रविवार, 30 दिसंबर 2018

नज्म, हमारे मोहब्बत का तो कबाड़ा सा हो गया है

     नमस्कार प्रणाम अर्पित करता हूं आपको , ये एक और छोटी सी नज्म पेशे खिदमत है मुझे उम्मीद है कि मेरी ये रचना आपको आनंदित करेगी |

हम निगाहों के लहरों में बहते जा रहे हैं
नजाने किनारा यूं खो सा गया है

सहते जा रहे हैं हम बेवफाई के दर्दों को
मरहम हमारा कहीं खो सा गया है

बस्तियां बसेंगी मेरी कब्र पर
प्रियतम हमारा हमसे दूर हो सा गया है

आंखें बिछी हैं आपके सफर पर आशिकों की
हमारे मोहब्बत का तो कबाड़ा सा हो गया है

      मेरी नज्म के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

नज्म, कही गुस्ताखी न बन जाए यह जवानी

       नमस्कार प्रणाम , दिसंबर 2012 की 10 रचनाओं की अगली कड़ी में मै आपके दयार में एक नज्म प्रस्तुत कर रहा हूं आपके अपनाव की आशा है |

आज जिंदगी लिख रही है यह एक नई कहानी
होश में आ जा मस्ताने कहीं गुस्ताखी न बन जाए यह जवानी

रोमटे सिहर उठे हैं देखते ही यह रवानी
जंग है हाथ में शमशीर है तो इतिहास को दे दे एक नई मुंह जबानी

चाहते तो बहुत थी पर भूल गई वह दीवानी
न जाने कौन छोड़ गया उसे मेरी यादों में महकती है जैसे ही कोई रात रानी

कल की परवाह है किसे है एक जिंदगानी
इसे जी ले या बहा दे ऐसे जैसे बहता है नदियों में पानी

आज काली रात है तो कल होगी सहर सुहानी
उम्मीद ना छोड़ तू यही है जो कल होंगी बढ़कर सयानी

दर्द दिल में जो छुपा है ,  तू जानता है हमें आंसू नहीं बहानी
बता दे दुनिया वालों को ना देख तू तारे आसमानी

    मेरी नज्म के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, एक चाहत नए साल में हम मिले

     नमस्कार , मेरी अब तक की कविताओं में ये कविता कुछ अलग से मिजाज की हुई है | मै तहे दिल से चाहता हूँ के आप मेरी इस लघु रचना को प्रोत्साहित करने की कोशिश करें |

एक चाहत , नए साल में हम मिले

प्यासे को पानी
                    मिले
भूखे को रोटी का स्वाद
                    मिले
चांद को सूरज
                    मिले
आसमान को जमीन
                    मिले
यह दुआ है हमारे दिल
                    मिले
इस नए साल में हम 
                    मिले

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, नई उम्मीदें नई आदतें सीखो

    नमस्कार , दिसंबर 2012 की रचनाओं की अगली कड़ी में एक कविता सुनाना चाहता हूँ | कविता कैसी रही मुझे जरूर बताइएगा |

नई उम्मीदें नई आदतें सीखो

पलकों में नए सपने
सजाकर रखना सीखो
अरमानों को कुचल
दर्द भुला कर चलना सीखो
जीवन पथरीली डगर है
जख्मों को सहलाना सीखो

चार कदम चले हो
थक गए क्या
इस थकन को भुलाना सीखो
क्या हुआ अगर
मुश्किलें हैं , बहुत
पर गिरकर संभालना सीखो

तिल तिल कर क्यों मरोगे
अपराध के खिलाफ तुम लड़ना सीखो
क्या कहा तुमने की
सुनता नहीं जमाना
तो तुम भी जमाने में
जोर से कहना सीखो

भूल गए वह दिन जब
लोग तुम पर हंसते थे
अब तुम भी उन पर हंसना सीखो
गुमसुम से हो क्यों
दर्द हुआ था क्या
अब तुम भी ठोकरों को दर्द देना सीखो

