नमस्कार , ये जो गजल आज मै आम कर रहा हूं इसे मैने तकरीबन दो साल पहले 5 अक्टूबर 2016 को लिखा था | जब आप गजल पढगे तो आपको इसके मिजाज का अंदाजा हो जायेगा , गजल छोटी पर यकीन मानीये आपको इसका पुरा लुत्फ आयेगा
गीदड़ से पूछो शेरों को आंख दिखाने का अंजाम क्या होता है
हम चट्टानों से टकराने का अंजाम क्या होता है
हम चट्टानों से टकराने का अंजाम क्या होता है
इन्हें मालूम नहीं कि किसके सह में उछल रहे हैं वो, हिंद के रहमों से वजूद है उनका
दुनिया उन्हें समझाए कि एहसान क्या होता है
दुनिया उन्हें समझाए कि एहसान क्या होता है
जाने किस मजहब ,किस रंजिस की आग लगाए बैठे हैं दिल में
काश, 'वह कभी समझ पाए कि इंसान क्या होता है
काश, 'वह कभी समझ पाए कि इंसान क्या होता है
जो मजहब के नाम पर, अपने स्वार्थ के लिए, इंसानों को तकलीफ पहुंचाता है
वह इंसान ,हैवान से बुरा होता है
वह इंसान ,हैवान से बुरा होता है
मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
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