शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

हजल, ज्यादा दिन थोड़ी हुए

   नमस्कार ,  हजल गजल का ही हास्यात्मक स्वरुप है |  कल सुबह एक हजल न्यू हुई के

हजल, ज्यादा दिन थोड़ी हुए


उस हसीना से आंख मिलाओ , ज्यादा दिन थोड़ी हुए
उसके भाइयों से मार खाए , ज्यादा दिन थोड़ी हूए

मेरी महबूबा बहुत कम खर्चीली है
उसे तीन लाख का शौपिंग कराएं , ज्यादा दिन थोड़ी हुए

नेताजी वापस आते ही चुनाव की तैयारियों में लग गए
तिहाड़ जेल से छुटकार आए , ज्यादा दिन थोड़ी हुए

एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन मुझसे बस एक बार मिलना चाहता है
मुझे उसका पर्श चुराए , ज्यादा दिन थोड़ी हूए

दुनिया को शुन्य मैं ने दिया है
अभी मुझे आगरा से भागकर आए , ज्यादा दिन थोड़ी हुए

       मेरी हजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता , गुरूओं को नमन

कविता , गुरूओं को नमन


    नमस्कार , आप सभी को गुरू पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ | एक इंसान के जीवन में जो स्थान इसके गुरू का होता है वह शायद ही किसी और का हो सकता है | गुरू ही वह शक्स हैं जो हमें सही ज्ञान देते हैं | हमे सही और गलत का भेद बताते है | हमारे शास्त्रों में कह गया है की गुरू का दर्जा भगवान से भी बड़ा होता है |

    गुरू पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर मैं आप के साथ मेरी लिखी एक कविता आपके साझा कर रहा हूं जिसे मैं ने आज ही लिखा है | मुझे उम्मीद है कि ये कविता आप को पसंद आयेगी -

गुरुजनों को नमन

गुरू से ही ज्ञान है
गुरु से ही विज्ञान
गुरु से ही शिष्य हैं
गुरु से ही शिक्षा
अज्ञानी मन को ज्ञानी बनाती
गुरुओ से मिली दीक्षा
ईश्वर से बड़ा पद गुरु का
सबसे ऊंचा रुतबा
गुरु से ही भाषा सीखी
गुरु से ही सीखे सत्य वचन
सभी गुरुजनों के चरणों में
शत शत नमन

       मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

कविता , लगेंगी सदियां नीरज को भुलाने में

    नमस्कार , कवि कुलगुरु महाकवि गीतकार गोपालदास नीरज का कल 19 जूलाई 2018 को एआईएमएस दिल्ली में 93 वर्ष की दीर्घ आयु में निधन हो गया | गोपालदास नीरज को युगकवि रामधारी सिंह दिनकर हिन्दी की वीणा कहते थे | हिन्दी कवि सम्मेलनो की गरिमा आभा गोपालदास नीरज ने अनेकों फिल्मो में सैकड़ों गीत लिखे जिसके लिए उन्हें तिन बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था | नीरज के कई कविता संग्रह प्रकाशित हैं , हिन्दी साहित्य में उनके योगदान के लिए हमारे देश के सर्वोच्च नागरीक सम्मानो में से पद्म भूषण , पद्म श्री एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यश भारती सम्मान से सम्मानित किया गया है | हिन्दी साहित्य हमेसा अपने इस महान रचनाकार की कमी महसूस करेगा |

कविता , लगेंगी सदियां नीरज को भुलाने में

    महाकवि गोपालदास नीरज को समर्पित करते हुए श्रद्धांजलि स्वरुप मैने एक कविता अपने इंस्टाग्राम के अकाउंट पर आज यानी 20 जूलाई को पोस्ट की है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं |

लगेंगी सदियां नीरज को भुलाने में

जब कहीं गीतों की कोई बात होगी
नीरज सबसे पहले आपकी याद होगी
नीरज एक कारवाँ गुजर गया
अब बस गुवार देखता रहेगा जमाना
आपको पढ़ता रहेगा जमाना
आपको याद करता रहेगा जमाना
क्योंकि इतने बदनाम हुए हैं इस जमाने में
लगेंगी सदियां नीरज को भुलाने में
उपर ही नहीं नीचे भी
ए भाई 

       मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

घनाक्षरी, कहां का मजनू कहां की लैला

नमस्कार , अक्षरों की सघनता का रूप घनाक्षरी होता है |  घनाक्षरीया भी विभिन्न भावों को  खुद में सहेज लेती हैं | हिंदी भाषा खुद में इतनी सक्षम है कि हर भाव , हर रस की रचनाएं , हर विधा की रचना है अत्यंत सरलतापूर्वक की जाती हैं | घनाक्षरी भी इसी तरह की एक विधा विधा है |

12 जुलाई 2018 को मैंने एक घनाक्षरी लिखी है | जिसे मैं आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं | आपके स्नेह की उम्मीद है |

घनाक्षरी, कहां का मजनू कहां की लैला

कहां का मजनू कहां की लैला

प्यार-व्यार की बातें करते
झूठे-झूठे वादे करते
कहां रह गई है अब सच्ची मोहब्बत
हर महबूबा का आंचल मैला
कहां का मजनू कहां की लैला

आज जो उसका आशिक है
कल वो उसका आशिक था
कल जो उसकी महबूबा थी
आज वो उसकी महबूबा है
अब दिल्लगी ही बाकी बची है
फालतू में इश्क-इश्क का शोर है फैला
कहां का मजनू कहां की लैला

वो मीठी-मीठी बातें याद आती हैं
वो ठंडी-ठंडी रातें याद आती हैं
क्लास बंक करके सारा-सारा दिन
वो कैंटीन वाली मुलाकातें याद आती हैं
तब शहद सा मीठा लगता था
नीम का रस कड़वा कसैला
कहां का मजनू कहां की लैला

       मेरी घनाक्षरी के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शुक्रवार, 13 जुलाई 2018

कविता , सब को हंसाने वाला हाथी चला गया

    नमस्कार , एक कवि एक अभिनेता और एक रचनाकार कवि कुमार आजाद जिन्हें हम सब तारक मेहता के उल्टा चश्मा में डाक्टर हाथी के नाम से जानते थे उनका 9 जुलाई को दिल का दौरा पड़ने से दुखद निधन हो गया | मैं दिवंगत आत्मा की शांति की इस संसार के पालक से प्रार्थना करता हूं |

     कवि कुमार आजाद को समर्पित करते हुए श्रद्धांजलि स्वरुप मैने एक कविता अपने इंस्टाग्राम के अकाउंट पर 10 जूलाई को पोस्ट की थी जिसे मैं आज आप को सुना रहा हूं |

सब को हंसाने वाला हाथी चला गया

कविता , सब को हंसाने वाला हाथी चला गया

सब को हंसाने वाला हाथी चला गया
पेशे से कवि और अदाकार था
हंसमुख और वजनदार था
एक सच्चा व्यक्ति
एक अच्छा कलाकार
तारक मेहता के उल्टा चश्मा में डाक्टर के किरदार को अमर बना गया
सब को हंसाने वाला हाथी चला गया
सब को हंसाने वाला हाथी चला गया

       मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता श्रीदेवी जी

    नमस्कार , ये कविता मैने श्रीदेवी के निधन की खबर सुनने के बाद 27 फरवरी को लिखी थी और मैने इसे अपने इंस्टाग्राम के अकाउंट पर पोस्ट किया था | आज बड़े दिन बाद मैने ये सोचा कि आप को भी ये छोटी सी रचना सुनाउ जिसे मैने भारतीय सिनेमा की एक कामयाब , मसहूर और लोगों के दिलो पर राज करने वाली अदाकारा के सम्मान में श्रद्धांजलि स्वरूप लिखा था |

कविता श्रीदेवी जी

श्रीदेवी जी

आप इस दुनिया में भी सितारा थी
आप उस दुनिया में भी सितारा होंगी
देवी जैसा आचरण था
देवी जैसा सत्कार मिले
मेरी यह बिनती है संसार के पालक से
इस पुण्य आत्मा को
शांति का उपहार मिले 

       मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

रविवार, 8 जुलाई 2018

तिन मुक्तक

     नमस्कार ,  मुक्तक चार लाइनों की एक  स्वतंत्र रचना होती है | जो अपने कहन में परिपूर्ण होती है |  मुक्तको मैं भाव की प्रधानता होती है | आमतौर पर मुक्तको में श्रृंगार रस का बोध होता है 
|
      आज जो मुक्तक मैं आपके साथ साझा करने जा रहा हूं  इन मुक्तकों को मैंने तकरीबन एक साल पहले लिखा है | उम्मीद करता हूं कि मेरे यह मुक्तक आपके मन को भाएंगे -

 तिन मुक्तक

                            (1)

तुझे जब खत लिखता हूं पता गुमनाम लिखता हूं
मैं अपने सर तेरे भी सभी इल्जाम लेता हूं
तेरी यादों का असर अब भी मुझ पर है
तेरा जब नाम लेता हूं मैं दिल को थाम लेता हूं

                            (2)

अनकहे  राज कहने आया हूं
मैं तुमसे प्यार करने आया हूं
जो तुमने अब तक माना ही नहीं
वो दिल की बात कहने आया हूं

                             (3)

खुद को छुपते छुपाते आया हूं
दुनिया की नजरों से बचाके लाया हूं
सिर्फ तुम्हारे लिए ही धड़कता है ये
दिल को तोहफे में सजा के लाया हूं

       मेरी मुक्तकों के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मंगलवार, 3 जुलाई 2018

कविता , बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

  नमस्कार ,  बड़ा दुख होता है यह सुनकर , जानकर कि बेटियों , बहनों पर होने वाले अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे बल्कि दिन पर दिन बढते ही जा रहे हैं | अपराध करने वालों में कानून का कोई डर नहीं है . तकरीबन 5000 बलात्कार की घटनाएं अकेले हमारे मध्य प्रदेश में हर साल होती है | अभी तकरीबन तीन चार महीने पहले  कश्मीर के कठुआ में एक 8 साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार हुआ था , उस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था | उस मासूम बच्ची के अपराधियों को अभी तक सजा भी नहीं मिल पाई थी कि आज से तकरीबन तिन चार दिन पहले मध्य प्रदेश के मंदसोर में एक सात साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार जैसा जघन्य अपराध हुआ | जब इस घटना के बारे में मैंने न्यूज़ चैनलों पर सुना तो इस घटना ने मुझे मन ही मन तोड़कर रख दिया |

   मन मे हजारों कोलाहल लिए मैं उन सभी बेटियों बच्चियों की आवाज बनना चाहता था जिनके साथ बलात्कार जैसा जघन्य निंदनीय और मानवता को शर्मसार करने वाला अपराध हुआ है | मेरी कोशिश में मैंने एक कविता लिखी है ,  जिसे मैं आज आपके साथ साझा कर रहा हूं | यदि मेरी यह कविता आपको अपने दिल की भी आवाज लगे तो मैं चाहूंगा की बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के खिलाफ आप इस कविता को अपने विरोध का स्वर बना ले -

कविता , बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

आज अपने दुखों की कहानी कहती है
हर गली मोहल्ले में वह डरती है
जब कोई नजर उसे घूरने लगे
मन ही मन वह घबराती है
अपने पर हुए अन्याय का न्याय चाहती है
बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

कभी दिल्ली , कभी कठुआ
कभी उन्नाव , कभी मंदसोर
कब तक चलेगा पाप का ये दौर
अब हममें और सहने की शक्ति नहीं है
पापियों को कानून का डर क्यों नहीं है
अपने जख्मो का हिसाब चाहती है
बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

कब होगा ऐसा मैं डरूंगी नहीं
कब होगा ऐसा मैं मरूंगी नहीं
कब होंगी हमारी सड़कें सुरक्षित
कब महसूस करूंगी मैं कानून से रक्षित
निर्भय जीने का विश्वास चाहती है
बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

मजाहिया शेरो शायरी,

   नमस्कार ,  शेरो शायरी सिर्फ संजीदा लहजे की ही नहीं होती बल्कि मजाहीया लहजे की भी होती है |  जो थोड़ा तंज करती है और  गुदगुदाती भी है |

