रविवार, 29 मार्च 2020

कविता , करोना से हमको युद्ध लड़ना है

     नमस्कार , करोना वायरस कविड 19 चीन के वुहान प्रांत से फैला एक जानलेवा वायरस है जिससे अब तक दुनिया में 29 हजार के करीब मौतें हो चुकी हैं और 6 लाख से ज्यादा लोग इस बिमारी के चपेट में आ चुके हैं | चीन से फैला यह खतरनाक वायरस अब तक दुनियां भर के 203 से ज्यादा देशों में फैल चुका है |

     हमारे देश भारत में भी यह वायरस बहोत तेजी से फैल रहा है देश में अब तक कुल 1024 पॉजिटीव मरीज मिले हैं तथा इस वायरस से मरने वालों कि संख्या बढकर 27 हो गई है | इस वायरस के फैलाव को रोकने के लिए पुरे देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया है जो कि करोना वायरस कोविड 19 के खिलाफ भारत कि लडा़ई का निर्णायक कदम साबित होकता है |

     करोना वायरस कोविड 19 से स्वयं का बचाव ही इसका सबसे बेहतर इलाज है मैं यहा जोर देकर यह बताना चाहुंगा के अब तक इस भयावह बिमारी का कोई इलाज नही ढुढा़ जा सका है | करोना वायरस कोविड 19 से बचाव के लिए आप डाक्टरों के द्वारा बताई जा रही कुछ आधारभुत सावधानियॉ जरुर रखें

1.किसी से मिलें तो हाथ मिलाने के बजाय नमस्ते करें
2.बीना किसी ठोस वजय के घर से बाहर ना जाएं घर पर रहें यदि आवश्यकता बस बाहर जाना पड़ जाए तो मुंह पर मास्क लगाकर जाएं
3.अपने हाथों को बार बार चेहरें एवं आंखों पर ना लगाएं तथा अपनें हाथों को लगातार 20 सेकेंड तक साबुन से धोते रहें या सेनेटाइजर से सेनेटाइज करतें रहें
4.किसी अपरिचित व्यक्ति से 2 मिटर की दुरी बनाकर बात करें
5.सबसे महत्वपुर्ण सावधानी यह है कि बाहर ना जाएं घर पर ही रहें

    करोना वायरस कोविड 19 से संक्रमण का पता दो से 14 दिन में चलता है डॉक्टरों का कहना है कि इसके कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं

1.सर्दी , सुखी खांसी , तेज बुखार आना
2.गले में तेज दर्द होना , सांस लेने में परेशानी होना
3.थकावट महसुस होना आदी

     यदि आपको इस तरह के लक्षण महसुस हो तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाएं और अपना चेकअप करवाएं | आप चाहें तो केन्द्र या राज्य सरकारों के द्वारा उपलब्ध करवाई गई हेल्पलाइन पर भी सम्पर्क कर सकते हैं |

     करोना वायरस कोविड 19 के खिलाफ हमारी लडा़ई के केन्द्र में रखकर मैंने एक कविता लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं |

करोना से हमको युद्ध लड़ना है
तो घर में हि रहना है

बिना काम के बाहर न जाएं
जाएं भी तो मास्क लगाएं
बार बार सेनेटाइजर से साफ करें हाथों को
बार बार चेहरे पर हाथ बिल्कुल ना लगाएं
केवल सतर्कता ही एकमात्र उपचार है
हाथ जोड़कर मेरा सभी से
केवल इतना कहना है

करोना से हमको युद्ध लड़ना है
तो घर में हि रहना है

ये सभी सावधानियां अनिवार्य हैं
यही हमारा आधार हैं
इस खतरनाक बिमारी के खिलाफ
युद्ध लड़ने के लिए
अब भारत देश मेरा तैयार है
जन जागरुक्ता हि तो हथियार है
हमें इस अभियान में केवल इतना करना है
दृढ़ निश्चय करके विजयी हमको बनना है

करोना से हमको युद्ध लड़ना है
तो घर में हि रहना है

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गजल , आओ खुशियों कि मुहं दिखाई करते हैं

