शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

ग़ज़ल, मेरे मन में प्यार का दीया जलाया तुनने

नमस्कार , 19 जनवरी 2017 को मैने इस गजल को लिखने का ख्याल किया था और दूसरी सुबह तक मैं ने लिख लिया | कुछ और कहने से पहले में आपको याद दिलाना चाहूंगा के इस महीने में मै अपनी पुरानी रचनाओ को आपके साथ साझा कर रहा हूं | मुझे उम्मीद है कि मेरी ये रचनाएं आपको आनंदित करेंगी | गजल देखे के

ग़ज़ल, मेरे मन में प्यार का दीया जलाया तुनने

मेरे मन में प्यार का दीया जलाया तुमने
प्यार करना सिखा दीवाना बनाया तुमने

मेरा कातिल कोई और नहीं तुम ही हो
बेवफा जीते जी एक लाश बनाया तुमने

मेरी बर्बादी का तमाशा देख जाना कभी
कैसे किसी खेत को बंजर बनाया तुमने एक

बस इतना बता दो मुझे ओ कातिल
मेरे लिखे खतो को किस तरह जलाया तुमने

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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