेरी सिलाई कढ़ाई होजा

तू रोशनी होकर तीरगि को सजाए मौत दे दे हाकिम मेरे
मै तेरे सच का घासलेट हो जाउं तू मेरी चिमनी सलाई होजा

मेरी जहालत को तेरी तालीम मिले तेरी जहालत को मेरी तालीम मिले
आ मै तेरा स्लेट बस्ता हो जाउं तू मेरी पढाई लिखाई होजा

मोहब्बत कोई लजीज पकवान की तरह स्वादिष्ट लगने लगे
मै तेरा राशन पानी हो जाउ तू मेरी खटाई मिठाई होजा

मकान की उखड़ी हुई छत मेरी गुरबत देखकर हंसती है
मै तेरा छूही माटी हो जाउं तू मेरी छपाई मुनाई होजा

तनहा घर के दरवाजे वही रहते हैं बस चिलमन बदलती रहती है
मै तेरा नेकी बदी हो जाउं तू मेरी अच्छाई बुराई होजा

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      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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