      नमस्कार , मैने कुछ दिनों पहले एक गजल लिखी थी जिसे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं मुझे यकिन हे कि आपको ये अच्छी लगेगी

आओ खुशियों कि मुहं दिखाई करते हैं
गमों कि घर से बिदाई करते हैं

छुप छुप के इससे उससे क्या करना
आओ ना खुल के बेवफाई करते हैं

ये जुवानी जंग का क्या मतलब
मैदान में आओ हाथापाई करते हैं

गम नही चेहरे पर मुस्कान बेचना शुरु करो
किसी के जख्मों कि तुरपाई करते हैं

और तनहा गम जख्म मरहम खुशियां
अरे अब तो मोहब्बत कि जगहंसाई करते हैं

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कविता , क्योकि इनको शिर्फ तुम जानते हो

     नमस्कार , 8 मार्च विश्व महिला दिवस पर मैने एक कविता अपने सोसल मिडिया एकाउंट्स पर पोस्ट कि थी जिसे आप लोगों ने बहोत सराहा था अब इसे मैं यहां लिखने कि हिम्मत कर रहा हुं मुझे उम्मीद है कि आपको यह पसंद आएगी

क्योकि इनको शिर्फ तुम जानते हो

महिलाएं औरतें नारी स्त्री जनानीयां
जिस भी संबोधन से जानते हो इनको
सम्मान करो इनका
हो सके तो गुणगान करो इनका
बेटी बहू मां बहन
कि गाली मत दो
इनको इज्जत दो
शुक्रिया कहो मां को
तुम्हे बेटा कहने के लिए
शुक्रिया कहो बहन को
तुम्हे भाई कहने के लिए
शुक्रिया कहो बेटी को
तुम्हे पापा कहने के लिए
शुक्रिया कहो दादी नानी को
उनकी कहानीयों के लिए
शुक्रिया कहो चाचीयों मामीयों
और बुआओं मौसीयों को
उनसे कि हुई शैतानियों के लिए
शुक्रिया कहो सालियों भाभीयों को
उनसे कि हुई मनमानियों के लिए
सैकडो़ रिश्ते बनाए हैं इनसे
सैकडो़ रुप समाए हैं इनमें
इन्ही में दुर्गा सरस्वती हैं
और परीयां अप्सराए हैं इनमें
कह सको तो एक शुक्रिया कहो
अपनी धर्मपत्नी को
जिसने जीवनभर के लिए
अपना बनाया है तपमको
पिता कहलाने का शुख देकर
इतना जिम्मेदार बनाया है तुमको
आज एक शुक्रिया कहो इनको
तुम्हारे जीवन में इनके महत्व को
क्योकि इनको शिर्फ तुम जानते हो

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भजन , राधा रंग लगाने दे , मोहे रंग लगाने दे

     नमस्कार , होली के पावन पर्व पर मैने एक नया भजन लिखा है जिसे मै आपके दयार में हाजिर कर रहा हुं |

आज होली है होली मनाने दे
राधा रंग लगाने दे , मोहे रंग लगाने दे

क्यो रुठी है मै ना जानु
मै तो तुझको अपना मानु
तेरे बुलाने बंसी बजाउं
देख ना तुझको कितना मानु
आज रोको ना , रंगसे तेरी चुनरी भीगाने दे
राधा रंग लगाने दे , मोहे रंग लगाने दे

नाक कि नथनी झाली खो गई
कल यमुना किनारे बाली खो गई
मईया डांटेगी कान्हा मुझको
गर नयी चुनरी काली हो गई
मरोड़ ना कलाई , छोड़ मोहे जाने दे
राधा रंग लगाने दे , मोहे रंग लगाने दे

