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बुधवार, 16 फ़रवरी 2022

शेरो शायरी , शेर कह रहा हूं

      नमस्कार , आठ नौ माह में मैने ट्वीटर पर जो कुछ भी ट्वीट किया है उसे यहां प्रकाशित कर रहा हूं |इसमें कुछ शेर हैं कुछ मुक्तक हैं और कुछ यू ही बस तुकबंदी हैं |


हमारी एक नही कईयो भूमीयों पर ढांचे हैं 

हमे इसका इल्म नही है हम कितने अभागे हैं


मैं रोता हूं दर्द देखकर मासूमों का 

अभी मेरी आंखों का पानी मरा नही है 


यहां तो सब के सब अपने हैं 

तनहा दिल की बात करें तो करें किससे 


तुमको चाहते भी बहुत हैं मगर तुम्हें अपनाएंगे भी नही 

तुमसे मोहब्बत भी बहुत है मगर तुम्हारे पास आएंगे भी नहीं 


मेरी खामोशी से तंग आकर ये कहा उसने 

अब तुम मुझसे कभी बात मत करना 


ये किसने दिल तोड़ा है बादलों का 

कुछ दिन से दिन रात रोए जा रहे हैं 


ये तो सच है इसमें शक क्या है 

गैर कि जान पर तुम्हारा हक क्या है 

जिस दिन जाती हो जान करोडो़ मासूमों की 

उस दिन में मुबारक क्या है 


दर्द के इमान की तारीफ़ करों 

ये सब को एक जैसा होता है 


बस इसलिए जिस्म को बर्दाश्त कर रहा हूं 

मेरी रुह का बहुत कर्जा है मुझ पर 


कौन अपनी मर्जी से चाहेगा तनहा होना 

मेरे नसीब ने यही तोहफ़ा दिया है मुझको 


मैं इसी कोशिश मैं दिन रात आमादा हूं 

बस एक बार ये दिल निकल जाएं तो मशीन हो जाउं 


नजाने क्यों तनहा दिल मेरे पास भी है 

जब सब पहले से तय है इसकी जरुरत क्या है 


मेरी हयात पे हावी है मेरी क़ुदरती बनावट 

ये मुझे चैन से कभी जीने नही देगी 


मै एक हारा हुआ आदमी हूं तनहा 

मगर दिखावा मै जीतने का कर्ता हूं 


नौसिखिये तलवार दिखाकर डरा रहे है उनको 

जिन योद्धाओं ने तनहा हजारों युद्ध जीते हैं 


ये न समझना के दुश्मन सरदारों ने हराया है हमको 

जब भी हराया है तो बस गद्दारों ने हराया है हमको 


मेरी बातों से लाजिम है तेरा खफ़ा होना 

मै तुझे खुश करने के लिए बातें नही करता 


मसला ये है के सच कहता हूं मैं 

झूठ बोलता तो लहजा बदल भी लेता 


नयी फसलें उगाने का मौसम है 

तुम नए फासले मत बढ़ाओ 


यहां के धूप की रंगत बताती है 

यहां की छाँव कितनी सस्ती है 


ऐसे चिरागों को चिराग कहलाने का हक नही 

जिसकी लौ से घर के घर जल जाए 


समंदर ने बदला रास्ता अपना 

एक दरिया जिद पर आगया था 


सच ने डाल रखा है पल्लू माथे पर 

जानता हैं दुनिया मक्कारों की है 


ऐसा लगा मुझे जुगनू से मिलकर 

जैसे मैं किसी दिवाने से मिला 


ऐसा कोई मर्ज नही जिसका इलाज न हो 

गलतफहमी तो पाली जाती है 


आ तुझे दिल की तिजोरी में रखु तू मेरी मोहब्बत की पाई-पाई होजा

मै चटकुं तेरी चाहत में तू मेरी मोहब्बत में टूटकर राई-छाई होजा

तनहा घर के दरवाजे वही रहते हैं बस चिलमन बदलती रहती है

मै तेरा नेकी बदी हो जाउं तू मेरी अच्छाई बुराई होजा


रेगिस्तान के खेतों में चूड़ी खनकेगी

हर खलिहान के माथे पर बिंदी चमकेगी

ये बता दो पत्थर की इमारतों को

सब्ज जमीन पर जिंदगी पनपेगी


गैर तो जैसे भी हैं गैर हैं 

मुझे तो मेरे घर ने पराया कर दिया 


जब जब #भारत मां के आंचल को फाड़ा जाएगा 

तब तब हाथ में लेकर भाला कोई #राणा आएगा 


तनहाई खामोशी शराब गम मदहोशी 

ये सारा इंतजाम बस आज की रात का है 


नाम,दौलत,शोहरत सब तमाम मिल गया 

जो अंगूर के लायक नही था आम मिल गया 

इसी के लिए कर रहा है वो झूठ का कारोबार 

ईनाम का लालची था और ईनाम मिल गया 


अब उसकी मोहब्बत पहले सी नही लगती 

कुछ तो मिलावट है इन शोख अदाओं में 


