नमस्कार , मैने ये दो छोटी छोटी कविताएं जिन्हें मुक्तक काव्य भी कहा जाता है 28 मई 2017 को लिखी थी आज मै इन्हें आप के सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं | आशा है मेरे प्रयास को आपसे सराहना मिलेगी |
(1) - नटखट नंदलाला है -
माखन का चोर वो
गोकुल का ग्वाला है
बंसी का वादक वो
जिसका भोला रूप निराला है
राधा जिसकी दीवानी
वह नटखट नंदलाला है
माखन का चोर वो
गोकुल का ग्वाला है
गोकुल का ग्वाला है
बंसी का वादक वो
जिसका भोला रूप निराला है
राधा जिसकी दीवानी
वह नटखट नंदलाला है
माखन का चोर वो
गोकुल का ग्वाला है
(2) - नन्हा कान्हा है -
मैंने माखन नहीं खाया मां
एक झूठ जिसे सब ने माना है
यह जो नटखट बालक है
थोड़ा सा जाना पहचाना है
राधिका का दीवाना
मां यशोदा का नन्हा कान्हा है
मां यशोदा का नन्हा कान्हा है
एक झूठ जिसे सब ने माना है
यह जो नटखट बालक है
थोड़ा सा जाना पहचाना है
राधिका का दीवाना
मां यशोदा का नन्हा कान्हा है
मां यशोदा का नन्हा कान्हा है
मेरी मुक्तक काव्य के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
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