शनिवार, 14 मार्च 2020

गजल , उसका रुठना और मेरा मनाना लाजमी था

     नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

उसका रुठना और मेरा मनाना लाजमी था
उसका दूर और मेरा पास जाना लाजमी था

पाहली मोहब्बत का पहला मौका-ए-वस्ल
उसका शर्माना और हाथ छुडा़ना लाजमी था

तमाम दुनियां कि फिक्र और जमाने का डर
उसका मुस्कुराना और घबराना लाजमी था

तनहा दिल की दशा ही कुछ ऐसी थी
उसका गाना और गुनगुनाना लाजमी था

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      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

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