शनिवार, 3 नवंबर 2018

हाइकु , एक हल्की सी झलक देखी थी

    नमस्कार , 'पहली नजर का प्यार' इसके बारे में बहोत सुना होगा आपने और यकीनन महसूस भी किया हो आपने मगर आज पहती नजर की कविता पढीए |

एक हल्की सी झलक देखी थी

घर कर गया मेरे दिल में
जाने क्यों आ जाता है
बार-बार मेरे ख्यालों में

लंबे घने बाल गोरे-गोरे गाल
चंचल सी दो आंखें
उड़ता हुआ दुपट्टा
वो मीठी-मीठी बातें

मैंने कहां देखा था
याद नहीं है
पर इतना याद है
ये रूप सच में देखा था

वो फूलों सा मुस्कुराना
कुछ कहकर सरमाना
बार-बार यूं मुझे चिढ़ाना
जाने क्या बात थी
हुस्न में इतना पहली बार
चमक देखी थी

यै नजरो भरोसा करो
यही तो मैं कहना चाहता हूँ तुमसे
एक हल्की सी झलक देखी थी |

     मेरी हाइकु के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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