नमस्कार , हर बंधन से मुक्त हो जाना इससे बेहतर मुझे नही लगता के कुछ हो सकता है | मुक्त छंद की इस कड़ी में मै आपके दयार में मेरा कुछ दिनों पहले लिखा एक मुक्त छंद लेकर आया हूं | छंद यू हुआ के -
एक हाथ के बांस में
फुकने पर एक लय में
स्वर निकलते मधुरी
सातों सुरों से सजी
कान्हा की बांसुरी
फुकने पर एक लय में
स्वर निकलते मधुरी
सातों सुरों से सजी
कान्हा की बांसुरी
मेरी मुक्त छंद के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |