शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

कविता , ओम ही प्राण है

      नमस्कार , आपको महा शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं | महा शिवरात्रि के इस पावन पर्व पर मैने एक कविता लिखने का प्रयास किया है जिसे मैं आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूं इस यकीन पर की आपको अच्छी लगेगी |


ओम ही प्राण है 


ओम कोई आकार नही है 

ओम का प्रकार नही है 

ओम जैसे साकार नही है 

ओम वैसे निराकार नही है 

ओम में विकार नही है 

ओम ये निराधार नही है 

ओम स्वयंभूःविचार ही है 

ओम स्वयं आधार ही है 


ओम ही अवधारणा है 

ओम ही कल्पना है 

ओम ही साधक है 

ओम ही साधन है 

ओम ही साध्य है 

ओम ही साधना है 


ओम ही प्रलय है 

ओम ही विलय है 

ओम ही संलयन है 

ओम ही विखंडन है 

ओम ही स्पंदन है 

ओम ही वंदन है 

ओम ही अभिनंदन है 


ओम ही सजीव है 

ओम ही निर्जीव है 

ओम ही प्राण है 

ओम ही प्राणी है 

ओम ही मौन है 

ओम ही वाणी है  


     मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


Trending Posts