आज होली है होली मनाने दे
राधा रंग लगाने दे , मोहे रंग लगाने दे

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शनिवार, 14 मार्च 2020

नज्म , आओ दिल्ली दिखाउं मैं तुमको

      नमस्कार , 24 और 25 फरवरी को जब अमेरिका के राष्टपति डोनाल्ड ट्रंप सह परिवार दो दिवसीय भारत दौरे पर आए थे तब उत्तरपुर्वी दिल्ली में हुए दंगों में अब तक 38 से ज्यादा लोगों के मौत कि खबर हैं और 200 से ज्यादा लोग घायल हैं जिसमें 60 से ज्यादा दिल्ली पुलिस के जवान है साथ हि दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल शहिद हुए हैं| | इस दंगे कि गंभीरता को इस बात से समझीए कि इसमें 70 से ज्यादा लोगों को बंदुक कि गोलीयां लगी हैं और आईबी के यूवा ऑफिसर अंकित शर्मा को दंगाई भीडं ने उनके घर से खिचकर लेजाकर आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन के घर मे लेजाकर मार डाला और उनकी लाश को नालें में फेंक दिया | मैने जब अंकित कि मां को चिख चिख कर रो कर सारी घटना मिडिया को बताते हूए बेब न्युज मिडिया पर सुना तो वह रोती बिलकती हुई आंशुओ से भरी हुई आंखे मेरे दिल में घर कर गई तब मैने एक नज्म कहने कि कोशिश की है कि

आओ दिल्ली दिखाउं मैं तुमको

खून के छींटे दिखाउं मैं तुमको
लाशों की गिनती बताऊं मैं तुमको
जिनके बेटे कत्ल किए गए हैं
उन मांओ कि चीखें सुनाउं मै तुमको
आओ हकिकत बताउं मै तुमको
आओ दिल्ली दिखाउं मै तुमको

नफरत कि आग लगाई गई थी
भीडं एक धर्म के खिलाफ भडंकाई गई थी
घरों से खिंचकर बेटों कि जान लेली गई है
चुन चुन कर मंदिर जलाई गई थी
मांए रो रो कर बेसुध हुई हैं
अब कितने आंशु दिखाउं मै तुमको

सारा शहर पत्थरों से भर गया है
डर तो जहन में घर कर गया है
वो मां खुद को संभालेगी कैसे
जिसका बेटा कल मर गया है
ऐसी कितनी दास्तानें हैं
बोलो कितनी सुनाउं मैं तुमको

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नज्म , मेरी जाने तमन्ना

       नमस्कार , मैने एक नयी नज्म लिखने कि कोशिश कि है मुझे यकिन है कि आप इससे जुड़ पाएंगे

मेरी जाने तमन्ना

मेरी जाने तमन्ना
तजमहल जैसी कोई ख्वाईश मत रख मुझसे
क्योंकि , मै इसे पुरा नही कर पाउंगा
ये मै भी जानता हुं , तु भी

हॉ तुम चाहो तो एक घर बना सकता हुं
तुम्हारे लिए जिसमें
मोहब्बत कि बुनियाद होगी
यकिन कि मजबुत ईटें लगाकर
वादों का सिमेंट लगाकर
चार दीवारी बनाएंगे खुशियों कि
और छत बन जाएंगी सारी उम्मीदें
घर को सुनहरे मुश्तकबिल के सपनों से सजा कर

चिरागों को दहलीज पर रोशन करके
नए जीवन का आगाज करें
और अपनी मोहब्बत को मुकम्मल कर दें
जो पाकिजा मोहब्बत
अक्सर नसीब नही होती महलवालों को भी
मेरी जाने तमन्ना

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गजल , सागर सी गहरी रेगिस्तान सी पथरीली आंखें

     नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

सागर सी गहरी रेगिस्तान सी पथरीली आंखें
चॉकु छूरी खंजर सी नुकीली आंखें

कोई कैसे बचे इनके तिलस्म से
कत्थई काली निली आंखें

कैसे पढू मै इनकी लिखाबट को
कभी गुस्सा कभी अॉशु कभी सर्मिली आंखें

देखते ही ईश्क का शुरुर होगया
मैने पहले नही देखी थी वो चमकिली आंखें

देखोगे तो तुम्हे भी मर्ज-ए-मोहब्बत हो जाएगी
कभी देखना मत वो फूलों सी रंगिली आंखें

गर तनहा मरा मोहब्बत में तो ईल्जाम उस पन
मार डालेंगी मुझको तेरी ये जहरिली आंखें

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गीत , दो हंसो का जोडा़ हम

     नमस्कार , मैने आज एक नयी गीत लिखी है जिसे मै आपके आंगन में रखना चाहुंगा मुझे आशा है कि मेरी यह गीत आपके मन को भाएगी

