हिन्दी
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पंक्ति :-
एक सीधी रेखा में शब्दों का समुह एक लाइन या पंक्ति कहलाता है | और कई पंक्तियां मिलकर किसी वाक्य या पैराग्राफ का निर्माण करती हैं |
कविता :-
यू तो कविता की कई परिभाषाएं हैं मगर सरल रुप में कहें तो कई पंक्तियों का एक ऐसा समुह जो या तो छंदबद्ध या छंदमुक्त जो किसी भाव को व्यक्त करता हो कविता कहलाती है
कविता भी दो प्रकार की होती है
1. छंदबद्ध कविता
ऐसी कविता जिसमें वर्ण एवं मात्राओं का प्रयोग एक तय अनुपात में किया गया हो छंदबद्ध कविता कहलाती है | कुछ छंद जैसे दोहा , चौपाई , कुण्डलीया , रोला आदि में कविताएं बहुतायत में लिखी जाती हैं |
2. छंदमुक्त कविता
ऐसी कविताएं लिनके लेखन में किसी तरह के छंद का या मात्राबंधन का प्रयोग न किया जाए छंदमुक्त कविता कहलाती है |
गीत :-
प्रतिगीत :-
किसी लोकप्रिय गीत का व्यंग्यात्मक रुपांतरण प्रतिगीत कहलाता है |
नवगीत :-
विभिन्न एवं अनूठे प्रतीकों के साथ लिखे गए गीत को नवगीत कहते हैं |
लोकगीत :-
जैसा की नाम से ही प्रतीत हो रहा है गांवों की संस्कृति से सराबोर जो गीत गाएं जाते हैं उन्हें ही आमतौर पर लोकगीत कहा जाता है |
गाना :-
भजन :-
देवी देयताओं की स्तुतियों में गाए जाने वाले गीत ही भजन कहे जाते हैं | लोकगीतों में भी भजन बहुत बड़ी मात्रा में गाए जाते हैं |
कुण्डलियॉ छंद :-
मुक्त छंद :-
दोहा छंद :-
गीतिका छंद :-
चौपाई छंद :-
घनाक्षरी छंद :-
रुबाई छंद :-
मुक्तक :-
किसी ग़ज़ल की पहली चार लाइनों कों मुक्तक कहा जाता है | इसे ही तराना या तरन्नुम भी कहा जाता है | रुबाई भी इसी तरह का छंद है |
क्षणिकाएँ :-
हाईकु :-
तेवरी :-
हिन्दुस्तानी
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वजन :-
मात्राओं की संख्या को वजन कहा जाता है | आपने अक्सर ये सुना होगा शेर में वजन है |
मिसरा :-
किसी शेर की पहली पंक्ति को मिसरा या जुमला कहा जाता है |
बहर :-
किसी ग़ज़ल की कहन या उसका लवों लुआब उसका बहर कहलाता है |
शेर :-
दो मिसरों को मिलाकर एक शेर बनता है | किसी शेर में उसके वजन का भी बहुत योगदान होता है |
तराना / तरन्नुम / मुक्तक :-
किसी ग़ज़ल की पहली चार लाइनों कों मुक्तक कहा जाता है | इसे ही तराना या तरन्नुम भी कहा जाता है | रुबाई भी इसी तरह का छंद है |
मिसरा-ए-सार :-
किसी शेर के पहले यानी के उपर वाले मिसरें को मिसरा-ए-सार कहा जाता है |
मिसरा-ए-सानी :-
किसी शेर के दूसरे यानी के नीचे वाले मिसरें को मिसरा-ए-सानी कहा जाता है |
मतला :-
किसी ग़ज़ल के पहले शेर को मतला कहा जाता है |
मख्ता :-
किसी ग़ज़ल के अंतिम शेर को मख्ता कहा जाता है |
रदीफ :-
किसी ग़ज़ल के सभी शेरों में आने वाला वह शब्द जो सब ने एक समान रुप से उपस्थित रहता है रदीफ कहा जाता है |
कफिया :-
किसी ग़ज़ल के सभी शेरों में उपस्थित वो शब्द जो हर शेर में बदलता रहता है मगर उसका उच्चारण अपने अगले या पिछले शब्द से मिलता हुआ प्रतीत होता है कफिया कहलाता है | जैसे जान , आसमान , मकान आदी |
ग़ज़ल :-
पांच या उससे अधिक शेरों का एक ऐसा समुह जिसमें एक या दो मतले का शेर एवं एक मख्ते का शेर मौजूद हो ग़ज़ल कही जाती है |
नज्म :-
हिन्दुस्तानी या उर्दू में लिखी कविता को ही आमतौर पर नज्म कहा जाता है | नज्म भी तुकबंदी या बीना तुकबंदी के हो सकती है |
कव्वाली :-
हज़ल :-
किसी लोकप्रिय एवं मसहूर ग़ज़ल का व्यंग्यात्मक एवं हास्य रस में रुपांतरण हज़ल कहलाता है |
शायरी :-
दो या चार पंक्तियों की तुकबंदी शायरी कहलाती है |
मजाहिया शायरी :-
दो या चार पंक्तियों की हास्य रस में तुकबंदी मजाहिया या मजाकिया शायरी कहलाती है |
