रविवार, 29 मार्च 2020

कविता , क्योकि इनको शिर्फ तुम जानते हो

     नमस्कार , 8 मार्च विश्व महिला दिवस पर मैने एक कविता अपने सोसल मिडिया एकाउंट्स पर पोस्ट कि थी जिसे आप लोगों ने बहोत सराहा था अब इसे मैं यहां लिखने कि हिम्मत कर रहा हुं मुझे उम्मीद है कि आपको यह पसंद आएगी

क्योकि इनको शिर्फ तुम जानते हो

महिलाएं औरतें नारी स्त्री जनानीयां
जिस भी संबोधन से जानते हो इनको
सम्मान करो इनका
हो सके तो गुणगान करो इनका
बेटी बहू मां बहन
कि गाली मत दो
इनको इज्जत दो
शुक्रिया कहो मां को
तुम्हे बेटा कहने के लिए
शुक्रिया कहो बहन को
तुम्हे भाई कहने के लिए
शुक्रिया कहो बेटी को
तुम्हे पापा कहने के लिए
शुक्रिया कहो दादी नानी को
उनकी कहानीयों के लिए
शुक्रिया कहो चाचीयों मामीयों
और बुआओं मौसीयों को
उनसे कि हुई शैतानियों के लिए
शुक्रिया कहो सालियों भाभीयों को
उनसे कि हुई मनमानियों के लिए
सैकडो़ रिश्ते बनाए हैं इनसे
सैकडो़ रुप समाए हैं इनमें
इन्ही में दुर्गा सरस्वती हैं
और परीयां अप्सराए हैं इनमें
कह सको तो एक शुक्रिया कहो
अपनी धर्मपत्नी को
जिसने जीवनभर के लिए
अपना बनाया है तपमको
पिता कहलाने का शुख देकर
इतना जिम्मेदार बनाया है तुमको
आज एक शुक्रिया कहो इनको
तुम्हारे जीवन में इनके महत्व को
क्योकि इनको शिर्फ तुम जानते हो

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