न जाने क्या सुन लिया धड़कनों में उसने 

शर्म से वो पानी पानी हो गया 


जब करीब था उसके तो बेमजा था सबकुछ 

आज जितना मजा उसके दूर जाने से मिला 


कितना बदल गई है वो जो थी मेरी दुनियां 

हम्हीं हैं जो पुरानी बात लिए बैठे हैं 


एक मोहब्बत करके नाकाम हुए तो करो ये विचार 

दिल तो है एक तुम्हारा लेकिन इसमें कोने चार 


ख्वाबों का घरौंदा सजाए रखा है 

दर्द को मुस्कान से दबाए रखा है 

रोज खुद की तारीफ़ करता हूं उनकी तरह से 

मैने मोहब्बत का भरम बनाए रखा है 


तुम्हें जंगे मैदान में आना ही पड़ेगा

अपना जलता हुआ घर बचाना ही पड़ेगा

तुमको दिखा रहा है क़ूवत वो अपनी 

तुम्हें भी अपना पौरुष दिखाना ही पड़ेगा 


तलाश में रहो नए हां की 

पुराने ना से परेशान क्या होना 


सुना है हाकिम के कदमों में रहता है 

वही जिसने बताई थी मुझे औकात मेरी 


लगेगी धूप तो बहुत पछताएगा वो 

जिस सिरफिरे को पेड़ काटने में मजा आता है 


जमाने ने बताया था हवा मुफ्त की है 

आज मैने लोगों को सांसें खरीदते देखा 


पानी से दिल की आग बुझाई नही जाती 

धोने से रिश्तों की रंगाई नही नही 

तू तो उमर भर का ख्वाब है मेरा 

और ख्वाब की किमत लगाई नही जाती 


ये शायरी कहनेवाला , गाली कह रहा है 

देखो तो ये किसको , जाली कह रहा है 

इसकी आदत है सूरज पर उंगली उठाने की 

साबित नही कर पाएगा , खाली कह रहा है 


मैने तमाम शेर कहे है दिल के हवाले से 

आओ ये अपनी किताब ले जाओ 


दिल लगा रहे हो बरसात के मौसम में 

फिर इश्क़ में भीगने की तैयारी रखो 


झूठ ना बोलें तो क्या करें तनहा 

उनका प्यार भी तो खोया नही जाता 


एक बीमारी सारे चमन को होगई 

और किसी का कोई खुदा न हुआ 


तनहा होना बड़ा सुकून देता है दिल को 

ये बात अपने तजुरबे से बता रहा हूं मैं 


जमीन सुनती रही तान बूंदों की 

बादल रात भर गाता रहा 


सूखा तालाब बता रहा है समंदर को 

लबालब पानी कैसे बहता है 


तेरे आंख में आशु हैं तो बस फिलिस्तीन के लिए 

जो जिहाद लड़ रहें हैं बस एक जमीन के लिए 

अगर है तू सच्चा इमान-ए-दीन वाला तो दर्द बराबर रख 

बलोचों , यमनों और उइ्गर मुस्लिमिन के लिए 


होते तो हैं तमाम फूल दुनियां में 

मगर गुलाब जैसा दुसरा नही होता 


वो भी इंसान है जो सरकार में है कोई जादूगर नही 

तेरी लाशों की सियासत सब को समझ में नही आएगी 

जब तिरगी ही तिरगी हो घर में भी और जहन में भी 

तो मशाल जला ले चिराग जलाने से रोशनी नही आएगी 


महसूस करना चाहता हूं मैं तुझको टचस्क्रीन की तरह 

साथ चाहता हूं मै तेरा इस जमीन की तरह 

मेरी बीमारी है तो बस एक तेरा प्यार है 

तेरा प्यार चाहिए मुझे किसी वैक्सीन की तरह 


एक चांद मेरे कमरे में भी है 

यही सोचकर सब भर चिराग नही जलाया मैने 


मुझे ये उजाला राश नही आता 

वो मेरे करीब पर पास नही आता 

मुझे बचाकर रखना है ये चिराग 

के मेरी कोठरी में चांद नही आता 


मकान मेरा बहुत जर्जर है दोस्तों

जाने ये फूलों की बरसात सह पाए या ना 


मै न जाने आदमी हूं के मशीन 

रोज मुझमें नए किरदार निकल आते हैं 


इसमें घाटा जमाने का नही है 

ये वक्त उन्हें चढाने का नही है 


उसका घर तोड़ रहा है वो अपना घर बनाने के लिए 

सरकार से जंग में है वो सरकार में आने के लिए 


बादलों का कोई सहारा नही होता 

बीना तारों के उजाला नही होता 

हमे आजमाने की गलती ना करना 

सागर का कोई किनारा नही होता 


     मेरी यह शेरो शायरी आपको कैसी लगी मुझे अपने विचारों से अवगत अवश्य करवाए | अपना बहुत ख्याल रखिए, नमस्कार |


शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

शेरो शायरी , तब तुम क्या करोगे जब तुम्हारी सरकार चली जाएगी

    नमस्कार , आज मैं बात करना चाहूंगा एक बहुचर्चित मसले पर जैसा की आप को पता तो चल ही गया होगा की देश के एक बहुत ही जाने माने पत्रकार और रिपब्लिक टीवी के एडीटर इन चीफ श्रीमान अर्नव गोस्वामी को महाराष्ट्र की मुंम्बई पुलिस के द्वारा 2018 के एक कथित आत्महत्या के लिए उकसाने के केस में गिरफ्तार कर लिया गया है | और इस केस के बारे में मुल तथ्य यह है की यह केस 2019 में बंद कर दिया गया था | खैर आप यह सोच रहे होंगे के मै आपको ये सब क्यों बता रहा हूं एवं मैं इसके बारे में क्यों लिख रहा हूं | अगर आप इसे यू देखेंगे तो यह एक सामान्य गिरफ्तारी लगेगी मगर यह इतनी सामान्य नही है |


   दरहसल पिछले छ: महीने से अर्नव सर ने जिस तरह से पालघर साथुओं की लिचिंग की खबर दिखाई और महाराष्ट्र सरकार से सबाल किए फिर जिस तरह से सुशांत कि कथित हत्या के मामले में अर्नव सर ने एक एक सच्चाई दिखाई तथा पुलिस के रवैये पर सबाल उठाया एवं बालीबुड के ड्रग्स कनेक्शन को दुनियां के सामने रख दिया जिसमें बडे़ बडे़ सितारों के नाम आने लगे थे यही नही अभी हाल के ही हाथरस केस की भी सच्चाई दिखा दी तो पाकिस्तान में बैठी और देश के अंदर बैठी उन राष्ट्र विरोधी ताकतों के पेट में दर्द होना लाजमी था | यही वजह है की पहले उनपर हमला किया गया फिर 150 से ज्यादा एफआईआर की गई तब भी अर्नव सर नही रुके फिर फर्जी टीआरपी घोटाला बनाया गया मगर अर्नव सर तब भी नही रुके तो अब अन देश विरोधी और स्नातन विरोधी ताकतों ने अर्नव सर को रोकने का यह तरिका निकाला है और यह गिरफ्तारी इसी बदले की कार्यवाही का परिणाम है | 

मगर उन देश विरोधी ताकतों को यह समझजाना चाहिए की अब अर्नव गोस्वामी मात्र एक शख्स नही है अब वह एक विचारधारा है बदलाव कि एक आग है और बुझाने की कोशिश में आग अक्सर भड़क जाया करती है | मैने अपने इन शेरे में अपने मन के कुछ जज्वात कहने की कोशिश की है आपकी तबज्जो चाहूंगा

मेरे गले को इतना जोर से न दबाओ सुनलो

मेरी आवाज में सारा भारत बोलता है


ऐ हुक्मरानों यू तलवार न चलाओ मुझपर

मेरी कलम की धार तुम्हारी तलवार से बेहतर है


सितमगरों एक दिन तो ये जुल्म की धार चली जाएगी

तब तुम क्या करोगे जब तुम्हारी सरकार चली जाएगी 

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      इन शेरों को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |


सोमवार, 6 जनवरी 2020

शेरो शायरी . kuch ruh ki suna du

     नमस्कार , एक बार फिर से हाजिर हुं मै अपने लिखे कुछ नए शेर लेकर और मुझे बहोत विश्वास है कि ये सारे शेर आपको पसंद आएंगे | कुछ शेर यू कहे है के

तेरे नाम सारी जिंदगी लिख रहा हूं
फक्र है मुझे मैं हिंदी लिख रहा हूं

मै अपना दुखड़ा सुनाउ किसको
चौतरफा घेर कर मार रही है जिंदगी मुझको

शख्सियत से नाग हैं सीरत से नागफनी
ये कैसे लोगों को फरिश्ता बना रखा है तुमने

मैं नहीं कह रहा तुंहें मेरी जान का दुश्मन
मगर मेरे भाई मेरे दुश्मन जान को अपना दुश्मन तो कहो