दो हंसो का जोडा़ हम
आधा आधा पुरा हम

ईकाई मै ईकाई तुम
दोनो मिलकर दहाई हम
हम लिलें तो शब्द बने
जैसे कागज स्याही हम
हवा बसंती मस्त बयार
तो झूलों का हिलोडा़ हम

दो हंसो का जोडा़ हम
आधा आधा पुरा हम

राधा कृष्ण सी निर्मलता हम में
प्रेम कि उज्वलता हम में
सिताराम ह्रदय विराजे
चांद कि सितलता हम में
हम्हीं हैं दिन रात और
साम और सवेरा हम

दो हंसो का जोडा़ हम
आधा आधा पुरा हम

अपना और पराया हम से
धन दौलत कि माया हम से
गुलाब कि खुशबु हम हैं
पिपल कि छाया हम से
जितना आधा धरती अंबर
उतना हि अधुरा हम

दो हंसो का जोडा़ हम
आधा आधा पुरा हम

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भजन , जपो नम: शिवाय , बोलो नम: शिवाय

       नमस्कार , आपको शिव उपासना के सबसे बडे़ पुर्व महाशिवरात्री कि आपको हार्दीक शुभकामनाए | महाशिवरात्री के पावन पर्व पर मैने एक नया भजन लिखा है जिसे मै आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हुं इस विश्वास के साथ कि यह आपको प्रसंद आएगा |

बस नाम लेले हि कष्ट सारे कट जाएं
जपो नम: शिवाय , बोलो नम: शिवाय

बाबा देवो के देव
बाबा भुतों के स्वामी
बाबा कालों के काल
मां गौरा के स्वामी

भक्ति से पुकारो तो बिगडे. काम बन जाएं
जपो नम: शिवाय , बोलो नम: शिवाय

हाथ में त्रिशुल माथे पे चंदा
गले में शोभे शेसनागजी का फंदा
निलकंठ भुतनाथ त्रीनेत्रधारी
डमरु बजाएं जटा में मां गंगा

आओ सब मिलकर शिव गुण गाए
जपो नम: शिवाय , बोलो नम: शिवाय

      मेरा ये भजन अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

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कुछ मुक्तक

     नमस्कार , इस महिने के मध्य में मैने कुछ मुक्तक लिखे हैं जिन्हे मै आपके दयार में हाजिर कर रहा हुं मुझे यकिन है कि मेरे ये मुक्तक आपको मुतासिर करेंगें |

दुनियॉ लगी है बस पैमाने बनाने में
मै लगा हुं हथेलियों के दस्ताने बनाने में
एक स्कुल बनाने में जिन्दगी गुजर जाती है
एक माह भी नही लगते मयखाने बनाने में


मेरा दिल है भारत मेरा वतन मासाअल्लाह
मेरी जान इस पर कुर्वान मेरे चमन मासाअल्लाह
झुठ बोलकर यार मेरे हमवतनों को गुमराह न कर
तु तो माहिर है इसी में तेरा फन मासाअल्लाह


कभी सोचता हुं कि इतना चाहुं इतना चाहुं उसे
मगर और कितना चाहुं कितना चाहुं उसे
ये कैसी तिशनगी है कि समंदर पिकर भी नही मानती
प्यास बढती जाती है जितना चाहुं जितना चाहुं उसे


दुनियां ने मोहब्बत का दायरा लिख दिया
मैं उसका शायर और उसे शायरा लिख दिया
जितने में उसका आशिक एक शेर नही कह पया
उतनी देर में मैंने उस पर मुशायरा लिख दिया


तमाम पेंडो़ से परिंदे जुदा होगए यार
वो हंसते हुए मंजर कहां होगए यार
एक दौर में यहा महफिले सजा करती थी यारों कि
अब वो सारे दिन हवा होगए यार


वो मंजर कहां देखा था कहां देखा था मैने
मुझे याद नही खंजर कहां देखा था मैने
निकल रहे थे उसके आंख से इतने अॉशु
अब याद आया मुझे समंदर कहां देखा था मैने


