शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

English Poetry ,One Remembrance

      Good Evening,  few days ago I was wrote a poetry and now I'm sharing with you hope you like it 

One Remembrance


One Remembrance

First Entry in my Collage Gate 

I was Feeling Like all set 

When i was just sixteen 

When i was just wondering 

About my up coming collage life 

At the one moment i thought 

Can this will same like movies 

At another moment i thought 

No , it will just Like Remontic Noble series 

But , but , but in reality there was nothing like movies 

My dream came broken after entering collage Gate 

     How is poetry please let me know , comment your thought and please share also | Good Evening |



बुधवार, 28 अप्रैल 2021

कविता , सफरनामा है ज़िन्दगी

       नमन मंच  🙏 विषय - ज़िन्दगी विधा - कविता दिनांक - 23/4/2021 को मैने एक कविता की रचना की जिसे मैं आपके साथ साझा करना चाहूंगा | 

सफरनामा है ज़िन्दगी 


पहले रोने से लेकर 

अंतिम सांस तक का 

सफरनामा है ज़िन्दगी 


जिल्द पर माता पिता का 

दिया नाम लिखा है 

पहले पेज पर भूमिका में 

परिचय तमाम लिखा है 


दूसरे पन्ने पर हासिल की गई डिग्रीयां लिखी है 

अगले पन्ने पर महबूबा कि चिट्ठीयां लिखी है 


ये जो एक सादा पन्ना है 

वो टूटा हुआ सपना है 

एक भरे हुए पन्ने पर तमाम उम्र कमाई दौलत का हिसाब लिखा है 


अभी कुछ और पन्ने जोड़ने है सफरनामे में 

अरे याद आया कविता के चक्कर में नाड़ा डालना रह गया पैजामे  में 


अभी सफरनामे का लेखन कार्य बाकी है 

जब तक ये ज़िन्दगी है 

     मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


सोमवार, 26 अप्रैल 2021

Poetry , Let's Celebrate the hope

     Good Evening,  few days ago I was wrote a poetry and now I'm sharing with you hope you like it 

Let's Celebrate the hope 


Hope pandemic will end one day 

Hope let's remove our masks ,

We will say one day 

Hope no breaking news will come for death numbers 

No one cry for help 

Not be isolate myself 

Today I have no reason for celebration 

but I have a Vaccine called smile today

but I have a great hope 

Let's Celebrate the hope 

    How is poetry please let me know , comment your thought and please share also | Good Evening |

ग़ज़ल , सत्य के बीना कहीं गुजारा नही है

     नमस्कार , कल मैने एक नयी ग़ज़ल लिखी है जिसे आपसे साझा कर रहा हूँ आशा है कि आपको मेरी ये नही ग़ज़ल पसंद आएगी |

सच के बीना कहीं गुजारा नही है 

तुमने ये सच जहन में उतारा नही है 


साजिशन अफ़वाह उड़ाई जा रही है 

तुम्हारा प्रधान इतना नाकारा नही है 


जिसे दोस्त समझ बैठे हो प्रधान मेरे 

वो अमेरिका दोस्त तुम्हारा नही है 


वसुधैव कुटुम्बकंम अब बहुत होगया 

ये पुरी वसुधा परिवार हमारा नही है 


नेकी का हासिल है ये दर्द का समंदर 

जिसमें लहरें तो हैं किनारा नही है 


मदद का हाथ अब मुफ्त मे मत दो 

यहां सब स्वार्थी हैं कोई विचारा नही है 


तमाम रात भर चमकता तो है सच है 

मगर ये जुगनू है यार मेरे सितारा नही है 


सियासत न करो लाशों पर हुक्मरानों 

तनहा तुम्हीं हो कोई और सहारा नही है 

   मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


कविता , धन का भजन

      नमस्कार  🙏साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता हिन्दी_काव्य_कोश में विषय - धन पर विधा - कविता में दिनांक - 23/4/2021 को रचना भेजी , रचना तो हार गई तो मैने सोचा के आपके साथ साझा किया जाए |

