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शनिवार, 11 अगस्त 2018

चार रुबाईया

नमस्कार , जैसा की हम जानते हैं कि मुक्तक मतलब रुबाई , रुबाई मतलब मुक्तक होता है तो 29 जनवरी 2017 को मैने तकरीबन चार रुबाईया लिखी भी जिन्हें आज आप को सुना रहा हूं |

चार रुबाईया

(1)

तुमसे नजरें जो मिला लिया हमने
खुद को दुश्मन बना लिया हमने
तेरे प्यार का और कोई सिला न मिला
फिर भी तुझको दिल में बसा लिया हमने

(2)

आ तुझसे चाहता का बयान दे दूं
तेरे लिए ही दो जहां छोड़ दूं
ये बता मेरे बिन क्या करेगी तू
तू जो कहे तो अभी जान दे दूं 

(3)

तेरे वादों पर हक तेरा है
तेरी मुलाकातों पर हक तेरा है
तू जो चाहे ये रिश्ता तोड़कर चली जाना मगर
तेरी यादों पर हक मेरा है

(4)

तेरी चाहतों को दिल में दबा रखा था
बोलना चाहा फिर भी बेजुबां रखा था
एक रोज अचानक लोगों को पता चल ही गया
खुशबू आई तो देखा फूलों को किताबों में छुपा रखा था

     मेरी रुबाईयों के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

तीन रुबाईया

नमस्कार , ये तीन मुक्तक यानी की रुबाईया मैने 24 जनवरी 2017 को लिखा था |आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं

तीन रुबाईया


(1)

नफरतों से इश्क जब ज्यादा हो जाए
जनम जनम के साथ का जो वादा हो जाए
प्रेम की अमर दास्तां बने
मैं श्यामा हो जाऊंगा जो तू राधा हो जाए मुक्तक

(2)

तुम्हारे बिना अब मेरा कहीं गुजारा नहीं है
इस सागर का  अब और कोई किनारा नहीं है
पर्ची देखकर जब उन्होंने मेरी तरफ घूर कर देखा
तो हमने कहा यह कहीं और से आया है हमारा नहीं है

(3)

तू जो रुठ कर गई तो टूट कर बिखर जाएंगे हम
तेरे प्यार में हद से गुजर जायेंगे हम
वैसे  मुझे गहरे पानी से बहुत डर लगता है
लेकिन तेरे लिए उतने पानी में भी डूब कर मर जाएंगे हम   

     मेरी रुबाईयों के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मंगलवार, 7 अगस्त 2018

रुबाईयां , दिल की बात कह रहा हूं इशारे से

    नमस्कार ,   एक ऐसा छंद जो मुल रुप से हिंदी का नहीं है परंतु हिंदी साहित्य के कुछ सर्वाधिक लोकप्रिय छंदों में शामिल है रुबाई उसका नाम होता है |  रुबाई फारसी और उर्दू का छंद है जिसे दूसरे शब्दों में तराना या तरन्नुम भी कहा जाता है | गजल की पहली चार पंक्तियां रुबाई कहीं होती है | रुबाई और मुक्तक एक ही विधा है |

रुबाईयां,  दिल की बात कह रहा हूं इशारे से


    यहां मैं मेरी लिखी कुछ रुबाइयां आपके साथ साझा कर रहा हूं |  मेरी ख्वाहिश है कि मेरी यह रचना है आपको बेहद पसंद आयें

                          (1)

वो सरेआम नहीं होने देता
मुझे गुमनाम नहीं होने देता
वो अब भी मिलाता है नजरें मुझसे
मुझे बदनाम नहीं होने देता

                ****************

                           (2)

मोहब्बत को आजमाया था
किसी को अपना बनाया था
ये दास्तान  बड़ी लंबी है
कभी मैंने भी दिल लगाया था

                ****************

                            (3)

मैं मुखातिब हूं एक सितारे से
इश्क हो गया है इस नजारे से
तेरी दानाई पर यकीन है मुझे
दिल की बात कह रहा हूं इशारे से

     मेरी रुबाई के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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