नमस्कार , चौपाई एक सम मात्रिक छंद है | चौपाई में लगभग 26 मात्राएं होती हैं तथा हर पंक्ति के अंत में एक लघु गुरु होता है | तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा चौपाई की सबसे लोकप्रिय रचना है , जो तकरीबन हर भारतीय को कंठस्थ है | हनुमान चालीसा 40 चौपाइयों का एक समूह है | हनुमान चालीसा की तरह ही दुर्गा चालीसा भी होता है |
आज यानी 04 अगस्त 2018 को मैंने चौपाई छंद में एक रचना करने की शुन्यमात्र कोशिश की है | अपनी इस छोटी सी कोशिश को मैं पूरे साहस से आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं -
जल प्रलय
जल से तरबतर भारत की धारा
जहां तक नेत्र जाए जल हि भरा
जहां तक नेत्र जाए जल हि भरा
जल प्रलय कैसे ये आया
प्राणों पर भी संकट ले आया
प्राणों पर भी संकट ले आया
क्या शिव की यही माया है
जल ही जल सावन लाया है
जल ही जल सावन लाया है
जल से विनाश की कहानी हुई है
सैकड़ों ब्रांड हानि हुई
सैकड़ों ब्रांड हानि हुई
हे नियति और काल के गाल मत बजाओ
हे इंद्रदेव और चल मत बरसातओ
हे इंद्रदेव और चल मत बरसातओ
मेरी चौपाई के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
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