शनिवार, 23 मई 2020

मुक्तक . चार लाइनों में बातें करुंगा आपसे 16

      नमस्कार , पिछले एक महीने में मैने कुछ मुक्तक लिखें हैं जिन्हें मैं आपके साथ साझा कर रहा हुं

धुतकारते क्यो हैं आने जाने वाले
क्या चाहते हैं ये जमाने वाले
वो दिल दुखाएं और हम रोए भी नही
क्या चाहते हैं ये चाहने वाले


बिगडी़ दोस्ती और खराब कर लेते हैं
आ पुराना हिसाब किताब कर लेते हैं
मेरे जयाति ताल्लुकात नही हैं उनसे
हां कहीं मिले तो अदबो आदाब कर लेले हैं


डर की सल्तनत को सरकार नही मानेगा
किसी गैर का अपनी रुह पर अधिकार नही मानेगा
हमारे हौसले के जद में आती है पुरी दुनियां
हिन्दूस्तान कोरोना से हार नही मानेगा


उसकी खुशीयां अंजाने के साथ भग गई
घर कि इज्जत जमाने के साथ भग गई
खबर छपी थी कल के अखबार में
फलाने कि बीबी फलाने के साथ भग गई


वाक्ये गिनने पे आया तो पैंतिश छत्तीश निकले
जिन्हे खुदा समझता था मै वो इबलीश निकले
कितनी गलतफहमीयां होती हैं हसीनाओं को लेकर
उनके एक दो आशिक नही पुरे इक्कीश निकले

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मुक्तक . चार लाइनों में बातें करुंगा आपसे 15

       नमस्कार , पिछले एक महीने में मैने कुछ मुक्तक लिखें हैं जिन्हें मैं आपके साथ साझा कर रहा हुं

ये आधा गिलास अॉशु है जिसे शराब कहती है ये दुनियां
हम लोग हि तो सच कहते है हम्हीं को खराब कहती है ये दुनियां
सब कहते हैं जहा पड़ता है सब जलाकर राख कर देता है
यानि के मोहब्बत को तेजाब कहती है ये दुनियां


सपनों कि हिफाजत नही करता मै
यानि कि मोहब्बत में सियासत नही करता मै
मै जानता हुं तेरे विचार मु्क्तलिफ हैं मुझसे
मगर तेरी खिलाफत नही करता मै


पार्टी मालिक के दरबार में हमाली मत करो इमरान
झुठ बोलकर दुआओ से हाथ खाली मत करो इमरान
तुम्हारी हकिकत क्या है जान ही गया है पुरा भारत
बस यही मसवरा है इमान कि दलाली मत करो इमरान


जवानी पर लगी कालिख बन के रह जाओगे
मासुका नही मिली तो नाबालिग बन के रह जाओगे
ऐ खुदा तुझे मालिक कहती है ये दुनियां
इसी गुमा में रहे तो मालिक बन के रह जाओगे


दिल कि दूरीयें में तरक्की चाहता हुं मैं
दुश्मनी भी पक्की चाहता हुं मैं
थोडा़ और थोडा़ और नफरत कर मुझसे
बेवफाई मी सच्ची चाहता हुं मैं

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शनिवार, 2 मई 2020

पहला प्यार

पहला प्यार

निरंतर कोशिशों के पश्चात भी
नहीं दे सके प्यार पहले प्यार की परिभाषा...
श्यामल सांझ के पन्नों में
शांत मन से लिखे कुछ शब्द
पहले पहले प्यार के अहसास से
पर यह क्या?????
शब्दों के साथ पन्ने भी कम पड़ गए...
कभी कभी लगता है
हम कितने अभागे हैं
पहले प्यार के विलक्षण एहसास को
समझ नहीं पाते हैं....
फिर लगता है
कितने भाग्यशाली हैं
समूची कायनात से
जिंदगी के हर पड़ाव पर
प्यार का एहसास होता है....
शिशु के रुदन के के साथ
एक मां के पहले प्यार का एहसास...
मेरे पहले प्यार का नाम
मेरे सर्वस्व की पहचान
जिसने जगत में लाकर
दिया मुझे मान....
पिता की उंगली पकड़ जब चलना सीखा
वह भी प्यार का एहसास था...
भाई की कलाई में मेरी पहली राखी
पहले प्यार के रूप में मेरे पास था.…
हर जगह पर रहते हैं पहले प्यार के पहरे
चेहरे के अंदर दिखते हैं मुझे चेहरे...
पहले प्यार का शायद अंत नहीं होता
निकल आती है कोई ना कोई गुंजाइश
किसी का प्यार कभी आखरी नहीं होता...

दीपमाला पांडेय
12 जून 2019 को 9:56 pm

हरियाणवी कविता . एक छोरी बोले ताउ से

      नमस्कार , मै ने करीब एक वर्ष पहले एक हरियाणवी कविता लिखने का प्रथम प्रयास किया था , उस वक्त संकोच बस मैने इस कविता को आपसे साझा नही किया था पर आज आपके साथ साझा कर रहा हुं | मेरा यह प्रथम प्रयास कैसा रहा मुझे अपने विचारों से जरुर अवगत कराईएगा , आपके विचार मुझे और भी हरियाणवी कविताएं लिखने के लिए प्रेरणा स्वरुप होंगे |

एक छोरी बोले ताउ से

एक दिन
एक छोरी बोले अपने ताउ से
ताउ मने यो बता दे
मने पराया काहे कहबे से ?
मने बोझ काहे कहबे से ?
मै के तने बोझ लागुशु

सबेरे तारे से पहले जागु हूं
बाबडी़ से पानी लाउ हूं
आगन में झाडु लगाउ हूं
रोटी बनाउ हूं
बैलो ने चार खिलाउ हूं
तब फेर स्कुल जाउ हूं

छोरी के सबाल सुन
इधर-उधर देखन लागा
कुछ ना बोल पाया ताउ
मुंह छपाके भागन लागा

     मेरी ये हरियाणवी कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस हरियाणवी कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
 

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