सोमवार, 3 अगस्त 2020
गाना , कि तेरे संग जीना है मुझको
शनिवार, 30 नवंबर 2019
गाना, तु रब कि महरबानी है
नमस्कार , मेरा एक छोटा सा नया गाना आपकी खिदमत में हाजिर है मुझे आशा है कि आपको प्रसंद आएगा
तु रब कि महरबानी है
जैसे कोई परिंदा चहके
जैसे कोई गुलाब महके
बरषा बरसे जैसे सावन मे
मेंहदी हो जैसे आंगन में
सपनों जैसी अब जिंदगानी है
तु मेरी प्रेम कहानी है
तु रब कि महरबानी है
तेरा मेरा मिलना दुआ है
दिल में कुछ तो हुआ है
धडकन कि सदा इबादत है
हुंई जो सच्ची मोहब्बत है
ये रब कि कैसी मनमानी है
तु मेरी प्रेम कहानी है
तु रब कि महरबानी है
मेरीे ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |
इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
शनिवार, 13 अप्रैल 2019
गाना, मै सातों वचन मोहब्बत मांगती हूं
नमस्कार, ये गाना मैने तकरीबन एक साल पहले लिखा था अभी तक इसे आपके सामने ये सोचकर नही रख रहा था के मुझे लगता है कि मेरा ये गाना थोडा सा अस्सी - नब्बे के दशक में आने वाले गानों के जैसा है तो मुझे लगता था के यहां तो सुनना भी नही है पढना है और इस तरह के गाने को एक ब्लॉग पर कौन पढ़ेगा | लेकिन कल जब मैने मेरे एक दोस्त को कवि प्रदीप का लिखा एक गाना कही से पढ़ते देखा तो मुझे भी लगा कि मुझे भी मेरा गाना आपके सामने रखना चाहिए सो आज यहा लिख दिया
मैं सातों वचन मोहब्बत मांगती हूं
न ऐसो आराम न रुतबा तुम्हारा
न धन न दौलत न गहने मांगती हूं
हर जन्म तुम रहना साथ मेरे पिया
मैं सातों वचन मोहब्बत मांगती हूं
सीताराम सी जोडी हो अपनी
खुशीयां रहें ज्यादा हमेशा
कमाई भले हो थोड़ी अपनी
मै भला कहा कोई ताजमहल चाहती हूं
हर जन्म तुम रहना साथ मेरे पिया
मैं सातों वचन मोहब्बत मांगती हूं
तुमको प्राणों से प्यारी रहूं
सातों जन्म तुम मेरे रहो
सातों जन्म मै तुम्हारी रहूं
तुमको ही बस मै वर चाहती हूं
हर जन्म तुम रहना साथ मेरे पिया
मैं सातों वचन मोहब्बत मांगती हूं
मेरा यह गाना अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |
इस गाने को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
बुधवार, 27 जून 2018
गाना , सादे पानी सा तेरा रंग है
जिसमें झलकता तेरा अंग है
भूलना चाहूं इस्सर बातों में
बनके कोई रंग मैं
मासूम है ये दिल मेरा
जी करता है मेरा भी
चहकूं तेरे संग मैं
सादे पानी सा .......
करती रहे तू मीठी बातें
पलके झुका के जब शर्माए
गुजर जाती हैं तनहा रातें
तेरी घनारी जुल्फों के
उड़ना चाहू संग मैं
सादे पानी सा तेरा .......
गाना , नदी के किनारे से ये दो दिल हमारे
ये दो दिल हमारे
जाने कहां पर जाकर मिलेंगे
ये बिछड़े बेचारे
दो टूटे सितारे
तभी से वही है पैमाना
दिल की दिल से बातें होती हैं
फिर भी तन्हा रातें होती हैं
अब भी हैं हम अनजाने
फिर भी जीते हैं तेरे सहारे
चाहत घुली है फिजाओं में
तेरी ही यादों का रहता है आलम
बदला बदला सा है मौसम
बिछड़ गई जब मेरी मोहब्बत
तब क्या ढूंढे हम पतवारें
ये दो दिल हमारे
जाने कहां पर जाकर मिलेंगे
ये बिछड़े बेचारे
दो टूटे सितारे
सोमवार, 14 मई 2018
गाना , इश्क़ का नशा फिर दोबारा हुआ
इश्क का नशा फिर दोबारा हुआ
बीच समंदर में एक किनारा हुआ
इश्क का नशा फिर दोबारा हुआ
ताश के पत्तों के जैसे
बिखर जाऊंगी मैं
मगर पता नहीं था मुझे
तुमसे मिलकर सबर जाऊंगी मैं
एक आंसू ख़ुशी का फिर से
हमारा हुआ
इश्क का नशा फिर दोबारा हुआ
मैं भी थोड़ा-थोड़ा जीने लगा हूं
मैं भी जख्मों को अपने सीने लगा हूं
कभी मत छुड़ाना मुझसे दामन
तेरे सहारे की जरूरत है मुझको
जिसे देखना चाहूं ताऊ उम्र में
तू मेरा वह नजारा हुआ
इश्क का नशा फिर दोबारा हुआ
चांद जैसा कोई ना सितारा हुआ
बीच समंदर में एक किनारा हुआ
इश्क का नशा फिर दोबारा हुआ
इश्क का नशा फिर दोबारा हुआ
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