शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

कविता, मुझे उम्मीद है

नमस्कार , मेरी छोटी आखों में पल रहे सपनों को इस कविता में मैने उम्मीदों के हवाले से कहने की कोशिश कि थी | इस कविता कि रचना मै ने 30 सितंबर 2017 को किया था | आप के भी गर मेरे हि तरह के सपने है तो ये कविता आपको अपने सपनों का आइना महसूस होगी |

कविता, मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
मैं एक दिन चमकूंगा
तारे की तरह
मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
मैं जीवन की दौड़ जीत जाऊंगा
विजेता की तरह
मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
मैं अपने जीवन का एक दिन जीवित रहूंगा
मेरे सपने की तरह
मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
मैं अपने सच्चे सोलमीट को एक दिन मिल जाऊंगा
प्रेमियों की तरह
मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
दुनिया मानवता के मूल्य को समझ जाएगी
मनुष्य की तरह
मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
मैं अपने जीवन के एक दिन के अंत में मर जाऊंगा
एक शुद्ध मानव आत्मा की तरह
मुझे उम्मीद है

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Trending Posts