बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

देवरा होलीया में चोलीया फार दिहले बा

       सबसे पहले होली की हार्दिक शुभकामनाएँ , हैप्पी होली.... , होली है..... | रंगों का नाता इंसानो से प्रकृति ने जोडा है हम जो कपड़े पहनते हैं वह भी रंग-बिरंगे होते हैं , मेहंदी लाल रंग की होती है जब दुल्हन की हथेलियों पर रचती है , बर्फ से ढका हिमालय सफेद रंग का है , अनंत विशाल सागर का जल नीले रंग का प्रतीत होता है , नदी के किनारों पर जमी काई भी अरे सुनहरे रंग की होती है , एक स्त्री सुहागन तभी होती है जब वह लाल रंग का सिंदूर अपने माथे पर धरण करती है |रंगों का अस्तित्व ही इस दुनिया को खुशहाल बनाने के लिए है मगर बदलते दौर के इस परिवेश में मेरा सबाल ये है के आखिर होली के इस  त्यौहार में रंगों से तौबा क्यों ?

होली का त्यौहार मानते बच्चे
होली का त्यौहार मानते बच्चे 
   मुझे याद है कुछ वर्षेा पहले तक तब मै शायद कुछ दस वर्ष का रहा हूंगा | होली आने के कई दिनो पूर्व ही एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते थे तथा आने बाली होली मुबारक कहते थे | पर इस दौर में तो लोग होली के दिन भी एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते से कतराते है , होली के रंग शिर्फ कपडे ही नहीं रंगते बल्कि मन को भी शांति पहुंचाते है , मन में भरी कड़वाहट को होली में मस्ती के रंगो में रंग देते हैं |

   इसी तरह होली के रंगो से सराबोर पेश है होली का एक लोक गीत जिसे मै ने कुछ दिनों पहले लिखा है , ये लोक गीत देवर भाभी के खट्टे मीठे रिश्ते पर आधारित है | इसी कोटी के लोक गीत फागुन के महीने में मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के इलाकों में गायि जाती है  -

हमार नाया नाया फैशन बिगाड़ दिहले बा
देवरा होलिया में चोलिया फार दिहले बा

रोजे पोछे होठलाली
औउर तोड़ेला गहना
करे बरियारी माने नाही कहना
ताजा मालपुआ जुठार दिहले बा
देवरा होलिया में चोलिया फार दिहले बा

जाने कहां-कहां रंगवा लगउलस 
अपना पिचकारी से ढोढी में चूअउलस  
केतनो गरियायी तनीको ना लजाता
हमके कई के भीतरी उहो रातीयअ से केबाड दिहले बा
देवरा होलिया में चोलिया फार दिहले बा

हमार नाया नाया फैशन बिगाड़ दिहले बा
देवरा होलिया में चोलिया फार दिहले बा

  मेरी यह लोक गीत आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |               

शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

शेरो शायरी कि बातें

      जय श्री कृष्ण , शसरियाकाल ,आदाव , शायरी में हर शायर कि जहनी सोच , अनुभव तथा कल्पनाओं कि झलक होती है | हर असार हर एक शेर किसी न किसी मक़सद को बया करता है | चाहे शायरी सुनी ,पढी या लिखी जाये हमेसा दिल को सुकून पहुचाती है

शेरो शायरी कि बातें
शेरो शायरी 

    उर्दू शायरी कि जानिब से मेरे ये कुछ असार देखे , एक मतला और एक शेर यू होता है के -

मेरे करीब से तेरा गुजर जाना भी , कयामत ढाता है
मुझे देखकर तेरा मुस्कुराना भी , कयामत ढाता है

खूबसूरती इतनी है कि उफ
यूं बात-बात पर तेरा रूठ जाना भी , कयामत ढाता  है

ये कुछ चंद शेर और समात फर्माये

सर्द झोंकों को मामूली समझकर चरागों को अटारी पर नहीं रखते
कभी होश , कभी पानी , कभी बस्तियां कभी , छप्पर यह हवाएं नजाने क्या-क्या उड़ा लेती हैं

मुल्क की असलियत और तरक्की देखनी है  तो मजहब का चश्मा उतारिए
कोहरे में  साफ रोशनी नजर नहीं आती

चंद लफ़्ज़ों की बात नहीं है कि कुछ सैकड़ा पन्नों में आ जाए
जिंदगी से किताब होती है किताब से जिंदगी नहीं होती

दिल की कहने से पहले उनका मिजाज भाप लेना जरूर
ठंडी बयार और लू में फर्क होता है

बिना बेटियों के घर कैसा होगा
बिना चिड़ियों के घोसला देख लेना

और अब ये मख्ते का शेर देखें के

महफूज हो अब तक जो किसी से मोहब्बत नहीं हुई
मालूम होते हो हो समझदार , बहोत

        मेरी शेरो शायरी कि ये बातें आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |               