पंक्ति :-
एक सीधी रेखा में शब्दों का समुह एक लाइन या पंक्ति कहलाता है | और कई पंक्तियां मिलकर किसी वाक्य या पैराग्राफ का निर्माण करती हैं |
कविता :-
यू तो कविता की कई परिभाषाएं हैं मगर सरल रुप में कहें तो कई पंक्तियों का एक ऐसा समुह जो या तो छंदबद्ध या छंदमुक्त जो किसी भाव को व्यक्त करता हो कविता कहलाती है
कविता भी दो प्रकार की होती है
1. छंदबद्ध कविता
ऐसी कविता जिसमें वर्ण एवं मात्राओं का प्रयोग एक तय अनुपात में किया गया हो छंदबद्ध कविता कहलाती है | कुछ छंद जैसे दोहा , चौपाई , कुण्डलीया , रोला आदि में कविताएं बहुतायत में लिखी जाती हैं |
2. छंदमुक्त कविता
ऐसी कविताएं लिनके लेखन में किसी तरह के छंद का या मात्राबंधन का प्रयोग न किया जाए छंदमुक्त कविता कहलाती है |
गीत :-
प्रतिगीत :-
किसी लोकप्रिय गीत का व्यंग्यात्मक रुपांतरण प्रतिगीत कहलाता है |
नवगीत :-
विभिन्न एवं अनूठे प्रतीकों के साथ लिखे गए गीत को नवगीत कहते हैं |
लोकगीत :-
जैसा की नाम से ही प्रतीत हो रहा है गांवों की संस्कृति से सराबोर जो गीत गाएं जाते हैं उन्हें ही आमतौर पर लोकगीत कहा जाता है |
गाना :-
भजन :-
देवी देयताओं की स्तुतियों में गाए जाने वाले गीत ही भजन कहे जाते हैं | लोकगीतों में भी भजन बहुत बड़ी मात्रा में गाए जाते हैं |
कुण्डलियॉ छंद :-
मुक्त छंद :-
दोहा छंद :-
गीतिका छंद :-
चौपाई छंद :-
घनाक्षरी छंद :-
रुबाई छंद :-
मुक्तक :-
किसी ग़ज़ल की पहली चार लाइनों कों मुक्तक कहा जाता है | इसे ही तराना या तरन्नुम भी कहा जाता है | रुबाई भी इसी तरह का छंद है |
क्षणिकाएँ :-
हाईकु :-
तेवरी :-
हिन्दुस्तानी
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वजन :-
मात्राओं की संख्या को वजन कहा जाता है | आपने अक्सर ये सुना होगा शेर में वजन है |
मिसरा :-
किसी शेर की पहली पंक्ति को मिसरा या जुमला कहा जाता है |
बहर :-
किसी ग़ज़ल की कहन या उसका लवों लुआब उसका बहर कहलाता है |
शेर :-
दो मिसरों को मिलाकर एक शेर बनता है | किसी शेर में उसके वजन का भी बहुत योगदान होता है |
तराना / तरन्नुम / मुक्तक :-
किसी ग़ज़ल की पहली चार लाइनों कों मुक्तक कहा जाता है | इसे ही तराना या तरन्नुम भी कहा जाता है | रुबाई भी इसी तरह का छंद है |
मिसरा-ए-सार :-
किसी शेर के पहले यानी के उपर वाले मिसरें को मिसरा-ए-सार कहा जाता है |
मिसरा-ए-सानी :-
किसी शेर के दूसरे यानी के नीचे वाले मिसरें को मिसरा-ए-सानी कहा जाता है |
मतला :-
किसी ग़ज़ल के पहले शेर को मतला कहा जाता है |
मख्ता :-
किसी ग़ज़ल के अंतिम शेर को मख्ता कहा जाता है |
रदीफ :-
किसी ग़ज़ल के सभी शेरों में आने वाला वह शब्द जो सब ने एक समान रुप से उपस्थित रहता है रदीफ कहा जाता है |
कफिया :-
किसी ग़ज़ल के सभी शेरों में उपस्थित वो शब्द जो हर शेर में बदलता रहता है मगर उसका उच्चारण अपने अगले या पिछले शब्द से मिलता हुआ प्रतीत होता है कफिया कहलाता है | जैसे जान , आसमान , मकान आदी |
ग़ज़ल :-
पांच या उससे अधिक शेरों का एक ऐसा समुह जिसमें एक या दो मतले का शेर एवं एक मख्ते का शेर मौजूद हो ग़ज़ल कही जाती है |
नज्म :-
हिन्दुस्तानी या उर्दू में लिखी कविता को ही आमतौर पर नज्म कहा जाता है | नज्म भी तुकबंदी या बीना तुकबंदी के हो सकती है |
कव्वाली :-
हज़ल :-
किसी लोकप्रिय एवं मसहूर ग़ज़ल का व्यंग्यात्मक एवं हास्य रस में रुपांतरण हज़ल कहलाता है |
शायरी :-
दो या चार पंक्तियों की तुकबंदी शायरी कहलाती है |
मजाहिया शायरी :-
दो या चार पंक्तियों की हास्य रस में तुकबंदी मजाहिया या मजाकिया शायरी कहलाती है |
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