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शनिवार, 9 नवंबर 2019

काव्य , आएंगे सखी अयोध्या में राम

      नमस्कार , आज हमारे देश के इतिहास का सबसे बडा एवं सबसे विवादित मामले पर फैसला मानमीय सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है मै इस फैसले पर अपनी अथाह खुशी जाहिर करते हुए इस फैसले की पुरे देश को बधाई देता हुं साथ हि साथ मै ये भी कहना चाहता हुं की जिस तरह से सभी आसंकाओ को गलत साबित करते हुए पुरे देश ने इस फैसले को दिल से लगाया है मै इसे भी अपने देश के महान लोकतंत्र की विजय मानता हुं | आज का दिन भारत एवं विश्व के इतिहास मे शांति , सौहार्द एवं भाईचारे के प्रतिक के रुप मे स्वर्णिम शब्दों में लिखा जाएगा | आज एक और एतिहासिक शुरुआत हुई पर मै उसके बारे मे अगली आने वाली पोस्ट मे लिखूंगा |

       आज के इस फैसले की प्रसंसा एवं प्रसंन्नता मे मैने एक छोटा सा काव्य रचने की कोशिश की है जिसे मै आपके सामने रख रहा हुं मुझे उम्मीद है की ये आपको पसंद आएगा -

आएंगे सखी अयोध्या में राम

आएंगे सखी अयोध्या में राम
बरसों से रही है तड़पती अयोध्या
सिसकती अयोध्या तरसती अयोध्या
बिरहन बनी है नगरी अयोध्या
अब दर्शन की प्यास बुझाएंगे राम
आंगन में फिर मुस्काएंगे राम
आएंगे सखी अयोध्या में राम

       मेरा ये काव्य अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

       इस काव्य को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

शनिवार, 11 अगस्त 2018

नटखट नंदलाला है , काव्य

नमस्कार , मैने ये दो छोटी छोटी कविताएं जिन्हें मुक्तक काव्य भी कहा जाता है 28 मई 2017 को लिखी थी आज मै इन्हें आप के सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं | आशा है मेरे प्रयास को आपसे सराहना मिलेगी |

नटखट नंदलाला है , काव्य

(1) - नटखट नंदलाला है -
माखन का चोर वो
गोकुल का ग्वाला है
बंसी का वादक वो
जिसका भोला रूप निराला है
राधा जिसकी दीवानी
वह नटखट नंदलाला है
माखन का चोर वो
गोकुल का ग्वाला है

(2) - नन्हा कान्हा है -
मैंने माखन नहीं खाया मां
एक झूठ जिसे सब ने माना है
यह जो नटखट बालक है
थोड़ा सा जाना पहचाना है
राधिका का दीवाना
मां यशोदा का नन्हा कान्हा है
मां यशोदा का नन्हा कान्हा है

     मेरी मुक्तक काव्य के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मंगलवार, 5 जून 2018

दो मुक्तक काव्य

    नमस्कार ,  मुक्तक काव्य  , श्रव्य काव्य का दूसरा भेद है |  श्रव्य काव्य का पहला भेद प्रबंधन काव्य है | जिसके उपभेद महाकाव्य , खंडकाव्य और आख्यानक गतियां हैं | मुक्तक काव्य की विषय वस्तु स्वतंत्र होती है | यानी मुक्तक काव्य में कहानी या विषय वस्तू का प्रबंधन नहीं होता |  मुक्तक काव्य की रचना छोटे-छोटे पदों या दोनों में की जाती है |  मीराबाई के भक्ति के पद एवं बिहारी के दोहे मुक्तक काव्य की कुछ प्रमुख रचनाएं हैं

     3 जून 2018 को मैंने दो  मुक्तक पदों की रचनाएं की है | जिन्हें मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं |

                            (1)

गिरिधर , कृष्ण , गोपाल

राधा के प्रभु

राधा के प्रभु गिरिधर , कृष्ण , गोपाल
मधुर मधुर बंसी बजाओ
फिर आगन में गईया चराओ
मटकी फोड़ी , माखन चुराओ
गवालों कि तुम फिर टोली बनाओ
हम हैं तुम्हारे दरश को प्यार से
गईयों के रखवाल
राधा के प्रभु गिरिधर , कृष्ण , गोपाल

                           (2)