जब भी जहां भी तन्हा लिखोगे पढ़ोगे सुनोगे बोलोगे
एक शायर तुम्हें बहुत याद आएगा

अब करने लगी है वो भी मेरे मैसेज का रिप्लाई
आज मै उसकी नफरत में सेंध लगा के आया हुं

बच्चों को बेवजह ही मासुम नही कहते
वरना जवानी में कौन चॉकलेट के लिए रोता है

अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाना मिजाज ए राणाई है
केबल ताकत के जोर पर सब हासिल कर लेना ये सोच काबिलाई है

तुम जब भी जहा भी तनहा सुनोगे पढोगे लिखोगे बोलोगे
एक शायर तुम्हे बहोत याद आएगा

ये नही है के बहोत बडा अजुबा हुआ है मेरे साथ
मगर दिल टूटने से कुछ ज्यादा हुआ है मेरे साथ

साम गहरी होगी तो दिल के सारे गम जगमगाएंगे
भवरों को कह दो चुप रहों अब हम गीत गाएंगे

मै मंदिर कि चौखट पर रखा हुआ दीया
मुझसे घर में रोशनी भी कि जा सकती है घर जलाया भी जा सकता है

गुनाह करके सबुत मिटाने का कोई एक ही तरिका थोडी है
फरियादी को डराया धमकाया भी जा सकता है जिंदा जलाया भी जा सकता है

कलम कि किमत पर बाजार कि जरुरते लिखुं
तनहा मै भी मशहुर हो जाउं क्या

कैसे गुजर रहा है मेरा दिन लिखुंगा कभी बाद में
आधी रात को दिवानों को क्या दिखता है चांद में

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गुरुवार, 22 अगस्त 2019

शेरो शायरी, कुछ रुह की सुना दूं 8

       नमस्कार, शेरो शायरी कुछ रुह की सुना दूं की आठवी कड़ी में मै पिहले एक दो महीनों में जो कुछ टूटा फूटा शेर लिख पाया हूं उन्हें आपके दयार में रख रहा हूँ | कुछ शेर यू देखें के

एक रिश्ता है जो आसमा से बड़ा समंदर से गहरा है
गौर से देखो इसमे कही एक लम्हा सा ठहरा है

तिजारती ना सही पर दिल का वास्ता रहेगा ज़िंदगी भर
इस शहर से मेरा राफ्ता रहेगा ज़िंदगी भर

ओठो पर मुस्कान दिल की खुशी मयस्सर हो
हयात के इस सफर में मेरे यारों को हंसी मयस्सर हो

होली दिवाली तीज मनाऊं मैं
वो लौट आए तो ईद मनाऊं मै

तू कुछ मुख्तलिफ रास्ता इख्तियार कर तो जानू
मुझे मेरी कमीयो के साथ प्यार कर तो जानू

मेरे बगैर तेरा निकाह मुकम्मल हो ही नहीं सकता
बाकी सब तो घर से करेंगें तुझे दिल से जुदा कौन करेगा

वो सुन्दर थी खुबसुरत थी हूर थी अप्सरा थी या न जाने क्या थी
जिसने भी उसे एक बार देखा तो फिर मूड मूड कर देखा

मेरे रकीब आज जितना भी तेरे नसीब में आया है
वो सब का सब मेरा छोड़ा हुआ है

इनके उनके जैसे तो कई चेहरे बना लिए मैने
मगर तेरे जैसा कुछ नही बना पाया मै

अचानक कल मेरे करीब आकर ये कहा उसने
तुम्हें एक बात बताउ क्या , छोड़ो जाने दो

जमाने भर के लोग गलतफहमी के शिकार है तनहा
अब मैं सब को मोहब्बत समझाउ क्या , छोड़ो जाने दो

मैने पूछा ही था उससे की मेरी शायरी कैसी लगी
तपाक से उसने कहा एक नंबर

तुम क्यों उतावले हुए जा रहे हो पीने पाने के लिए
किसी को नशे में बहकता हुआ देख लिया क्या

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सोमवार, 22 जुलाई 2019

शेरो शायरी, कुछ रुह की सुना दूं 7

       नमस्कार, हाल के बीते कुछ दो तीन महीने में मैने कुछ शेरो शायरी की है कि क्या है यू कहूं तो करने की कोशिश की है और जो कुछ टूटा फूटा हो पाया है वो आज आपके हवाले कर रहा हूं

जहर के कारोबार का यही अंजाम होगा
बदनाम तो वो होगा ना जिसका कोई नाम होगा

बतन के दुश्मनों से जो दोस्ताना कारोबार करता है
उसका होगा भी तो कितना कौडी दो कौडी का इमान होगा

अपने बेटों की लाशों को भी देखकर जिसकी आंखें नम न हो
आपको लगता है कि की वो शख्स इंसान होगा

