नमस्कार , शराब पीने से गम नहीं मिटता यह पीने का एक बहाना है | ये गजल अखबार में प्रकाशित एक खबर पर मन की उपज है | इस रचना को मैने 1 फरवरी 2017 को लिखा था | गजल छोटी है पर गजल को लिखने का मक़सद बहुत बड़ा है |
ये वह सच है जिसे जानता जमाना है
शराब पीने से गम नहीं मिटता ये पीने का एक बहाना है
शराब पीने से गम नहीं मिटता ये पीने का एक बहाना है
अब क्या बाकी है मेरी जिंदगी में तुझसे बिछड़ कर
तन्हाइयों का साया है मौसमो का आना जाना है
तन्हाइयों का साया है मौसमो का आना जाना है
वो दौर और था जब हम कभी गुनगुनाते थे
बड़ी मुद्दत हो गई अब ये किस्सा बहुत पुराना है
बड़ी मुद्दत हो गई अब ये किस्सा बहुत पुराना है
मेरा हश्र क्या हुआ इश्क में किसी से बेरूखी से पूछो
जिंदगी कब की जल गई बाकी अब बस घर जलाना है
जिंदगी कब की जल गई बाकी अब बस घर जलाना है
मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
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