मंगलवार, 5 जून 2018

दो मुक्तक काव्य

    नमस्कार ,  मुक्तक काव्य  , श्रव्य काव्य का दूसरा भेद है |  श्रव्य काव्य का पहला भेद प्रबंधन काव्य है | जिसके उपभेद महाकाव्य , खंडकाव्य और आख्यानक गतियां हैं | मुक्तक काव्य की विषय वस्तु स्वतंत्र होती है | यानी मुक्तक काव्य में कहानी या विषय वस्तू का प्रबंधन नहीं होता |  मुक्तक काव्य की रचना छोटे-छोटे पदों या दोनों में की जाती है |  मीराबाई के भक्ति के पद एवं बिहारी के दोहे मुक्तक काव्य की कुछ प्रमुख रचनाएं हैं

     3 जून 2018 को मैंने दो  मुक्तक पदों की रचनाएं की है | जिन्हें मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं |

                            (1)

गिरिधर , कृष्ण , गोपाल

राधा के प्रभु

राधा के प्रभु गिरिधर , कृष्ण , गोपाल
मधुर मधुर बंसी बजाओ
फिर आगन में गईया चराओ
मटकी फोड़ी , माखन चुराओ
गवालों कि तुम फिर टोली बनाओ
हम हैं तुम्हारे दरश को प्यार से
गईयों के रखवाल
राधा के प्रभु गिरिधर , कृष्ण , गोपाल

                           (2)

राम आओ एक बार फिर

राम आओ एक बार फिर

राम आओ एक बार फिर
तुम अवधपुर में
कैसी बची है तुम्हारी अयोध्या
कितनी रही है तुम्हारी अयोध्या
कहां है तुम्हारा भवन वो अवधपुर में
एक बार फिर से वसाओ
तुम्हारा राज फिर अवधपुर में
राम आओ एक बार फिर
तुम अवधपुर में

      मेरे ये दो मुक्तक काव्य आपको कैसे लगे मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

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