कभी शाख से टुटते पत्ते देखें हैं तुमने
मतलब तुमने हमे कभी गौर से नही देखा

पतलों को ये गुमान हैं के कभी मोटे नही होंगे
मोटों को ये गलतफहमी है के कभी पतले नही होंगे

आँसूओं की यही खासियत होती है
आने और जाने का कोई निशान नहीं छोड़ते

एक नाम के दो लफ्ज जब से नारे हो गए हैं
आपसी दोस्त दुश्मन सारे हमारे हो गए हैं

ये हमारी मेहनत और आवाम की मोहब्बतों का नतीजा है
मुखालफिन भी अब मुरीद हमारे हो गए हैं

ये नजारा पहले देखिए खुदा जाने फिर कब मयस्सर हो
कितने खुबसुरत लोग महफिल में तमाशा देखने आए हैं

कितना समझदार समझता था तुझसे पहली दफा मिलने से मै खुद को
आखिर तेरे मासुम से चेहरे ने बेवकूफ बना ही दिया मुझको 

जंगवाजों जंगवाजी यू भी दिखाई जाती है
हार हो या जीत हो दुश्मन शर्मिंदा रहना चाहिए

कुछ लोग अपने नाम कुछ लोग अपने काम से पहचाने जाते हैं
दुनिया मिसाल देती है जिनकी कुछ लोग अपने अंजाम से पहचाने जाते हैं

शहद समझकर आतंकवाद के जहर को पालने वालों
जहर पहले उस प्याले को जलाता है जिसमें वो रखा जाता है

लफ्जों में लगी हुई बीमारी नही हो सकता
तनहा बागी हो सकता है दरबारी नही हो सकता

हमारे सारे बनते हुए काम गड़बड़ा जाते हैं
जब भी सुनते हैं तुम्हारा नाम सकपका जाते हैं

किसी दिन दिल हिचकिचाना बंद करें तो बताएं तुम्हें
हम तुमसे बात करते हुए हड़बड़ा जाते हैं

होश आने पर मदहोशी का खामियाजा न भुगतना पड़ जाए कहीं
संभालो खुद को जवानी की दहलीज़ पर अक्सर पाँव लड़खड़ा जाते हैं

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मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

शेरो शायरी, कुछ रुह की सुना दूं 6

   नमस्कार, तीन चार महीनो के अंतराल में जो कुछ थोडे बहोत शेर कह पाया हूं वो आपके दयार में रख रहा हूं समात करें

वहां चोरों का परिवार नाम बदलकर रहता है
बदन पर कपड़े सलामत चाहते हो तो उस गली जाना मत

ये एक दीया जला है जो तुम्हारे हक की रोशनी तुम्हें देता है
यदि उजाले में रहना चाहते हो तो ये दीया बुझाना मत

जलती हुई धूप को ठंडा कर दिया इसने
इसी बीन मौसम की बरसात ने चंद लम्हे सुकून के मयस्सर कराए हैं हमे

तुम्हें जरा देर से समझ आएगी
ये मेरे दिल की बात है यार

शायरी सब को समझ में नहीं आती
बहोत सही बात है यार

तनहा तुम आज खुलकर कह दो
जो वो नही समझ रहे हैं वही बात है यार

मिलने को फुल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
पत्थर का क्या है कही भी हो सकता है

कमी तो तनहा चलने वालों में होगी वरना
रास्ता तो कही भी हो सकता है

तुम्हारे दिल पर ऐसे ही किसी ऐरे गैरे कि हुकूमत नही होनी चहीए
तुम नेहा हो तुम्हें झूठी तारीफ़ों की जरुरत नही होनी चाहिए

इस रात की सहर होगी तो नजर आएगा ये साया कौन है
ये तो वक्त ही बताएग तुम्हारा अपना कौन है पराया कौन है

डर दिखाकर प्यार खरीदने आया है
मजहब के नाम पर एतबार खरीदने आया है

ये सोचकर अपने सपने मत बेच देना
बिरादरी का है पहली बार खरीदने आया है

करना ही चाहो अगर इतनी बुरी चीज भी नही है
रसीद नही मिलती इसकी पक्की चीज नही है

दिल विल टूटने का खतरा बना रहता है और क्या
ये मोहब्बत ओहब्बत कोई अच्छी चीज नही है

तुम्हें तिजारत करने का सलीका नही आता
दुनियां को डराने का सही तरिका नही आता

बस यही खता होती है मुझसे बार बार
मुझे घुमा फिरा कर बात करना नही आता

यहां कोई खुटे से बंधा नही हैं
मै कोई हाथी नही हूं और तू भी कोई गधा नही है

पत्थर भी अगर प्लास्टिक होगा तो पानी पर तैर जाएगा
यहां सच किसी से छीपा नही है

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शेरो शायरी, कुछ रुह की सुना दूं 5