मजाहिया शेरो शायरी,

कुछ मजाहिया शेर देखें के

मुसलसल तिन चार जाने चली गई तब जाकर पता चला
पागल खाने का डॉक्टर भी पागल ही था

आप की नहीं मेरे नसीब की चीज है
मेरी जेब से 10 का सिक्का जीरा है जिसे    मिले हो वो लौटा दे

किसी के आगे हाथ जोडा रहा हूं कहीं सजदा कर रहा हूं
उधारीया देकर अब यही कर रहा हूं

भूतों के मोहल्ले में हंगामा हो गया
एक भूत पर किसी इंसान का साया है

जब से उसे किसी इंसान ने काटा है इंसानो की तरह हरकत कर रहा है
सुना है पड़ोसी का वफादार कुत्ता गद्दार हो गया

एक स्मार्टफोन ने धमकाते हुए कॉलर नेटवर्क कोका
मुझे पुराना वाला टेलीफोन समझ रखा हे क्या

      मेरी मजाहिया शेरो शायरी के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

प्रतिगीत, बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम

      नमस्कार ,  हमारे देश की राजनीति के भी कई रंग है और नेताओं के भी कई रंग है | कोई चुनाव प्रचार के दौरान अपशब्दों का उपयोग करता है ,  तो कोई विवादित बयान देकर सुर्खियों में बने रहने की कोशिश करता है ,  कोई विरोधी पार्टियों के खिलाफ बयान बाजी करता है तो कोई अपनी ही पार्टी के खिलाफ साजिश होता है | हमारे देश के कई नेता मंत्री तो ऐसे हैं जो बद से हटने के बाद भी सरकारी सुविधाओं का लगातार लाभ उठाते रहते हैं और कोर्ट के आदेश के बाद भी मकान बंगले खाली नही करते |

        इसी विषय को आधार बनाते हुए मैंने प्रतिगीत लिखने की कोशिश की है | प्रतिगीत की मुख्य गीत भारती सिनेमा की फिल्मी गीत 'बहोत प्यार करते हैं तुमको सनम' की जमीन पर आधारित है | आपके मनोरंजन के लिए प्रतिगीत की प्रस्तुत है -

प्रतिगीत, बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम

बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम
कसम चाहे ले लो घोटालो की कसम
.
हारी है पार्टी चुनाव दोबारा
भूलेंगे कैसे हम ये नजारा
जितना फिर से चाहेंगे
जब तक हे दम
बहोत याद........

सरकारी मकान में मौजें हैं जीतनी
खाली करने के बाद दिक्कतें हैं उतनी
गाडी सरकारी ना
छोडेंगे हम
बहोत याद ........

बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम
कसम चाहे ले लो घोटालो की कसम

       मेरी प्रतिगीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

हरि के दोहे

      नमस्कार ,  हिंदी काव्य की एक ऐसी रचना जो लोकप्रिय है और हर किसी के जुबान पर चढ़ी रहती है उसे दोहा के नाम से जाना जाता है | दो चार दोहे अक्सर ही हर हिंदी भाषी व्यक्ति को मुंह जबानी याद होते हैं | फिर वह दोहे चाहे रहीम के हंो , तुलसी के हों या कबीर के हों |  चाहे जैसी भी परिस्थिति हो उसमें कोई ना कोई दोहा जरूर याद आता है | और दोहे कम शब्दों में बहुत बड़ी बड़ी सीखे दे देते हैं |

      दोहा लिखने के मैंने भी कुछ प्रयास किए हैं मेरे इन नगण्य प्रयासों को आज मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं |  आपके आशीष स्वरूप सराहना की उम्मीद है |

हरि के दोहे

                      हरि के दोहे

                            (1)

करिए सोच विचार के , बिगड़े कार्य बन जाए
पर इतना भी मत विचारीये , की चिंता हो जाए

                            (2)

भविष्य अपना विचारीये , जीवन सफल हो जाए
पर जरा संभाल के , वर्तमान न खोई जाए

                           (3)

अति भली न नाम की , अति भली ना दाम की
कहत कवि हरिराय , अति भली ना काम की

                           (4)

