नमस्कार , ये गजल मै ने 21 जनवरी 2017 को लिखा था | पुरी जिम्मेदार के साथ मैं कहना चाहूंगा के अभी तक मै ने YouTube videso के माध्यम से करिबदन सैकड़ों शायरो को सुना है इसलिए मेरी गजलो की जमीन किसी भी शायर की हो सकती हैं मगर गजलें पुरी तरह से मेरी है या मेरे द्वारा लिखित एवं रचित हैं | गजल देखे के
कभी-कभी ये तरीका भी आजमाया करो
उनकी तरफ देख कर मुस्कुराया करो
उनकी तरफ देख कर मुस्कुराया करो
सुना है कि दीवारों के भी कान होते हैं
इश्कबाजों अब कमरों में भी खुशफूसाया करो
इश्कबाजों अब कमरों में भी खुशफूसाया करो
तारे चुपके से सही तुम्हारा चेहरा देख ही लेते हैं हर रोज
मेरी मानो तो अपने पल्लू से अपना नूर छुपाया करो
मेरी मानो तो अपने पल्लू से अपना नूर छुपाया करो
हर महीने ना सही तो ना सही
साल में एक दो बार तो हमारे शहर में आया करो
साल में एक दो बार तो हमारे शहर में आया करो
तुन जो यू कुछ कहती लोग बातें बनाने लगते हैं
तुम मुझे तनहा कहकर बुलाया करो
तुम मुझे तनहा कहकर बुलाया करो
मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
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