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शनिवार, 4 अगस्त 2018

क़व्वाली, ये जो मोहब्बत है

नमस्कार , मैने ये क़व्वाली 29 जूलाई 2018 को लिखा था जिसे मैं आज आपके समक्ष सर्वप्रथम प्रस्तुत कर रहा हूं | मुझे उम्मीद है के मेरी इस रचना को भी आप पहले प्रकाशित रचनाओं की तरह ही प्यार देंगे -

क़व्वाली, ये जो मोहब्बत है

लाइलाज बीमारी है दिल का मर्ज है
ये जो मोहब्बत है मेरी जॉ का दर्द है

मैंने सोचा था कि मोहब्बत के दम पर महबूबा खरीदै लूंगा में
मेरी हैसियत से कहीं ज्यादा निकला वो
खुदा जाने  क्या लेकर आई है आज कि ये सब
माहौल है गरम मौसम ये सर्द है
ये जो मोहब्बत है ......

कोई पूछे ना रोने का सबब उसके
इसलिए वो सबसे नजरें चुरा कर रोता है
एक तरफा मोहब्बत में यह जो हाल हुआ है
जमाने की रावायत है मोहब्बत का कर्ज है
ये जो मोहब्बत है ......

मुसलसल कई दिनों से उन्हें एक गुलाब देता हूं
पत्थरों पर लकीरें बना रहा हूं
तय है के नही आयेगी मेरे हाथ चॉदनी
महताब देखने में मगर क्या हर्ज है
ये जो मोहब्बत है ......

लाइलाज बीमारी है दिल का मर्ज है
ये जो मोहब्बत है मेरी जॉ का दर्द है

       मेरी क़व्वाली के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

बुधवार, 16 मई 2018

क़व्वाली , लोग मुझको दीवाना कहने लगे

    नमस्कार ,  कव्वाली उर्दू साहित्य कि वह विधा है जो गायन में गजल के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय है | कव्वाली अमीर खुसरो की विरासत है जो लगातार लोकप्रिय एवं विस्तृत होती चली जा रही है | उर्दू महफिलों की शान कव्वाली हजारों कव्वाली गायकों एवं शायरों के द्वारा लगातार सहेजी जा रही है | कव्वाली के पुरुष गायकों को कव्वाल एवं महिला गायकों को कव्वाली ही कहा जाता है |\

क़व्वाली , लोग मुझको दीवाना कहने लगे

     बीती सहर मैंने भी एक कव्वाली की रचना की है | जिसे मैं आपकी खिदमत में पेश कर रहा हूं | मुझे यकीन है मेरी ये कव्वाली  पढ़कर आपको उतना ही लुत्फ आएगा जितना कव्वाली सुनकर आता है | कव्वाली पेश है -

लोग मुझको दीवाना कहने लगे

उसने गजब की चली चाल ये
लोग तरस खा रहे हैं मेरे हाल पे
शिकवा मुझे उससे कुछ भी नहीं पर
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

यह मोहब्बत है बस जहर की तरह
जब से हुई हम मरने लगे
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

इश्क की वादियां
क्या नजर आयेंगी
मेरे महबूब की
क्या खबर आएगी
मुश्किल है मेरा अब इंतजार करना
उन्हें देखने को हम तरसने लगे
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

एक दौर वो था
जब मोहब्बत थी हमको
एक दौर ये है
जब नफरत है हमको
मगर हाल ऐसा है मेरे दिल का यारो
उन पर गजल हम कहने लग
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

याद उनकी अब भी क्या गजब कर रही है
सारे अल्फाज मेरे महकने लगे
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

उस जन्म में मिलेंगे किसी मोड़ पर
उसने कहा था जब बिछड़ने लगे
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

     मेरी ये क़व्वाली आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

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