शनिवार, 27 मई 2017

किसी का चेहरा जब दिल चुरा ले

'प्यार' बस! इतना सुनते ही सबके मन में अलग अलग विचार आने लगते हैं | जिन्हें प्यार हो चुका है उन्हें अपने प्यार की याद आती है , उन हसीन लम्हों की याद आती है जो उन्होंने अपने प्यार के साथ बिताया है या बिता रहे हैं | और जिन्हें प्यार नहीं हुआ है उनके मन में कुछ सवाल उठने लगते हैं | जैसे कि प्यार क्या होता है ? कब होता है ? कैसे होता है ? किससे होगा ? कहां होगा ?इत्यादि इत्यादि

प्यार का एहसास

      मेरे ख्याल से प्यार दिल की वह भावना है जो किसी के लिए कहीं भी किसी भी वक्त जागृत हो सकती है | किसी को प्यार होने के लिए किसी खास पहनावे , अंदाज या मुहूर्त की जरूरत नहीं होती | हां यह अलग बात है कि अपने प्यार का एहसास किसी को बहुत जल्दी हो जाता है , किसी को कुछ महीनो बाद होता है तो किसी किसी को कुछ सालों बाद भी हो सकता है | लेकिन यह तो तय बात ही समझिए कि हर किसी को किसी किसी से प्यार तो जरूर होता है |

    
अभी तक आपने प्यार के बारे में जितना सुना होगा या पढ़ा होगा उनमें से सबसे ज्यादा 'पहली नजर का प्यार' इसी के बारे में  बातचीत सबसे ज्यादा हुई होगी | पहली नजर के प्यार पर मैंने भी एक गीत लिखी है , मेरा ख्याल है मेरी यह गीत आपको अपने प्यार की याद जरूर दिलाएगी -

किसी का चेहरा जब दिल चुरा ले

प्यार का एहसास

कोई जब निगाहों से अपना बना ले
बताओ गुनाहगार कौन है
किसी का चेहरा जब दिल चुरा ले
बताओ गुनाहगार कौन है

उन्होंने ही नजरों से नजरें मिलाया
उन्होंने अदाओं का जादू चलाया
चोरी - चोरी खत लिखते हैं
फिर भी कहते हैं मोहब्बत नहीं है
हम तो जमाने के निगाहो मे है
बताओ वफादार कौन है

उन रास्तों को तकता हूं मैं
जिन रास्तों से गुजरते हैं वह
बिना काम के वह यहां तक आते
यूं ही यहां से गुजरते हैं वह
मुझे देखकर मुस्कुराते हैं वह
बताओ तलबगार कौन है

कोई जब निगाहों से अपना बना ले
बताओ गुनाहगार कौन है
किसी का चेहरा जब दिल चुरा ले
बताओ गुनाहगार कौन है


     मेरी यह  गीत आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा, कृपया ब्लागस्पाट के कमेंट बॉक्स में सार्वजनिक कमेंट ऐड करिएगा | अगर अपने  विचार को बयां  करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

अगर कोई फूल का पौधा अपने फूल से खुशबू की उम्मीद करता है, तो क्या गलत करता है

      आखिर लोग ऐसा क्यों करते हैं ? आज मैं आप लोगों को एकदम सच्ची  बात बता रहा हूं | कुछ दिनों पहले हमारे यहां वृद्धाआश्रम वाले चंदा मांगने आए थे | जब मैंने उनसे पूछा कि यह चंदा किसलिए ? और यह  वृद्धाआश्रम क्या है ? यहां किस तरह के लोग रहते हैं ? तो उन्होंने बताया कि यहां ऐसे वृद्धजनों को रखा जाता है जिन्हें उनके बच्चों द्वारा , उनके परिवार द्वारा सहारा नहीं दिया जाता बेसहारा छोड़ दिया जाता है या घर से निकाल दिया जाता है उन्हें हमारे संस्थान द्वारा  इस आश्रम में शरण दिया जाता है तथा उनके रहने की पूर्ण व्यवस्था की जाती है | इसके बाद चंदे के रुप में मां ने उन्हें कुछ पैसे दिए और वह चले गए|

अगर कोई फूल का पौधा अपने फूल से  खुशबू की उम्मीद करता है   तो क्या गलत करता है

     तब उनके जाने के बाद मैंने सोचा की क्या ? दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिन्हें अपने मां बाप की कदर नहीं , परवाह नहीं | वह मां-बाप जिन्होंने उन्हें इस दुनिया में लाया है , चलना सिखाया है , बोलना सिखाया है , अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाई है , संस्कार दिए हैं उन्हें इतना काबिल बनाया है कि आज वह अपने पैरों पर खुद खड़े हैं | लेकिन बुढ़ापे में जिस वक्त उनके मां बाप को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होगी उन्होंने उसी वक्त उन्हें अपने से दूर कर दिया , कोई पुराना कपड़ा या सामान समझकर घर से निकाल दिया | यह क्या बात हुई ? , यह तो सरासर गलत बात है | मैं तो कहूंगा यह तो जघन्य अपराध है | इस अपराध की सजा ऐसे लोगों को जरुर मिलनी चाहिए जो अपने मां बाप का ख्याल नहीं रखते |

अगर कोई फूल का पौधा अपने फूल से  खुशबू की उम्मीद करता है   तो क्या गलत करता है

   
इन्हीं ख़यालों को केंद्र में रखकर मैंने एक कविता लिखने की कोशिश की है | जिसमें मैंने फूल के पौधे को मां-बाप की उपमा दी है तथा फूल को बच्चों की उपमा दी है | मुझे यकीन है कि मेरी यह कविता आपके दिल को जरूर छू जाएग

अगर कोई फूल का पौधा अपने फूल से
खुशबू की उम्मीद करता है
               
तो क्या गलत करता है


नजाने कितने सितम मौसम के
सहकर वह खुद को तैयार करता है
अपना आहार काटकर वह
दिन-रात की कड़ी मेहनत से
अपने फूल को तैयार करता है
उसके बदले अगर वह पौधा
जरा से अधिकार की उम्मीद करता है
               
तो क्या गलत करता है

अगर कोई फूल का पौधा अपने फूल से  खुशबू की उम्मीद करता है   तो क्या गलत करता है

उसकी जड़े उसका तना
उस फूल पर बेहद प्यार लुटाते हैं
अपने फूल अपने अंश को वह पौधा
जितना हो सके हर दर्द , हर तकलीफ से
हर आंधी , तूफान से बचाता है
उसके बदले अगर वह पौधा
जरा से प्यार की उम्मीद करता है
              
तो क्या गलत करता है

इन सब अनमोल उपकारों के बदले
अपने फूल से चाहता सिर्फ इतना है
कि जब उसका यह फूल बड़ा हो तो
उसकी गरिमा उसके बलिदानों की लाज रखें
उसके वंश का सम्मान बनाए रखें
अगर वह पौधा अपने फूल से
सुगंधित महकने की उम्मीद करता है
                
तो क्या गलत करता है

फिर क्यों फूल पौधे को तड़पाता है
आखिर क्यों फूल पौधे को बुढ़ापे में छोड़ जाता है
उस पौधे को क्यों रुलाता है
अपनी मर्जी , अपनी जिंदगी के नाम पर
वह फूल सुगंधित महकना क्यों भूल जाता है
उम्र के इस मुकाम पर अगर वह पौधा अपने फूल से
जरा से सहारे की उम्मीद करता है
                
तो क्या गलत करता है

      
मेरी यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा, कृपया ब्लागस्पाट के कमेंट बॉक्स में सार्वजनिक कमेंट ऐड करिएगा | अगर अपने  विचार को बयां  करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

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