    नमस्कार, तीन चार महीनो के अंतराल में जो कुछ थोडे बहोत शेर कह पाया हूं वो आपके दयार में रख रहा हूं समात करें

आज तेरे बहोत करीब आया हूं मैं
खुद से बहोत दुर जाना है मुझे

फकत कौन चाहता है घर छोड़कर सफर करना
पेट की आग परिंदों को दरबदर भटकाती है

हर शहर में एक नया घर बनाना पड़ता है
मुसाफिर होने में यही खसारा है

सितमगरो देखो ना में हंस रहा हूं
मुझे रोता हुआ देखना चाहते थे ना तुम लोग

उस लहजे में नही इस लहजे में गुफ्तगू करुं तुमसे
यही तरिका चाहते थे ना तुम लोग

तेरी खिड़की की तरफ से ये उजाला कैसा
आज की रात रात है या कुछ और है

तुम कह रही हो तुम्हें फूलों से पत्तों से मोहब्बत है
यही बात है के बात कुछ और है

पढने लायक किताब हो जाओ तो बताना मुझे
कोई नया ख़िताब हो जाओ तो बताना मुझे

क्या कहा तुम मेरी मोहब्बत हो ठीक है
जब मुझसे बेहिसाब हो जाओ तो बताना मुझे

अभी तो तुम किसी आंगन का चिराग हो
जब कभी आबताब हो जाओ तो बताना मुझे

अब अथाह गहराई तक उतरना पड़ेगा तुम्हें
ओंठ से दिल तक का रास्ता बहोत लम्बा है बहोत दुर तक चलना पड़ेगा तुम्हें

इस कमरे के हर कोने को रोशनी की जरुरत है
जुगनूओं अब चिराग बनकर जलना पड़ेगा तुम्हें

वो जो कभी मेरे जिस्म को लिबास की तरह पहनेगा
बस उसके लिए खुद को साफ सुथरा बनाए रखा है

आज महफिल ए सुखन के निजाम जो बने बैठे हो तुम
तो याद रहे के हर सुखनवर के शेर पर वाह वाह कहना पड़ेगा तुम्हें

अभी तो ये इंसानो के रहने के लायक ही नहीं है
अभी तो इस शहर में थोडा सा जंगल मिलाया जाएगा

यकीनन मुल्क को खिलौनो का घर बना दोगे
गर एक बच्चे को घर का मालिक बना दोगे

तरक्की का ख्वाब पुराना पैतरा हैं उनका
ख़ानदानी मक्कारों के बहकावे में आना मत

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शेरो शायरी, कुछ रुह की सुना दूं 4

    नमस्कार, तीन चार महीनो के अंतराल में जो कुछ थोडे बहोत शेर कह पाया हूं वो आपके दयार में रख रहा हूं समात करें

तेरी मोहब्बत का असर देखुंगा
एक बार जहर पीकर देखुंगा

तो फिर जंगे मैदान में आते क्यों हो
अमन की बात करते हो तो फिदायीन हमले करवाते क्यों हो

तुम तो कहते हो के भारतीय वायुसेना ने कुछ दरख़्त मार गिराए हैं बस
तो फिर टूटे दरख्तों का इंतकाम लेने भारतीय सीमा में आते क्यों हो

सुना है के तुम हमसे याराना करना चाहते हो
तो मिया आतंकवादी को आतंकवादी कहने में घबराते क्यों हो

खुद अपनी शख्सियत मिटाने में डर लगता है
फिर से दिल लगाने में डर लगता है

बड़ी जतन से एक बार जला पाया हूं
अब ये चिराग बुझाने में डर लगता है

शेर से आंख मिलाने की औकात नही रखते
झुंड में तो कुत्ते भी हाथी को देखकर भोंकते हैं

बड़े बड़े मका मिलते हैं मगर वजूद नही मिलते यार
इस शहर में सब कुछ मिलता है मगर ताजे अमरुद नही मिलते यार

कितना मुनासिब होता अगर ये तयशुदा शफर नही होता
और तो सब कुछ है मगर यहां मां के हाथ का खाना मयस्सर नही होता

वो जो इस इमारत कि दसवीं मंजिल पर एक मदारी रहता है
इससे ज्यादा खुश मेरे गाव की गली का भिखारी रहता है

मेरे खिलाफ उठी हर एक आवाज की हिसाब दूं क्या
अब मै कुत्तो के भोंकने का भी जबाब दूं क्या

तेरे पहलु में बैठकर दो धडी रो भी नही पाया मै
कुछ खत लिखे थे तुझे देने को दे भी नही पाया मै

