गुरुवार, 15 नवंबर 2018

कविता, विधानसभा चुनाव की गर्मी

    नमस्कार , आप को छठ पुजा की हार्दिक शुभकामनाएँ | इस माह यानी नवम्बर 2018 में पाच राज्यों में विधान सभा के चुनाव होने हैं जिसमे हमारा राज्य मध्य प्रदेश भी सामील है और आने वाले नये वर्ष यानी 2019 में लोक सभा के चुनाव होने हैं इसलिए हर राजनीतिक और उनकी सहयोगी पार्टीयां हर तरह का राजनीतिक हथकंडा अपना रहे है के किसी तरह से जनता का विश्वास जीत ले और सरकार में आजाएं |

    आजकल चल रहे चुनाव प्रचार और टीवी न्यूज चैनलों पर खबरों को सुनकर दो तीन दिन पहले मै ने एक कविता लिखी है जिसे मैं आप की अदालत में रख रहा हूं अगर ये कविता आप के दिल की बात कहती हुई नजर आए तो मैं अपने साहित्यिक शफर के लिए आपका साध चाहूंगा |

विधानसभा चुनाव की गर्मी

छा गई है माहौल में सरगर्मी
नेताओं और मंत्रियों के मिजाज में
आने लगी है नरमी
क्योंकि कड़ाके की ठंड में
बढ़ने लगी है विधानसभा चुनाव की गर्मी

सत्तारूढ़ पार्टी सत्ता में बने रहना चाहती है
विपक्षी पार्टी सत्ता में आना चाहती है
जिन सपनों की टॉफी खिलाकर
सत्तारूढ़ पार्टी सत्ता में आई थी
पाच साल पहले जो टॉफिया नहीं खप पायी थी
उन्हीं टॉफियों को जनता को खिलाना चाहती है
इसके जवाब में विपक्षी पार्टी
जनता को चॉकलेट आइसक्रीम का
लालच दिखाना चाहती है
खुद को सबसे महान साबित करना चाहती है
जो नेता , मंत्री चुनाव जीतने के बाद
अपना मुंह तक नहीं दिखाते
वो अब जा जाकर लोगों के आगे झुक रहे हैं
मासूम जनता को खरीदने की कोशिश कर रहे हैं
जिताने की मिन्नतें कर रहे हैं
जरा देखिए तो इनकी बेशर्मी
बढ़ने लगी है विधानसभा चुनाव की गर्मी

चोर चोर मौसेरे भाई
एक दूसरे को चोर कहने लगे है
अचानक से राफाएल जैसे घोटालों के
पोल खोलने लगे हैं
कुछ नेता , मंत्री राम मंदिर - राम मंदिर और
कुछ जनेऊधारी राम भक्त हिंदू बनने लगे है
कोई किसी को पापी कहता है
कोई किसी को राष्ट्र विरोधी कहता है
और कोई कहता है अधर्मी
बढ़ने लगी है विधानसभा चुनाव की गर्मी

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

दिवाली कविता , एक दीप हम जलाएंअमर शहीद जवानों के नाम पर

   नमस्कार , आप को एवं आपके परिवार को प्रकाश के पावन पर्व दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ | दिवाली बस इस नाम से ही इस त्यौहार की विशालता एवं भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है | दिवाली का पर्व प्रकाश का पर्व होने के साथ साथ स्वच्छता एवं खुशीयों के घर आने का प्रतीक भी है |आज जब सारा देश अपने घरों में चिराग रोशन कर रहा होगा तो जरा उन घरों के बारे में भी सोचिए जिस घर ने अपना चिराग खोया है , जिस घर का बेटा हमारी सुरक्षा के लिए हमारे देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणो की आहूति दे दी | तो क्या हम देशवासीयो का यह कर्तव्य नही है के हम उन पूण्य बलिदानीयो को इस दिवाली या आगे आने वाली हर दिवाली पर एक दीया उनके नाम का जलाकर अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित करें |

 एक दीप हम जलाएंअमर शहीद जवानों के नाम पर

   मेरे इसी नेक ख्याल को मैने एक कविता की शक्ल देने की कोशिश कि है | अगर आप को ये कविता पसंद आये और आप मेरे इस विचार से सहमत हैं तो कृपया एक दीया अमर शहीद वीर जवानों के नाम पर जरूर जलाये |

एक दीप हम जलाएं
अमर शहीद जवानों के नाम पर

जब रोशन होंगे
नगर-नगर , गांव-गांव , शहर-शहर , घर-घर
तब यह फर्ज है
हम सभी भारत वासियों का
कृतज्ञता दर्शाने का
अपनी दुआओं को प्रकाश रूप देखकर
उस घर की देहरी दरवाजों तक जरूर पहुंचाएं
जिस घर ने अपना चिराग खोया है
उस मां के आंचल को
सादर प्रणाम अर्पित करते हुए
उनके मुख मंडल की खामोशी को
मुस्कान में बदलते हुए
यह प्रकाश उस घर को रोशन कर दे
मेरी बिनती है मेरे भारत देश से
एक दीप हम जलाएं
अमर शहीद जवानों के नाम पर

    मेरी यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै तहेदिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