शनिवार, 10 फ़रवरी 2018

नज्म , दिल की बात हो या दिमाग की बात हो

      नमस्कार , हिन्दी उर्दू कविता जिसे साहित्यिक विधा में नज्म कहा जाता है किसी पहचान का मोहताज नही है | भारतीय सिनेमा में नज्में दशको से मुख्य अभिनेताओ , अभिनेत्रीयो के द्वारा पर्दे पर गायी जा रही है और दर्शकों के द्वारा सूनी एवं पसंद की जा रही है | बहरहाल नज्मो का चलन आज के वर्तमान सिनेमा में खत्म हो गया है |

मैने हाल ही में एक नज्म लिखी है जिसे आप सभी मित्रों के हवाले कर रहा हूं , आप सब की दुआए चाहता हूं -

नज्म , दिल की बात
नज्म , दिल की बात 
दिल की बात हो या दिमाग की बात हो

दिल की बात हो
या दिमाग की बात हो
खामोशी है इसीलिए अब तक
ये तय नहीं है

अगर जो दिल की बात हो
तो मुमकिन है कि दिमाग को गवारा ना हो
मगर जो बात न हो तो गुजारा ना हो
चलो तो फिर तय रहा के
दिमाग की बात हो

मगर - मगर जो दिमाग की बात हो
दिल ये कैसे माने
ये तो नादान है ना
दुनियादारी से अनजान है ना
ये तो चाहता है के एक और मुलाकात हो
मगर ये तो दिमाग को मंजूर नहीं

बहुत सोच समझकर सोच रहा हूं
न जाने कब से
और सवाल भी अभी वही है
के किसकी बात हो
दिल की बात हो
या दिमाग की बात हो

     मेरी नज्म के रुप में ये छोटी सी पेशकश आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |          

शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

हजल ( हास्य गजल )

नमस्कार , आज की इस बतचीत मै एक थोडी सी नयी विधा के बारे में बात करने बाला हूं , ये विधा नयी है आम सुनने या पढने वाले लोगों के लिए , नाम है ' हजल ' | हजल आमतौर पर गजल कि तरह ही लिखी जाती है मगर हजल और गजल में सबसे बड़ा अंतर ये है के हजल में हास्य का बोध होता है और गजल में मोहव्बत का |

कुछ दिनों पहले मेरी लिखी एक हास्य गजल यानी हजल प्रस्तुत है , आप सभी मित्रों की दुआए चाहूंगा

हजल ( हास्य गजल )
हजल ( हास्य गजल )
हजल ( हास्य गजल )

मुझे आती है उनकी याद ,बहोतत
जब कभी होती है बरसात , बहोत

कराती हो खर्चे हजारों में जब प्रेमिका
तब होती है एक मुलाकात , बहोत

उन्हें किससे मोहब्बत है किसी दिन पूछ लेना
वरना होती है तकरार , बहोत

अगर हमारे लिए कुछ कर सकते हैं तो करके दिखाइए ना हुजूर
हमने कर लिया है अच्छे दिनों का इंतजार , बहोत

वह सैर कर रहे हैं वादियों में महबूबा के संग
दफ्तर में खबर है वो है बीमार , बहोत

इस जहर से तो एक चींटी तक नहीं मरती
बताया गया था यह है असरदार , बहोत

महफूज हो अब तक जो किसी से मोहब्बत नहीं हुई
मालूम होते हो , हो समझदार , बहोत

   मेरी हजल कि ये छोटी सी पेशकश आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |                                       

शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

शेरो शायरी

    नमस्कार , शेरो शायरी पसंद करने वाले , पढने वाले लोगों के लिए पेश है मेरी तरफ से मेरे हाल ही में मेरे लिखे चंद असार

शेरो शायरी
शेरो शायरी 
एक मतला और एक शेर देखें के

प्यार करना , मगर जबरन हक मत जताना
उनका प्यार फूल है , फूलों को जरा आहिस्ता सहलाना

वह अगर तुमसे रूठ जाए , यह हक है उनका
तो तुम उन्हें मनाना , तुम भी उनसे मत रुठ जाना

और कुछ शेर देखें के

हां यह सच है मैं टूटा जरूर हूं
मगर मुझे कांच सा बिखरना नहीं आता

वह और लोग होंगे जो अपने रुख से पलट जाते हैं
सच बात कह कर मुझे मुंकरना नहीं आता

और एक ये मतला और ये शेर समात फर्माये के

अगर कहीं पर्दा है तो रहना जरूरी है
इंसान को इंसान बना रहना जरूरी है

नाजुक गुलाब की पंखुड़ियों को नोचकर इधर-उधर फेका जाता है
नाराजगी कभी-कभार यूं भी जताई जाती है

और मख्ते का शेर यू होता है के

अगर ' हरि ' को भी हुनर होता हमलो से बच निकलने का
तो यकीनन वो निगाहो के इन तीरों से घायल नही होता

     मेरी शेरो शायरी कि ये छोटी सी पेशकश आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

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