चल ना ज़िन्दगी आज कुछ ज्यादा मुनाफा कमाते हैं
बड़े दिन होगए गाव घूमकर आते हैं

यहां हर एक का इमान आजमाकर बैठा हूं
इसलिए बाजार में अपनी कीमत लगाकर बैठा हूं

बो चाहता था के मोहब्बत के बहाने से मेरा सब कुछ लूट ले जाए
इसलिए मै खुद ही सब कुछ गवाकर बैठा हूं

इसकी बिसात हजारों दुआओं से ज्यादा है
कलाई पर बंधी राखी को सिर्फ धागा मत समझलेना तुम

किन अल्फ़ाज़ों से नवाजू में ऐसे रईसजादों को
कमीना लफ्ज भी इनसे बेहतर होता है

यार ये मोहब्बत करना ठीक नही है
मरने के लिए कोई और रास्ता तलाशुंगा मैं

अपने सारे गम हिफाजत से रखता हूँ मैं
अभी कुछ दिन और मुस्कुराना है मुझे

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शनिवार, 9 फ़रवरी 2019

कुछ रुह की सुना दूँ 3 , शेरो शायरी

  नमस्कार , कुछ और शेर कुछ मिसरे यू देखें के

ये नए जमाने का दौर है झूठ को सच मानते हैं
अंधेरे चरागों से चराग होने का सबूत मांगते हैं

इस मोहल्ले में रहने का अब वो मजा नहीं आता
मेरी खिड़की से मुझे मेरा चांद नजर नहीं आता
.
वो रौब से गुजारिश करते हैं कभी कभी
अरजीया इस तरह तो नहीं लगाई जाती

आज मैं फिर मेरे ईमान को नहीं जला पाया
खाली हाथ हूं इसलिए कि खुद की क़ीमत नहीं लगा पाया

अब कहां इस जहां में सच्चा इंसान मिलता है
यह वो बाजार है जहां कौड़ियों के भाव ईमान बिकता है

मजहब के आंड में हकीकत को झूठलाने लगे हैं  लोग
खुद के चिराग बुझाकर जुगनुओं पर उंगली उठाने लगे हैं लोग

वह देखिए तूफान पड़ा है बिखरा हुआ
सोच कर आया था कि मुझे रेजा - रेजा तोड़ देगा

मैं इस तरह से यू नजर नहीं आता
कुछ खो जाने का डर होता तो ठगों के इलाके में नहीं आता

मैं एक दरिया ही अच्छा हूं वह सागर  बनकर क्या फायदा
जो एक तिशनगी तक बुझा नहीं सकता

अपनी मातृभूमि के लाल हैं बब्बर शेर का कलेजा रखते हैं
जो ताले लगा दे हौंसलों पर हम उन कानूनों के दायरे में नहीं आते

मुझे मेरी काबिलियत का आइना मत दिखाओ जालिमो
सागर अपनी गहराई जानता है

मैं एक हीरा हूं जिसे लोग ईमान कहते हैं
मेरी कीमत सिर्फ उतनी नहीं जितनी जोहरी लगाता है

मैं अपनी आपबीती किसे सुनाऊं तितलियों
मैं दिल की कहता हूं तो लोग हंस कर टाल देते हैं

चंद लफ़्ज़ों की बात नहीं है कि कुछ सैकड़ा पन्नों में आ जाए
जिंदगी से किताब होती है किताब से जिंदगी नहीं होती

दिल की कहने से पहले उनका मिजाज भाप लेना जरूर
ठंडी बयार और लू में फर्क होता है #

बिना बेटियों के घर कैसा होगा
बिना चिड़ियों के घोसला देख लेना

सर्द झोंकों को मामूली समझकर चरागों को अटारी पर नहीं रखते
कभी होश , कभी पानी , कभी बस्तियां कभी , छप्पर ये हवाएं नजाने क्या-क्या उड़ा लेती हैं

मुल्क की असलियत और तरक्की देखनी है तो मजहब का चश्मा उतारिए
कोहरे में साफ रोशनी नजर नहीं आती

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कुछ रुह की सुना दूँ 2 , शेरो शायरी,

  नमस्कार , कुछ शेर कुछ मिसरें यू देखें के

आपकी आदत का ये हिस्सा भी बेहिसाब है
जमाने भर की बुराई खुद करके कहते हैं ,जमाना खराब है

प्यार करना , मगर जबरन हक मत जताना
उनका प्यार फूल है , फूलों को जरा आहिस्ता सहलाना

वह अगर तुमसे रूठ जाए , यह हक है उनका
तो तुम  उन्हें मनाना , तुम भी उनसे मत रुठ जाना