राम आओ एक बार फिर

राम आओ एक बार फिर

राम आओ एक बार फिर
तुम अवधपुर में
कैसी बची है तुम्हारी अयोध्या
कितनी रही है तुम्हारी अयोध्या
कहां है तुम्हारा भवन वो अवधपुर में
एक बार फिर से वसाओ
तुम्हारा राज फिर अवधपुर में
राम आओ एक बार फिर
तुम अवधपुर में

      मेरे ये दो मुक्तक काव्य आपको कैसे लगे मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

खंडकाव्य , वनवास गमन के पूर्व माता सीता , भगवान राम संवाद

     नमस्कार ,  खंडकाव्य , श्रव्य काव्य के प्रबंधन काव्य का एक रुप है | प्रबंधन काव्य के तीन भेद मे से खंडकाव्य एक है | खंडकाव्य एक छोटे संयोजन का काव्य है | खंड काव्य की विषय वस्तु या कहानी महाकाव्य से या फिर स्वतंत्र रूप से हो सकती है | सुदामा चरित्र , पंचवटी आदि कुछ प्रमुख खंडकाव्य हैं |

    18 मई 2018 को मैंने भी एक खंडकाव्य की रचना करने की कोशिश की थी | मैं उस दिन के संपूर्ण प्रयास को आज आपके सम्मुख प्रस्तुत करने की चेष्टा कर रहा हूं | मुझे ज्ञात है कि मेरी लेखनी अभी छोटी है परंतु यहां मैं केवल अपने प्रयास का प्रदर्शन कर रहा हूं | आपके समर्थन की अपेक्षा करता हूं | खंडकाव्य का शीर्षक है  -

वनवास गमन के पूर्व
माता सीता , भगवान राम संवाद

भगवान श्री राम माता सीता से -

भगवान श्री राम

कंकड़ पत्थर डगर में होंगे
14 वर्ष हम ना नगर में होंगे
कहीं कुटिया बना पाया कहीं वो भी नहीं
मैं अब होने जा रहा हूं वनवासी रि सीता
मत चलो मेरे साथ रि सीता

ना ऐश्वर्य होगा ना दास-दासियों
ना ये मखमल होगा ना सोने की थाली कटोरिया
कंद मूल फल खाने पड़ेंगे
ना मिले तो भूखे ही दिन बिताने पड़ेंगे
कभी-कभी तो रह जाओगी तुम प्यासी रि सीता
मत चलो मेरे साथ रि सीता

यह वह जीवन नहीं होगा
जिसका तुमने सपना संजोया होगा
अपनी हर पूजा-अर्चना में
कामनाओं का फूल पिरोया होगा
मैंने तुम्हारे शुखों का वचन दिया था
राजा जनक का मैं सामना कैसे कर पाऊंगा
माता सुनैना के सवालों का जवाब कैसे दे पाउंगा
अब वास होगा घनघोर वन में
तुम हो जनक दुलारी रि सीता
मत चलो मेरे साथ रि सीता

पिताश्री और माताओं की सेवा करना
मेरे छोटे अनुजो का मार्गदर्शक बनना
अपनी छोटी बहनों की आदर्श बनना
मैं रहूंगा तुम्हारा आभारी रि सीता
मत चलो मेरे साथ रि सीता

माता सीता भगवान श्री राम से -

माता सीता

दीपक के बिन ज्योति कैसी
बिन जल के नदी ही कैसी
बिन नभ के धरती हि कैसी
मेरा जीवन आप से जुड़ा है
आप का सिंदूर है मेरे भाल में स्वामी
वन मैं भी चलूंगी आपके साथ में स्वामी

मैं आपके चरणों की दासी हूं
मुझे ऐश्वर्य की चाहत नहीं
मैं आपके प्रेम की प्यासी हूं
मुझे जेवरों , मखमली से कोई लगाव नहीं
कंकड़ पत्थर में सह लूंगी
भूखी प्यासी मैं रह लूंगी
बस सदा मैं चाहती हूं
आपका हाथ मेरे हाथ में स्वामी
वन मैं भी चलूंगी आपके साथ में स्वामी

आपका साथ ही मेरा शुख है
आपका बिरह ही मेरा दुख है
बिन जल के मछली का जीवन क्या
बिन स्वामी भार्या का जीवन वैसा
मेरे माता पिता मुझ पर गर्व करेंगे
जो मैं गई आपके संग वनवास में स्वामी
वन मैं भी चलूंगी आपके साथ में स्वामी

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      मेरा ये खंडकाव्य आपको कैसा लगा मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

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