शनिवार, 3 नवंबर 2018

हाइकु , एक हल्की सी झलक देखी थी

    नमस्कार , 'पहली नजर का प्यार' इसके बारे में बहोत सुना होगा आपने और यकीनन महसूस भी किया हो आपने मगर आज पहती नजर की कविता पढीए |

एक हल्की सी झलक देखी थी

घर कर गया मेरे दिल में
जाने क्यों आ जाता है
बार-बार मेरे ख्यालों में

लंबे घने बाल गोरे-गोरे गाल
चंचल सी दो आंखें
उड़ता हुआ दुपट्टा
वो मीठी-मीठी बातें

मैंने कहां देखा था
याद नहीं है
पर इतना याद है
ये रूप सच में देखा था

वो फूलों सा मुस्कुराना
कुछ कहकर सरमाना
बार-बार यूं मुझे चिढ़ाना
जाने क्या बात थी
हुस्न में इतना पहली बार
चमक देखी थी

यै नजरो भरोसा करो
यही तो मैं कहना चाहता हूँ तुमसे
एक हल्की सी झलक देखी थी |

     मेरी हाइकु के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता , यादो की रात भली होती है

    नमस्कार , यादें एक ऐसा विषय रही है जिस पर बहोत अधिक साहित्य रचित हैं | यादों पर शायरी एवं कविताओं का एक हुजूम मिल जायेगा | मेरे एहसास से मेरे नजरीये याद पर एक छोटी सी कविता आप के लिए लेकर आया हूं |

यादो की रात भली होती है

जब अंधेरे में हवाएं छली होती हैं
सच कहता हूं मैं
वो यादो की रात
भली होती है

तन्हाइयाँ भीतर से सताती हैं
तुझमे मैं हूँ
जाने क्या-क्या अहसास दिलाती है
महमाँ पड़ जाता है बताना
तस्वीरें अधजती होतीे हैं

बेकरारी का आलम रहता है
सरगर्मी का मौसम होता है
बार-बार यही आता है ख्याल
रुठने का मलाल होता है
दिलो की तकरार तली होती है

एक चिराग जलता है
मन्द हवाओ में चुप्पी साधे हुऐ
आँखों से निदे गुम होती है
दिलो में हलचल मची होती है

एकान्त रहता है मन यादो में
ख्वाबो में महोब्बत मिली होती है
वो यादो की रात
भली होती है

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, प्यार का मौसम आने को है

     नमस्कार , मेरी ये कविता प्यार के मेरे मन में एक हल्के से आहट की है जो मैने तकरीबन दो साल पहले डिगरी के दूसरे साल में महसूस किया था | आप भी इस कविता का आनंद लें |
प्यार का मौसम 

कविता, प्यार का मौसम आने को है

ठंडी-ठंडी बहे पूर्वी हवाएंँ
मेघा रिमझिम बुंदे बरसाएं
घुमड़-घुमड़ बादल छाएं
दामिनी चमकी बताने को है
तू नहीं मेरे पास पर
        प्यार का मौसम आने को है

धड़कने मेरी क्या कहती हैं
उनींदी नजरो का सार तु
सांसें भी आहट करती हैं
ना समझी तुम पर
चाहतों की खबर जमाने को है
तू नहीं मेरे पास मगर
        प्यार का मौसम आने को है

मोरनी मोर संग नृत्य करे
भँवरी भँवरे संग कृत्य करे
कोयलीयाँ कोयले संग संगीत रचे
बदली धरती के पास आने को है
तू नहीं मेरे पास जाने क्यों
        प्यार का मौसम आने को है

रुठ गई हो जब से
ना कोई चिठ्ठी ना कोई पाती
मुझे भूल गई हो लगता जैसे
ये इत्तेफाकन मिलना दूरियांँ मिटाने को है
तू नहीं मेरे पास मगर
         प्यार का मौसम आने को है

काली घनी रात होगी
सनसनाती हुई हवाएंँ बहेगी
अजीब सी कसमकस खामोशी मेरे
पास पांँव पसारे होगी और
तेरी यादें तड़पाने को है
तू नहीं मेरे पास मगर
          प्यार का मौसम आने को है
     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

कविता , बिछड़ने का गम जरा कम होता है

    नमस्कार , एक सप्ताह की दिवाली कि छुट्टी पर हूं तो कोशिश कर रहा हूं कि अपनी जितनी रचनाएं अभी तक आप तक नही पहुंचापाया हूं उन्हें आपके सम्मुख प्रस्तुत करूं | इसी सिलसिले में पहली कविता आपको समर्पित कर रहा हूं |
कविता , बिछड़ने का गम जरा कम होता है
बिछड़ने का गम जरा कम होता है

वो बन गई थी जिंदगी मेरी
मै था धड़कन उसकी
उनके मुंह मोड़ने के बाद से
खत्म ये भरम होता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है

किसी के इंतजार में
किसी के बेसब्र प्यार में
फलक से दूर तन्हा
कोई दिवाना, सनम होता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है

ऐ खुदा बता तू
जिसे मैं जा देता हूँ
अगर वो मुझे बेसहार कर दे तो
फिर क्यों कहते वो, पागल हरदम रोता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है

जब जिंदगी साथ छोड़ जाती है
खामोशियां तन्हाइयाँं दिल को घर बनाती हैं
नैनों की निदे टकराती हैं
तब यादो का ही तो मरहम होता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है |

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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