बड़ा अलग सा सुकून मिलता है ऐसा करने में
तुम भी कभी बेवजह मुस्कुराया करो

जवानी में भी बच्चा मां के लिए सिर्फ बच्चा होता है
उसे उसके बढ़ती उमर नजर नहीं आतीअक्सर पड़ी रहती है किसी कोने में सामान की तरह
जवानी में बच्चों को मा , मा नजर नहीं आती

चंद सांसे ना मिली तो इस जहां से रुकसती हो जाती है
रत्ती भर जिंदगी है बस

हां ये सच है मैं टूटा जरूर हूं
मगर मुझे कांच सा बिखरना नहीं आता #

वो और लोग होंगे जो अपने रुख से पलट जाते हैं
सच बात कह कर मुझे मुंकरना नहीं आता #

वो हर छोटी मोटी बात का हिसाब करते हैं
मुझे यह समझ में नहीं आता वो प्यार करते हैं कि मजाक करते हैं

नाजुक गुलाब की पंखुड़ियों को नोचकर इधर-उधर फेका जाता है
नाराजगी कभी-कभार यूं भी जताई जाती है #

सिक्के के दो पहलू एक तरफ नहीं हो सकते
सौदागर से मोहब्बत नहीं होती या मोहब्बत में सौदायगी नहीं होती

कद बढ़ा , हाथ पहुंचे तो ठीक वरना ना सही
मैं रेत के टीलों पर चढ़कर आसमान नहीं छूना चाहता

वो अक्सर पूछते रहते हैं यह तुम्हें कैसे मालूम जब मैंने बताया ही नहीं
उन्हें यह नहीं मालूम कि मुझे आंखों से चेहरे पढ़ने की आदत है

अगर कहीं पर्दा है तो रहना जरूरी है
इंसान को इंसान बना रहना जरूरी है

चाकू-छुरी तलवार खंजर इनकी जरूरत क्या है
बस एक लफ्ज़ कलेजा चीर सकता है

कागज के चंद टुकड़ों में आकर मोहब्बत को नीलाम कर देता
मैं भी तुम्हारी तरह होता तो तुम्हें बदनाम कर देता

जहां भी रहूं जिस हालात में भी रहूं मैं आदतन सच कहता हूं
यह एक ऐब और भी मुझ में है

कालीख को उसने राख से उजला कर दिया
एक सितारे की चमक ने  इंसानी लाशों को धुंधला कर दिया

सच कहना गुनाह है तो गुनहगार हूं.
अगर कानून ये है तो सजा का हकदार हूं

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कुछ रुह की सुना दूँ 1, शेरो शायरी

  नमस्कार , कुछ और शेर कुछ मिसरे यू देखें के

यहां खचाखच भीड़ है कुछ मांगने वालों  की
आप कुछ देने वाले हैं तो उधर से निकल जाइए

मेरे करीब से तेरा गुजर जाना भी  कयामत ढाता है
मुझे देखकर तेरा मुस्कुराना भी कयामत ढाता है

खूबसूरती इतनी है कि उफ
यूं बात-बात पर तेरा रूठ जाना भी कयामत ढाता  है

सावन में उष्ण हे फागुन में नमी हो रही है
मसला ये था ही नहीं , कही की बात है और कहीं हो रही है

कब्रों में रहने वालों की किमत नही समझती
दुनियां कब्रों को बड़ा समझती हैं

भले आसमानों पर आज के उस्तादों का कब्जा है
मगर पुराने दरख़्त नए परिंदों को आसरा देते हैं

गमों ने रिस रिस कर दिल में दर्द का समंदर बना दिया है
यू ही तनहा नही हो गया हूं मैं

हवा पानी जमी आसमा की बिसात न बदल दे वो
वो बदलने पर आया है खुदा कहीं तेरी जात न बदल दे वो

चांद का नूर जरा जरा सा बढ़ता जा रहा है
कोई है के पल पल दिल में उतरता जा रहा है

गुरबत और अमीरी की नाराजगी तो देखिए
तालाब दिन पर दिन सूखते जा रहे हैं समंदर है के बढ़ता जा रहा है

नाराजगी का दायरा चाहे जो कुछ भी हो
अगर किसी से उम्र भर की दोस्ती हो जाए तो निभानी पड़ती है

खुद अपने हाथ से अपनी दुनिया बेरंग मत करो यारों
आंख पर पट्टी लगाकर लुका छुपी खेलने वालों

तेरी एक छोटी सी झुकती हुई नजर वाली मुस्कान ने मार डाला मुझको
वरना मरना इतना भी आसान नहीं है

यूं भी नसीब का मजाक मत उड़ाया करो यारों
चलने से तुम्हारे पांव दर्द करते हैं अरे जो हाथ से चलते हैं उनकी तो सोचो

मुझे बड़ों से बुजुर्गों से पेश आने का सलीका आता है
मियां मुझे भी थोड़ी बहोत उर्दू आती है

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