शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020

ग़ज़ल , जिंदगी कठिन है,यूं बातें करने से कुछ नहीं होगा

 जिंदगी कठिन है,यूं बातें करने से कुछ नहीं होगा

जी ले जीने के लिए,यूं मरने से कुछ नहीं होगा


जिंदगी दरिया है और हमें खुद ही तैरना होगा

बना ले खुद किनारा,यूं तड़पने से कुछ नहीं होगा


एक बात याद रख,तू आसमान का बादल है

खुशी की बरसात कर,यूं गरजने से कुछ नहीं होगा


संघर्ष है जिंदगी और हमारी कठिन कहानी है

लड़ जा जिंदगी से,सिर्फ समझने से कुछ नहीं होगा


उड़ता पंछी है तू और ये आसमान सब तेरा है

तेज़ हवाए देख कर,यूं गिरने से कुछ नहीं होगा


अभी तो तेरी शुरुआत है लम्बी तेरी जवानी है

जीना सिख अब,यू मौत पकड़ने से कुछ नहीं होगा

~नवोदयन 'कान्हा'

27 अक्तूबर 2020 को 6:19 pm

शनिवार, 3 अक्तूबर 2020

ग़ज़ल , फला कहता है विकास की बहार आई है

      नमस्कार , मैने आज एक नयी ग़ज़ल लिखी है जिसे मैं अपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ पढ़ कर जरुर बताए की कैसी रही 

फला कहता है विकास की बहार आई है

मेरी दुआ तो उसकी नजर उतार आई है


सुनते हैं उसने कोई नया कानुन बनाया है

किसानों में गुस्से की खबरें हजार आई है


योगीजी के राज में बलात्कार होगया भाई

सियासत करने वालों की भरमार आई है


लगता है देश में गृहयुद्ध करा देंगें न्युज चैनल

ब्रेकिंग न्युज एक के बाद एक लगातार आई है


फलाने का लड़का अब पड़ता है रात भर

उस गांव में ना बिजली पहली बार आई है


सुखीया दद्दा बता रहे थे दुक्खीलाल को

इलाज मुफ्त जब से फला की सरकार आई है


तनहा एक तो चुनाव दो हार उस पर महामारी

विरोधी नेताओं की नयी पीढी़ ही बेकार आई है

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      इस ग़ज़ल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

मुक्तक , चार र चार लाइनों में बातें करुंगा आपसे 19

      नमस्कार , पिछले एक महिने के दौरान मैने कुछ मुक्तक लिखें हैं जिन्हे मैं अपके समक्ष प्रस्तुत करने कि इजाजत चाहूँगा , मुक्तक देखें के

हर सबूत को हर सत्य को तोड़ मरोड़ करने पर आमादा हैं 

वो पत्रकारिता के नाम पर कातिलों से गठजोड़ करने पर आमादा हैं

आतंकियों और कातिलों को मासूम बनाकर tv चैनलों पर दिखाने वाले

ये हमारी इंसाफ की लडा़ई को कमजोर करने पर आमादा हैं


बिना आग लगे कहीं से यू ही धूआं निकलता नही है

झुठ के तेल के बिना सच का चिराग जलता नही है

तुम सच कह रहे हो भारत तुम पर भारत यकीन करता है

किसी के काला कहने से सुरज का सच बदलता नही है


मोहब्बत का ठोंग रचा जाता है वफा का नाम लेकर

वो तुमसे झुठ बोलता है तुम्हारे खुदा का नाम लेकर

तुम भी तीसरी बार मोहब्बत करो दिल साफ करके

और इसकी शुरुआत करों पहली दो बेवफा का नाम लेकर


पाप को तेरी ललकार सुनी है आज पुरी दुनियां ने

सत्य की सच्ची पुकार सुनी है आज पुरी दुनियां ने

अत्याचारी दंभ भरेगा कब तक अपनी झुठी सत्ता का

हिन्द के शेरनी कि दहाड़ सुनी है आज पुरी दुनियां ने


'चौकिदार चोर है' के खुब नारे लगे थे

चुनाव जीतने इसी के सहारे लगे थे

कोई इन्हें न झुठा कहो न कहो फरेबी

पास होने के चक्कर में पप्पु हमारे लगे थे


हर पीडित बेटी के साथ इंसाफ होना चाहिए

योगी तेरे राज से ये आगाज होना चाहिए

बलात्कार आज समाज में फैली महामारी है

इस महामारी का जड़ से इलाज होना चाहिए


स्वार्थ के लिए इस धरा को नर्क मत करो

सियासत के लिए दिखावे का वर्क मत करो

एक जगह खुब होहल्ला दुसरी जगह सन्नाटा

नेताजी सुनोंं बेटी बेटी में तो फर्क मत करो

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शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

मुक्तक , बलात्कार आज समाज में फैली महामारी है

      नमस्कार , उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले से दिल दहला देने वाली #कथित सामुहिक बलात्कार की घटना देश में छायी हुई है , कुछ लोग इसे निर्थया 2 कह रहे है और कहा भी जाना चाहिए क्योंकि खबरों के मुताबिक उस बहन के साथ बर्बरता ही इतनी कि गई थी तभी तो वह पंन्द्रह दिन वह दर्द सहती रही और आखिर में दर्द नही सह पाई और इस दुनियां से चल बसी | खबर है कि चारों आरोपियों को पकड़ लिया गया है और कडी़ कार्यवाही करने का आश्वासन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा दिया जा रहा है | आथी रात को परिवार की मर्जी के बीना बेटी की लाश जलाने को लेकर पुलिस कि भुमिका संदेह के घेरे में है | मेरी यही मांग और प्रार्थना माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से है जिसे मैने इन चार लाइनों में लिखा है


हर पीडित बेटी के साथ इंसाफ होना चाहिए

योगी तेरे राज से ये आगाज होना चाहिए

बलात्कार आज समाज में फैली महामारी है

इस महामारी का जड़ से इलाज होना चाहिए


     मगर इस बीच इसे लेकर जैसा हिंन्दुस्तान में आम तौर पर चुनाव के वक्त पर होता है सियासत भी खुब हो रही है | कुछ लोग इस सामाजिक अपराथ को दलित बनाम स्वर्ण बनाने पर लगे है , कुछ नेता मौकाफरस्ती कर रहे हैं , बलात्कार की खबरे अन्य राज्यों से भी आरही है पर सलेक्टिव होकर केवल उत्तर प्रदेश के हाथरस ही जा रहे है पीडित परिवार से मिलने मगर अन्य जगहों पर नही | ऐसे नेताओं के लिए भी मैने चार लाइनों में यू अपनी बात कहने कि कोशिश की है 


स्वार्थ के लिए इस धरा को नर्क मत करो

सियासत के लिए दिखावे का वर्क मत करो

एक जगह खुब होहल्ला दुसरी जगह सन्नाटा

नेताजी सुनोंं बेटी बेटी में तो फर्क मत करो


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