शायर है झुठी गुफ्तगु भी खुशुशि कर रहा है
मुल्क को चाहनेवालों सच बोलों जरुरी कर रहा है
मेरे दोस्तों अब बारी आई है दोस्ती निभाले कि
क्योकि दुस्मन अपना काम बखुबी कर रहा है

     मेरे ये मुक्तक अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

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कविता , हमें सरदार ने सिखाया था

    नमस्कार , मैने एक कविता लिखी है भारत के प्रथम गृहमंत्री और तेजस्वी नेता लौह पुरुष सरदार पटेल को समर्पित करते हुए

हमें सरदार ने सिखाया था

कण कण जोड़कर एक घर बनाना
घर को सुनहरे सपनों से सजाना
सपनों को अपने दुश्मनों से बचाना
हमें सरदार ने सिखाया था

गली-गली गांव-गांव पग-पग अनेकता
भाषा , बोली , रंग , पंथ , भाव की विभिन्नता
विभिन्नता में एक स्वर में एकता
हमें सरदार ने सिखाया था

नफरतों की साजिशों की हुई पराजय
लोकतंत्र के भावना की हो गई विजय
लाख दुश्मन हो मगर भारत रहेगा अजय
हमें सरदार ने सिखाया था

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गजल , ये तो गलतफहमी है कि मेरा दिल टूटा है

    नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

ये तो गलतफहमी है कि मेरा दिल टूटा है
दिल नहीं टूटा बस एक भरम टूटा है

जिस ने दी है ये खबर बेबुनियाद है
जिसने तुमको बताया है बहोत झुठा है

बस इसीलिए नही खाते भाई भाई एक थाली में
ये जो खाना है उसका जुठा है

कौन लाएगा तवस्सुम मेरे चेहरे पर
जो मेरा खुदा है वही मुझसे रुठा है

ये कैसा रोना है के आंख नम ही नही होती
फेसबुक पर रोने का ये नया तरीका है

तुम जो समझते हो तनहा वो गम नही है मुझको
गम तो ये है के एक अच्छा यार छुटा है 

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गजल , हम तुम्हारे हमराज हैं जाना

    नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

तुमसे मेरे राज हैं जाना
हम तुम्हारे हमराज हैं जाना

कल हम्हीं होंगे मोहब्बत निभाने के लिए
तुम्हारे सारे आशिक बस आज हैं जाना

हरदम जो सदाएं तुम सुनते हो
वो मेरे दिल के साज हैं जाना

मोहब्बत के सिवा दुनियां में कुछ भी नही
नफरत बस अल्फाज है जाना

तुम्हारा मिलना खुशनसीबी मेरी है
ये खुशियॉ तो बस आगाज हैं जाना

मोहब्बत तुम्हे है ये सब को खबर है
खामोशी भी आवाज है जाना

जब कहता है सिधे मुंह पर सच कहता है
ये तनहा का अंदाज है जाना

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हास्य व्यंग कविता , Whatsapp वाला सब देखता है

  नमस्कार , मैने एक नयी हास्य व्यंग कविता कहने कि कोशिश कि है

Whatsapp वाला सब देखता है

ऊपरवाला देखता हो चाहे ना देखता हो
Whatsapp वाला सब देखता है

कौन किसका मैसेज कॉपी कहता है
कौन किसकी तरफ से डबल टिक मरता है
एक ही मैसेज को कौन बार-बार फॉरवर्ड करता
सुबह सुबह उठकर कौन ज्ञान बघारता है
कौन किसके dp की नकल उठाता है

ऊपरवाला देखता हो चाहे ना देखता हो
Whatsapp वाला सब देखता है

कौन अपने स्टेटस में चालिस पचास फोटोस डालता है
कौन-कौन सारे ग्रुप में जाकर चुटकुले खंगालता है
कौन-कौन वीडियो कॉल मे पाउट करता है
कौन लास्ट सीन देखकर अपनी गर्लफ्रेंड पर डाउट करता है

ऊपरवाला देखता हो चाहे ना देखता हो
Whatsapp वाला सब देखता है

     मेरी ये हास्य व्यंग कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

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हास्य व्यंग कविता , आपके केजरीवाल की दिल्ली