कैसे रहोगे खुश तुम , मां-बाप को रुलाए
जड़ जो काटी जाएगी , पेड़ जाए सुखाए

      मेरी दोहो के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

सोमवार, 2 जुलाई 2018

दो क्षणिकाएं

   नमस्कार ,  क्षणिकाएं हमेशा से ही क्षणिक घटनाक्रमों पर आधारित रही हैं |  इनका स्वभाव भी छोटा होता है |  क्षणिकाओ के पाठक को पढ़कर  बहुत क्षणिक आनंद की अनुभूति होती है , और यह आनंद हर क्षणिका के साथ बदल जाता है |

    यहां मैं आपके सामने एक दिन पहले मेरी लिखी कुछ क्षणिकाएं  सुनाने जा रहा हूं |  आपके प्यार की उम्मीद है -

दो क्षणिकाएं

1 )  सारे भक्त होंगे
दर्शन को तैयार
सावन में
खुलेंगे भोलेबाबा
के दरबार

2 )  बादल गरजेंगे
बिजली चमक के डराएगी
याद आ जाएगी
नानी
कपड़े सूख ना पाएंगे
दिन भर बरसेगा
पानी

      मेरी क्षणिकाओ के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शेरो शायरी

   नमस्कार , एक गजल का मतला और दो- तीन शेर देखें के -

जुल्म की हद से गुजरना चाहता है
दीया गहरे तूफान में जलना चाहता है

कल एक परिंदे ने कहा था मुझसे
सुकून से जीना है उसे इसलिए मरना चाहता है

मेरा हालात मेरे अशार बदलने नहीं देता
वो है के मेरा मयार बदलने नहीं देता

बहुत पहले ही मुक्तसर हो जाती मेरे हयात की कहानी लेकिन
वो है कि मेरा किरदार बदलने नहीं देता

दो तिन शेर और देखें के

इतने सितम सहकर तो पत्थर भी उफ कह देता
मेरा दिल है कि दिलदार बदलने नहीं देता

इश्क ने पेचीदा बना दिया है मुझे
नहीं तो पहले आसान था मैं

मुसलसल इस शहर में खौफ का मौसम है
एक सुकून का लम्हा यहां से गुजारना चाहता है

गजल का मख्ता देखने के

'तनहा' है के मिट जाने को तैयार ही नहीं
वो एक तूफान है के सब कुछ मिटाना चाहता है

      मेरी शेरों शायरी के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

कविता , अब चांद को चमकने नही दिया जायेगा

      नमस्कार ,  राजनीति के समीकरण हमेशा बदलते रहते हैं राजनेताओं के मायने भी हमेशा बदलते रहते हैं | नेता चुनाव में किए वादे ऐसे भुला देते हैं जिस तरह से सूखी रेत को हवा उड़ा ले जाती है |  जब चुनाव नजदीक हो तो राजनीति के गलियारों का माहौल गरमाया रहता है |

        राजनीतिक गलियारों कैसे गर्मी पर आधारित मैंने एक कविता लिखी है | यह कविता मैंने आज से तकरीबन 10 ,15 दिन पहले लिखी है जिसे मैं आज आपके साथ साझा कर रहा हूं -

कविता , अब चांद को चमकने नही दिया जायेगा

अब चांद को चमकने नहीं दिया जाएगा

खबर ये है कि कल रात में
बादलों ने झुंड बनाया है
अब चांद को चमकने नहीं दिया जाएगा
चाहत की रोशनी का विरोध किया जाएगा
विरोध पूरी रणनीति बनाकर किया जाएगा

पहले तारों को चांद के खिलाफ
भड़काया जाएगा
फिर चांद की नाकामियों का
बखान किया जाएगा
बहलाया जाएगा , फूसलाया जाएगा
तोड़ा जाएगा , खरीदा जाएगा

चाहे कुछ भी करना पड़े
दुश्मनों के गले ही क्यों ना लगना पड़े
हर मुमकिन से मुमकिन तक
नामुमकिन से नामुमकिन तक
सब कुछ आजमा कर देखा जाएगा
खबर ये है कि कल रात में
बादलों ने झुंड बनाया है
अब चांद को चमकने नहीं दिया जाएगा

      मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

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