मंगलवार, 24 सितंबर 2019

कविता, तुम मुझसे भी बेहतर हो

      नमस्कार, आज कल देश में बाकी सब विषयों के अलाव एक विषय लैंगिक समानता है जिस पर बात हो रही है और इस विषय पर बात होनी भी चाहिए यह देश की आधी आजादी की बात है | और मुझे लगता है कि लैंगिक समानता की शुरुआत आप के अपने घर से होनी चाहिए , यहां मैं प्रमुखता से वैवाहिक जीवन में लैंगिक समानता की बात कहना चाहूंगा | लैंगिक समानता के बाधक तत्वों में हमारे समाज कि वो कई विचारधाराए आती हैं जो कहती हैं कि पत्नी तो पैर की जुती होती है या ये की औरतों का काम है बच्चों और परिवार को संभलकर रखना और इसी तरह की कई बातें | विवाह एक पारिवारिक जिम्मेदारी है जिसमें औरत एवं मर्द बराबर के हिस्सेदार हैं इसमें कोई कम या ज्यादा नही है |

      आसानी से और कम शब्दो में मै अपनी बात पुरी करना चाहुं तो यू कह सकता हूं कि अब यह समय है कि हर भारतीय पति को अपनी मर्जी से घर के रोजमर्रा के कामों में बढचढ कर अपनी पत्नी की मदद करनी चाहिए और आपको उनकी भावनाओ और विचारों का आदर एवं ख्याल रखना चाहिए | इसी विषय पर मैने मेरी एक छोटी सी कविता लिखी है जिसे मैं आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूं , कविता इस तरह से है कि

तुम मुझसे भी बेहतर हो

मै जो एक शब्द हूं तो
तुम पुरा एक अक्षर हो
                  तुम मेरे बराबर तो हो ही
                  तुम मुझसे भी बेहतर हो

मै तो दफ्तर से आकर
थककर आलस में आ जाता हूं
तुम जब दफ्तर से आती हो
मैं तुम पर ही चिल्लाता हूं
तुम पुरा दिन थककर भी
सब के लिए खाना बनाती हो
सब को खिला लेने के बाद
सबसे आखिर में तुम खाती हो
मैने कभी नहीं की है घर
के कामों में मदद तुम्हारी
मै मानता हूं ये है गलती हमारी

मैं हूं केवल पाता यहां का
तुम तो पुरा परिचय हो
                   तुम मेरे बराबर तो हो ही
                   तुम मुझसे भी बेहतर हो

न जाने कितना कुछ तुमने सहा है
ऐसा कोई प्यार नही
तुम पर हाथ उठाने का मेरा कोई
अधिकार नही है
पर ये पाप भी मैने किया है
तुम्हें लाखों कष्ट दिया है
पर फिर भी तुमने ये रिश्ता न तोड़ा
मुझे मेरे हाल पर ही अकेला न छोड़ा
तुमने मुझ पर एहसान किया है
मेरी सभी गलतीयों के लिए
माफ करदो तुम मुझे
बस यही दलील हमारी है
मेरी पत्नी होने का हर
फर्ज निभाया हैं तुमने
अब बारी हमारी है

मैं अगर कामयाबी की इमारत हूं तो
उसमें हर एक पत्थर तुम हो
                    तुम मेरे बराबर तो हो ही
                    तुम मुझसे भी बेहतर हो

      मेरी ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Trending Posts