     नमस्कार , मैने एक नयी हास्य व्यंग कविता कहने कि कोशिश कि है

फ्री के मायाजाल कि दिल्ली
आपके केजरीवाल की दिल्ली

हवा हवाई काम हुआ है
देश में अच्छा नाम हुआ है
जनता पी रही है गंदा पानी
खुलकर सांस लेना भी हराम हुआ है

बिगड़े हुए सुर ताल की दिल्ली
आपके केजरीवाल की दिल्ली

पर्दे के पीछे खेल हुए हैं
बच्चे पहले से ज्यादा फेल हुए हैं
झोपड़ी अब भी झोपड़ी है
मगर फैसले  रेलम रेल हुए हैं

राजनीति के शतरंजी चाल कि दिल्ली
आपके केजरीवाल की दिल्ली

      मेरी ये हास्य व्यंग कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस हास्य व्यंग कवित को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

गजल , उसका रुठना और मेरा मनाना लाजमी था

     नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

उसका रुठना और मेरा मनाना लाजमी था
उसका दूर और मेरा पास जाना लाजमी था

पाहली मोहब्बत का पहला मौका-ए-वस्ल
उसका शर्माना और हाथ छुडा़ना लाजमी था

तमाम दुनियां कि फिक्र और जमाने का डर
उसका मुस्कुराना और घबराना लाजमी था

तनहा दिल की दशा ही कुछ ऐसी थी
उसका गाना और गुनगुनाना लाजमी था

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नज्म , हम मोहब्बत करके दिखाएंगे

      नमस्कार , कुछ दिनों पहले हमारे देश में खबरों और सीएए एनआरसी के विरोध प्रदर्षनों में पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज कि एक नज्म का जिक्र बारहा हो रहा था और मुझे निजी रुप से यह लगजा है कि इस नज्म कि मुल भावनाओ का सार बदलकर यहा भारत में एक मजहबी उन्माद फैलाने कि कोशिश कि जा रही थी तो मैने इसी को देखते हुए एक नज्म कही थी | नज्म यू है कि

हम मोहब्बत करके दिखाएंगे

हम दिखाएंगे
हम मोहब्बत करके दिखाएंगे
एक दिन वो भी आएगा जब हम जीत जाएंगे
नफरत के सारे बादशाह मिट्टी में मिल जाएंगे

चाहे जितनी स्याह रात हो
तिरगी हो चाहे जितनी घनी
हम जुगनू सच के फरिश्ते हैं
उजाला करके उड़ जाएंगे

ना कोई खौफ ना दहशत होगी
ना कोई नारा ना परचम होगी
सिर्फ अमन की सत्ता होगी
जो वादा किया है अपनों से
वो वादा भी निभाएंगे

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गजल , कलियों ने हवाओ से कह दिया

      नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

कलियों ने हवाओ से कह दिया
कनिजों ने बादशाहों से कह दिया

जाते जाते उसने तो कुछ नही कहा
मैने सब कुछ निगाहों से कह दिया

वो कहते रह गए बस नफरत करो
मैने मोहब्बत खुदाओं से कह दिया

दुनियां में कोई उसके जैसी है ही नही
यही सच मैने अप्सराओं से कह दिया

ये सब ने देखा तनहा ने कुछ कहा ही नही
मगर मैने सब कुछ भावनाओं से कह दिया

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कविता , ईकरार नामा

     नमस्कार , ईकरार नामा ये कविता मैने करीबन तिन साल पहले लिखी थी जब यवा मन ने किसी के प्रति कुछ इसी तरह कि भावनाए जागृत हुई थी हालाकि यह कविता तब मै किसी को न सुना पाया और ना ही कहीं लिख पाया था क्यों कि तब मेरे पास इस तरह का कोई माध्यम नही था पर अब यह कविता आपके सामने है अच्छा है या बुरा यह मै आप पर छोड़ देता हुं

ईकरार नामा

मेरे प्रिय साथी
हमसफर , राही

          जाने कितने दिनों से
          मेरे दिल के कोने में
          दबी हुई भावनाएं
          मुझे तड़पाएं