मिलती नहीं है नदियां
अब जाकर सागर में
अब तुम भी अलग रहना सीखो
क्या कहा उसने तुम्हें
तुम कायर हो , तुम बुजदिल हो
तुम बुजदिल नहीं हो पलट कर कहना सीखो

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, सौगात नए साल की

    नमस्कार , 2018 के दिसंबर महीने के इस आखिरी सप्ताह में मै मेरे द्वारा दिसंबर 2012 में लिखित 10 रचनाएं प्रकाशित कर रहा हूं |

    रचनाओं की इस कड़ी में मै सर्व प्रथम एक कविता आपके मयार के लिए हाजिर कर रहा हूं | मुझे आपके प्यार की ख्वाहिश है |

सौगात नए साल की

चांद की चांदनी
सूरज की किरणें
सांझ का सवेरा
सागर की लहरें
यह रीत है जहान की
आपसे मिलना
फिर दिलों का मिलना
सपनों का सजना
फूलों का खिलना
यह सौगात है
नए साल की

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

रविवार, 9 दिसंबर 2018

कविता, आगे इंसानों की बस्ती है

    नमस्कार , महानगरों में हमारे शहरों में जिस तरह से मानवता, आपसी सहयोग एवं भाईचारे का हास हो रहा है उसे देखते हुए तकिबन तिन बरस पहले लिखी मेरी एक कविता याद आती है { आज अचानक ये कविता आपको सुनाने की वजह अखबार में छपी एक खबर है जिसमें बताया गया है के एक सड़क दुर्घटना होने के बाद वहा पर उपस्थित लोगों ने घायलों की मदद करने की जगह उनका विडियो बनाना मुनासिब समझा |

आगे इंसानो की बस्ती है

यहां यहां तो लोग किसी की लाचारी का तमाशा देखते हैं
सब सुनते हे मगर फिर भी खामोश रहते हैं
किसी की चीख सुनकर भी इनके दिल नहीं  पसीजते
दर्द देने सहने की आदत है इन्हें
जहां हर रोज एक  मासूम दर्द से चीखती है
                    यह मुर्दों का शहर है
                    आगे इंसानों की बस्ती है

कोई किसी का नहीं है यहां सब स्वार्थ में अंधे हैं
किसी का काला दिल है तो किसी के काले धंधे हैं
रिश्तो को सब भूल गए हैं भूल गए सब भाई चारा
कौन सा खुदा इन्हें बताएगा
प्रेम हे धर्म तुम्हारा
मत मिटाओ इंसानियत को
मगर हर गली-मोहल्लों मे जिंदगी यहां तड़पती है
                     यह मुर्दों का शहर है
                     आगे इंसानों की बस्ती है

क्या हुआ अगर  तुमने लोगों को हंसता देख लिया
किसी मंदिर में कोई जलता दिया देख लिया
इसका मतलब यह नहीं  यहां खुशियां  मुस्कुराती हैं
यह तो एक छलावा है
असल में यह नफरत की आग धधकती है
                       यह तो मुर्दों का शहर है
                       आगे इंसानों की बस्ती है

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

नज्म, कौन लिखता है मेरी किस्मत

   नमस्कार , मेरे अवसाद से भरे मन की उपज ये नज्म जिसे मै आज आपके दयार में आपके हवाले करता हूं |

कौन लिखता है मेरी किस्मत

कौन लिखता है मेरी किस्मत
जरा उसका नाम बता दो
एक बार मैं उससे पूछना चाहता हूं
आखिर तुम यह राज बता दो
क्या खता मुझसे हुई थी
कहां और कब हुई थी
जो तुमने इतनी तकलीफ है लिखी
इतनी ठोकरों का फरमान सुनाया
यह दशा हो गई है मेरी
कि अब नहीं होता यकीन यकीन पर भी
कांपते हैं पांव मेरे जमीन पर भी
न जाने कहां से तेरा लिखा कोई पत्थर आए
और मुझे झकझोर कर फिर
गम की कोई वजह दे जाए
मैं पूछना चाहता हूं तुझसे
आखिर कौन लिखता है मेरी किस्मत
जरा उसका नाम बता दो
एक बार मैं उससे पूछना चाहता हूं

