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मंगलवार, 3 जुलाई 2018

हरि के दोहे

      नमस्कार ,  हिंदी काव्य की एक ऐसी रचना जो लोकप्रिय है और हर किसी के जुबान पर चढ़ी रहती है उसे दोहा के नाम से जाना जाता है | दो चार दोहे अक्सर ही हर हिंदी भाषी व्यक्ति को मुंह जबानी याद होते हैं | फिर वह दोहे चाहे रहीम के हंो , तुलसी के हों या कबीर के हों |  चाहे जैसी भी परिस्थिति हो उसमें कोई ना कोई दोहा जरूर याद आता है | और दोहे कम शब्दों में बहुत बड़ी बड़ी सीखे दे देते हैं |

      दोहा लिखने के मैंने भी कुछ प्रयास किए हैं मेरे इन नगण्य प्रयासों को आज मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं |  आपके आशीष स्वरूप सराहना की उम्मीद है |

हरि के दोहे

                      हरि के दोहे

                            (1)

करिए सोच विचार के , बिगड़े कार्य बन जाए
पर इतना भी मत विचारीये , की चिंता हो जाए

                            (2)

भविष्य अपना विचारीये , जीवन सफल हो जाए
पर जरा संभाल के , वर्तमान न खोई जाए

                           (3)

अति भली न नाम की , अति भली ना दाम की
कहत कवि हरिराय , अति भली ना काम की

                           (4)

कैसे रहोगे खुश तुम , मां-बाप को रुलाए
जड़ जो काटी जाएगी , पेड़ जाए सुखाए

      मेरी दोहो के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मंगलवार, 8 मई 2018

प्रेम के दोहे

      नमस्कार ,  दोहे हिंदी कविता की एक ऐसी विधा है जो भक्ति काल से बहुत ही प्रसिद्ध | रहीम दास , तुलसीदास , कबीरदास आदि जैसे महानतम कवियों ने अपनी रचनाएं दोनों में की हैं | अक्सर आपने रहीम के , कबीर के , तुलसी के दोहे पढ़े या सुने होंगे | दोहे अक्सर कई उद्देश्य पूर्ति के लिए लिखे जाते हैं  यह भाव प्रधान या व्यंगात्मक हो सकते हैं |

   प्रेम के दोहे

   आज मैंने भी कुछ दोहे लिखने की कोशिश की है जिन्हें मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं -

                      प्रेम के दोहे
            
                           (1)

एकतरफा प्यार में , मत देना आशिकों जान
राष्ट्रहित में जान देना , युग-युग मिले सम्मान

                           (2)

पहले पहले प्यार में , प्रेम सिर चढ़ कर बोले
पहले प्रेमिका कोयल जैसी , फिर कौवे जैसी बोले
                           (3)

प्यार के इस खेल में , कहते हैं सब कुछ माफ
प्रेमी चाहे प्रेम को या फिर करें प्रेमिका को साफ

                           (4)

दुकानदारी खूब हुई , प्रेम के नाम पर
प्रेमियों में झगड़ा दोपहर तक हुआ , एक तोहफे के दाम पर

                          (5)

प्यार के इस खेल में , क्या हुआ परिणाम
श्याम को ना राधा मिली , ना राधा को श्याम

                         (6)

आओ मुझ में विलीन हो जाओ , जैसे पानी में रंग
कुचल कर भी ना मिटे , फूल की सुगंध

     मेरे यह दोहे आप को कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्र के जरिये जरूर बताइएगा |
अगर मेरे विचारों को लिखते वक्त मुझसे  शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो मैं उसके लिए बेहद क्षमा प्रार्थी हूं | नमस्कार |

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