रविवार, 29 मार्च 2020

गजल , आओ खुशियों कि मुहं दिखाई करते हैं

      नमस्कार , मैने कुछ दिनों पहले एक गजल लिखी थी जिसे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं मुझे यकिन हे कि आपको ये अच्छी लगेगी

आओ खुशियों कि मुहं दिखाई करते हैं
गमों कि घर से बिदाई करते हैं

छुप छुप के इससे उससे क्या करना
आओ ना खुल के बेवफाई करते हैं

ये जुवानी जंग का क्या मतलब
मैदान में आओ हाथापाई करते हैं

गम नही चेहरे पर मुस्कान बेचना शुरु करो
किसी के जख्मों कि तुरपाई करते हैं

और तनहा गम जख्म मरहम खुशियां
अरे अब तो मोहब्बत कि जगहंसाई करते हैं

      मेरी ये गजल अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
 

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