    मेरी नज्म के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, अगर

नमस्कार , एक बेहद पुरानी गजल मेरी जिसे लिखे हुए तिन साल से भी ज्यादा का वक्त हो गया आज आपके दयार के हवाले कर रहा हूं |

खुशियों का नहीं गमों का उंगलियों पर हिसाब रखते हो, अगर
आपका साथ चाहूंगा मुझसे इत्तेफाक रखते हो, अगर

दलदली जमीन पर पांव जमाने का प्रयास करते हो, अगर
गिर कर संभल जाते हो उठने का प्रयास करते हो,अगर

भीड़ में भी तुम्हारी बात गूंजेगी
बादलों के गर्जन सी दमदार आवाज रखते हो ,अगर

शक के दायरे में आना तुम्हारा लाजमी है
रुख पर किसी तरह का नकाब रखते हो ,अगर

फिर सारी दुनिया  की तकलीफै तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं
दिल में ज्ञान का अथाह प्रकाश रखते हो, अगर

मैं जानता हूं कि तुम मेरे आने का स्वागत करोगे
मन में जरा भी दोस्ताना मिजाज रखते हो ,अगर

    मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शनिवार, 8 दिसंबर 2018

हाइकु, मोहब्ब

   नमस्कार , जापानी कविता की यह विधा जिसमे तिन पंक्तियों की प्रधानता होती है बेहद सरल और मजेदार और पढ़ने एवं समझने में आसान है | प्यार को केन्द्र में रखकर मैने एक हाइकु लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं -

मोहब्बत

यह एक शब्द
दो दिल की भावनाएं
खुशी

एक एक करके
दो जीवन
एक रास्ता

एक मंजिल
क्रमशः

दो जिस्म
दो सास
दो दिल

एक धड़कन
एक जीना मरना और
यह एक शब्द

मोहब्ब कहो
प्यार कहो या
चाहत कहो

    मेरी हाइकु के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

हास्य कविता, जंगल का रास्ता

   नमस्कार , जंगल का रास्ता एक थोड़े से डरावने माहौल को जन्म देती हुई नजर आती है |मेरी ये तकरीबन दो बरस पहले लिखी हास्य व्यंग कविता आपको कितना डराती है या हसाती तो मुझे जरूर बताइएगा |

जंगल का रास्ता

सुनसान अंधेरे में
काली अमावस की रात
पत्तों का सरसाराना
चमगादड़ों का फड़फड़ाना
उल्लू की आवाज
निशाचरों की खटपट
चारों ओर सन्नाटा
मच्छरों का गुनगुनाना
बिल्ली की म्याऊं म्याऊं
हवा के झोंकों से पेड़ों का लहराना
घबराते , सकपकाते
एक एक कदम बढ़ाता
फिर यह सोच कर डर जाता
जाने किधर से क्या आ जाए
एक आहट होते ही
होश हो गए फाकता
जंगल का रास्ता
एकदम ऐसा ही है
जिंदगी का रास्ता

    मेरी हास्य व्यंग कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, जब मैं इसआंगन में आई थी

नमस्कार , नारी दुनिया में उपस्थित हर भावना का केन्द्र होती है | नारी मन की एक कोमल भावना से भरी ये कविता जिसे लिख लेने के बाद मै स्वयं आश्चर्यचकित था के ये भावना मेरे मन में कैसे आई , फिर लगा के ये उस भगवान का आशीर्वाद है जो मैने लिखा है | एक नव युवती जिसका विवाह होने वाला हो और वह विवाह के बाद आने वाली ज़िन्दगी को सोचकर व्याकुल हो तो उसकी मां के द्वारा कि गई समझाने की कोशिश इस कविता की विषय है | मां बेटी को समझाते हुए कुछ यू कहती है की -

