शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

तीन नये मुक्तक

नमस्कार , ये तीन मुक्तक मै ने 23 मई 2017 को लिखा था | इन मुक्तको मे से दूसरे मुक्तक मे मेरी एक शिकायत है और उसकी वजह भी उसी मुक्तक में है | आशा है आप को मेरी मे लघु रचनाएं पसंद आये |

तीन नये मुक्तक

                           (1)

कोई गणित में अब्बल है किसी को विज्ञान आता है
कोई साहित्य में अब्बल है किसी को चिकित्सा विज्ञान आता है
बस एक ही विषय है जिसमें हम हमेशा अव्वल आते हैं
मैं बस प्यार लिखता हूं मुझे बस प्यार आता है

                           (2)

सबको एक जैसा हुनर नहीं दिया तूने
जहां में ऐसा बिखराब क्यों किया तूने
ये मेरे कर्म होंगे मैं तुझसे शिकवा नहीं करता है मेरे खुदा
मुझे आंखें तो देदी मगर उनमें मुकम्मल नूर नहीं दिया तूने

                            (3)

मैं पूजा पाठ वाला और मैं ही नबाजी हूं
मैं अल्लाह मानने वाला मैं शिव में विश्वासी हूं
मैं पूरी दुनिया को शांति का संदेश देता हूं
ईश्वर का करम है मैं भारत देश वासी हूं

     मेरी मुक्तको के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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