धन का भजन 


धन का भजन लगे बड़ा निराला 

जैसे हो कोई शहद का प्याला 


धन का सूरज बड़ा ही काला 

न दे पाता जीवन को उजाला 


धन तो केवल साधन है साधना नही 

धन तो केवल प्राप्य है अराधना नही 


धन मोहक तो है मोहन नही 

धन प्रिय तो है मगर प्रीतम नही 


धन धारण हो धारणा नही 

धन भोजन हो भावना नही 


धन सम्पति हो संतति नही 

धन समाधान हो विपत्ति नही 


धन का प्रयोग हो पालन नही 

धन का सम्मान हो शासन नही 


धन विचार हो आचार नही 

धन सक्षम हो लाचार नही 

    मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

मुक्तक , नवरात्रि

     नमस्कार 🙏आपको श्री राम नवमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ | विषय - नवरात्रि पर विधा - मुक्तक में दिनांक - 17/4/2021 दिन - शनिवार को साहित्य बोध के फेसबुक पटल पर मैने ये मुक्तक लिखा था जिसे पटल के द्वारा सम्मानित किया गया है | आप भी रचना पढ़े व बताएं की कैसी रही | 

रचना - 


अपनी शक्ति सब को फिर दिखाओ मां 

अपने भक्तों को इस संकट से बचाओ मां 

कोरोनारुपी असुर पाप लेकर आया है 

इस असुर का भी सर्वनाश करने आओ मां 

    मेरा ये मुक्तक आपको कैसा लगा मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

रविवार, 11 अप्रैल 2021

दो मुक्तक , फिर वही बात

     नमस्कार , काव्य कलश पत्रिका परिवार के साप्ताहिक प्रतियोगिता आयोजन शब्द सुगंध क्रमांक -40 में विषय-फिर वही बात में विधा-मुक्तक में दिनांक-19/02/2021 , दिन-शुक्रवार को मैने अपने लिखे दो मुक्तक प्रतियोगिता में सम्मिलित किए थे जिन्हें प्रतियोगिता के संपादकों के द्वारा सम्मानित किया गया है 

रचना-


ये सभी नखरे आज कर रही है

चल ना इशारे ये रात कर रही है

मैं कह तो रहा हूँ हां मोहब्बत है

यार तू फिर वही बात कर रही है


वो थोडा़ बहुत घबराई है

फिर तब जरा सा शर्माई है

क्या अदाकारी है रुठने की

फिर वही बात नजरआई है

     मेरे ये मुक्तक आपको कैसे लगे मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

बुधवार, 7 अप्रैल 2021

ग़ज़ल , मेरे गम , मेरे जख्म या मेरी दवा चाहते हो

        नमस्कार , मेरी ये ग़ज़ल जिसका विषय मोहब्बत है विधा ग़ज़ल है  मेरी ये रचना संगम सवेरा के मासिक ई पत्रिका मे प्रकाशित हुई है | पर उसमें एक शेर जो पांचवें क्रमांक का पर है प्रकाशित नही की गई है | आप इस पुरी ग़ज़ल को पढ़ीए और अपनी राय दीजिए | 

मेरे गम , मेरे जख्म  या  मेरी दवा चाहते हो 

एक बार बता तो दो  की तुम क्या चाहते हो 


अब इनके चहचहाने पर भी तुम्हें एतराज है 

तो क्या तुम परिन्दों तक को बेजुबा चाहते हो 


अब हर कोई तुम्हारी मोहब्बत की दुहाई देता है 

सुना  है  के  तुम  मुझे  बेइंतिहा  चाहते  हो 


मुसलसल  मन्नतें  करते हो  आजकल  तुम 

तुम  क्या  मुझे  ही  हर  मर्तबा  चाहते  हो 


फासले भी घटने नही देते नजदीकीयां भी बढ़ने नही देते 

क्या तुम जुलम भी मुझपर तयशुदा चाहते हो 


एक बस तुम्हारा दिल ही तनहा नही है तनहा 

किसी  को  तो  तुम भी  बेपनाह  चाहते हो 

       मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

Trending Posts