          मैं चाहूं जब कहना
          ख्वाईसें बस तेरे संग रहना
          तब मन में अजीब सी
          कश्मकश कि लडी़यॉ
          मुझे उलझाएं , भटकाएं

          बेजुबां सा हो जाता हुं
          तुझे साथ पाकर
          लगता है जैसे जी लिया वर्षों
          चंद लम्हे बिताकर

          तेरा वो मूस्कुराना
          मुझे बहोत शुकुन देता है
          हमारा वो बात-बात पर लड़ना
          रुठना और मनाना
          चाहतें और बढा़ देता है

          तुम्हे ना देखुं एक पल भी
          तो बेचैन सा हो जाता हुं
          तु नही जानती मैं कैसे
          बिन तेरे रात बिताता हुं
          तेरी यादों के सपनों को
          अपने संग जगाता हुं

          मेरी जिन्दगी तुम हो
          मेरी आशिकी तुम हो
          तेरे बिन मैं तनहा हुं
          शांत होकर मेरी धड़कन सुनना
          ये तुमसे कुछ कहती हैं
          मैं तुमसे प्यार करता हुं
          खत मे यही लिखता हुं
          बस यहीं तक लिखता हुं

तुम्हारे प्यार का प्यासा
दीवाना , हमदर्द तुम्हारा

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कविता , चलो पतंगें उडा़ते हैं

    नमस्कार , मकर संक्राती के पावन पर्व पर हमारे देश में शहर शहर गांव-गांव बच्चों एवं बडो़ के द्वारा पतंगें उडा़यी जाती हैं इसी मौको पर अपने बचपन कि यादों को समेटकर मैने एक कविता लिखी हैं

चलो पतंगें उडा़ते हैं

चलो पतंगें उडा़ते हैं
कागज कि नाव रेत के टिले बनाते हैं

फिर कहीं क्रिकेट खेलते हैं
फिर कहीं कंचे खेलते हैं
फिर कहीं पेड़ों से परिंदे उड़ाते हैं
चलो पतंगें उडा़ते हैं

कहीं आम के पत्ते मुर्झाते हैं
कहीं बेरियों के कांटे पॉव में चुभ जाते हैं
अलहड़ बचपन में धूल में खेलते हुए
नई नई तरंगे उड़ाते हैं
चलो पतंगें उडा़ते हैं

एक बार और अमरुद के पेड़ों पर चढ़ जाते हैं
एक बार और गुल्ली डंडा खेलते हुए लड़ जाते हैं
इस बार फिर से छुट्टियों में उमंगे उड़ाते हैं
चलो पतंगें उडा़ते हैं

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गजल , ये पप्पु क्या सोचेगा वो लल्ला क्या सोचेगा

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ये पप्पु क्या सोचेगा वो लल्ला क्या सोचेगा
पान कि दुकान पर बैठा निठल्ला क्या सोचेगा

जिसका नाम लेकर खुन बहा रहे हो अपनों का
जरा शर्म करो मेरे भाई वो अल्ला क्या सोचेगा

न बवाल करो न हंगामा करो न तमाशा करो
तुम इतना चिल्लाओगे तो हल्ला क्या सोचेगा

हर मसले का हल निकलेगा गर अमन से सोचो तो
तनहा घर में झगडा़ होगा पडो़शी झल्ला क्या सोचेगा

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गजल, गिरगिट की तरह रूप बदलता कौन है तुम जानते हो

      नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

गिरगिट की तरह रूप बदलता कौन है तुम जानते हो
सच कहने से डरता कौन है तुम जानते हो

विधायक जी का शौक है पांच सितारा होटलों में जाम छलकाना
यहां भूख से मरता कौन है तुम जानते हो

तितलियों को आदत है फूल बदलते रहने की
एक डाल पर ठहरता कौन है तुम जानते हो

सांसद निवास में मखमली राजाओं की कोई कमी थोड़ी है
इधर ठंड में ठिठुरकर मरता कौन है तुम जानते हो

तन्हा मैंने भी बहुत सुनी है परियों की कहानियां
मगर असल में आसमान से उतरता कौन है तुम जानते हो

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