जब मैं इस आंगन में आई थी

जब मैं इस आंगन में आई थी
तो खूब रोई थी 

सोचा था यह कहा आ गई मैं
पराए देश में ,अनजाने घर में
अजनबी लोगों के बीच
मुंह में सिसकियां ,आंखों में आंसू ,दिल में डर था
मन में बस एक ही सवाल था
मां-बाबा आपने मुझे पराया क्यों किया
इसलिए कि मैं बेटी थी

सुबह से दोपहर ,दोपहर से जब शाम हुई
मैं थोड़ा शरमाई ,थोड़ा घबराई
और शाम से सुहानी सुबह हुई
एक ऐसा जीवनसाथी मिला जिसके संग चलते-चलते जिंदगी अब आसान हुई
माा  सा  प्यार सासूमां से मिला
बाबा का दुलार ससुरजी ने दिया
और छोटी ननद मेरी सहेली थी

इस परिवार से मिली तो जाना
ना यह देश पराया था ,ना यह घर अनजाना था
ना यह  लोग अजनबी थे
यह तो मेरा घर था जिससे मैं अनजानी थी
मैं अधूरी थी इस घर के बिना
यह जान मैंने मां-बाबा का शुक्रिया किया
आपने मुझे मेरा घर दिया
अब मैं इन्हीं रिश्ते में खोई थी

जब मैं इस आंगन में आई थी
तो खूब रोई थी 

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

नवगीत, मै क्या कहके बुलाऊं तुझे

    नमस्कार , नवगीत की यही खासियत होती है कि उसमे नवीन और विभिन्न तरह के प्रतीकों का प्रयोग होता है | आज से तिन चार दिन पहले मै ने एक नवगीत लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं , आपके अपनाव की चाहत है | यह नवगीत मोहब्बत के एक छोटे से मगर बेहद खूबसूरत और महत्वपूर्ण एहसास और सवाल पर आधारित है |

अप्सरा कहूं या कोई परी
या कहूं गुलाब खुशबू भरी
महताब कह दूं रातों की या
या कह दूं तुझे महजबी
मैं कैसे मोहब्बत जताऊं तुझे
मैं क्या कहके बुलाऊं तुझे

तेरी रूह मुझ में समाए ऐसे
जैसे नदियां मिलती है सागर में
तेरा मेरा मिलना हो ऐसे
जैसे सुखी नदियां भरती है बरसते बादल से
मुझ पर मोहब्बत का साया कर ऐसे
जैसे खुद को तू ढकती है आंचल से
मैं कैसे चाहत बताऊं तुझे
मैं क्या कहके बुलाऊं तुझे

तुझको अपना शिवाला माना
प्यार का ईश्वर तुझको जाना
गीता का ज्ञान तुझको जाना
कुबेर का तुम सारा खजाना
जमाना कहे मुझको दीवाना
दिल चाहे तुझको अपना बनाना
मैं कैसे प्यार दिखाऊं तुझे
मैं क्या कहके बुलाऊं तुझे

    मेरी नवगीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, हम दुआ मांगते हैं

नमस्कार , एक अज्ञानी मन जो मृत्यु लोक के सच से अंजाम है अपने किसी प्रिय के जाने के गम में शोकाकुल है कुछ यू कहता है

हमसे सदा के लिए दूर हुए अपने प्रिय जनों के लिए

हे पंचतत्वों के जन्मदाता
हे जीवो के आहार दाता
हे जगत के भाग्य विधाता
हे मां गंगा
हे शुन्य लोक
हे आदी , हे अनंत
हे अनवरत चलते समय चक्र
हम आपसे हमसे सदा के लिए दूर हुए
अपने प्रिय जनों के लिए
मोक्ष चाहते हैं
हम दुआ मांगते हैं
चलो दुआ मांगते हैं

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, उस चेहरे को गुलाब कैसे ना कहूं

नमस्कार , एक गजल पेश ए ख़िदमत है आपकी | ये गजल कुछ महीनों से नही हो पा रही थी आज हो गई तो ख्याल आया के सुना दुं |

उस चेहरे को गुलाब कैसे ना कहूं
मैं शराब को शराब कैसे ना कहूं

नूर उनका चांद जैसा है
मैं आबताब को आबताब कैसे ना कहूं

ये तुम्हारा सच है तुम्हें ना यकीन हो तो ना हो
मैं महताब को महताब कैसे ना कहूं

हुनरमंद शख्स है झूठ बेहतर बोलता है
मैं लाजवाब को लाजवाब कैसे ना कहूं

बुजुर्गों की शागिर्दी करो इसी में बेहतरी है
मैं किताब को किताब कैसे ना कहूं

कुछ लोग कहते हैं तनहा सच कहने का आदी है
मै ख़िताब को ख़िताब कैसे ना कहूं

    मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

चौपाई, भगवान राम और माता सीता विवाह का चित्रण

   नमस्कार , मै जानता हूं के मै जो मेरी रचना आज आपकी उपस्थिति में आपके सामने रखने जा रहा हूं इस तरह कि रचनाएं करने के लिए मै और मेरी कलम अभी परिपक्व नही हूं मगर मै भगवान प्रभु  श्री राम से बहोत अधिक प्रभावित हूं और मेरा मन श्री राम के सादर चरणों में समर्पित होते हुए कुछ लिखने को आतुर होता है यही वजह है के मैने भगवान राम और माता सीता विवाह का चित्रण मेरी कुछ टुटी फूटी चौपाईयों मे करने का अंस मात्र प्रयास किया है -

सितारों भरी थी आज की रात
अवध से आई थी बारात

मानवता में व्याप्त सारे अंधेरे
दूर कर गए सियाराम के सातों फेरे

खुशियों की नई कलियां खिली
सीता को राम राम को सीता मिली

प्रकृति हर्षित थी नए दांपत्य के आगाज से
फूलों की वर्षा हो रही थी आकाश से

आज नतमस्तक चारों धाम हुए
श्री राम सियापति राम हुए

मधुर मनोहर मनमोहक क्षण बीता
राम की अर्धांगिनी हुई मिथिला की सीता

    मेरी चौपाई के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मुक्त छंद , बांसुरी

    नमस्कार , हर बंधन से मुक्त हो जाना इससे बेहतर मुझे नही लगता के कुछ हो सकता है | मुक्त छंद की इस कड़ी में मै आपके दयार में मेरा कुछ दिनों पहले लिखा एक मुक्त छंद लेकर आया हूं | छंद यू हुआ के -

एक हाथ के बांस में
फुकने पर एक लय में
स्वर निकलते मधुरी
सातों सुरों से सजी
कान्हा की बांसुरी

     मेरी मुक्त छंद के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

गुरुवार, 15 नवंबर 2018

कविता, विधानसभा चुनाव की गर्मी

    नमस्कार , आप को छठ पुजा की हार्दिक शुभकामनाएँ | इस माह यानी नवम्बर 2018 में पाच राज्यों में विधान सभा के चुनाव होने हैं जिसमे हमारा राज्य मध्य प्रदेश भी सामील है और आने वाले नये वर्ष यानी 2019 में लोक सभा के चुनाव होने हैं इसलिए हर राजनीतिक और उनकी सहयोगी पार्टीयां हर तरह का राजनीतिक हथकंडा अपना रहे है के किसी तरह से जनता का विश्वास जीत ले और सरकार में आजाएं |

    आजकल चल रहे चुनाव प्रचार और टीवी न्यूज चैनलों पर खबरों को सुनकर दो तीन दिन पहले मै ने एक कविता लिखी है जिसे मैं आप की अदालत में रख रहा हूं अगर ये कविता आप के दिल की बात कहती हुई नजर आए तो मैं अपने साहित्यिक शफर के लिए आपका साध चाहूंगा |

विधानसभा चुनाव की गर्मी

छा गई है माहौल में सरगर्मी
नेताओं और मंत्रियों के मिजाज में
आने लगी है नरमी
क्योंकि कड़ाके की ठंड में
बढ़ने लगी है विधानसभा चुनाव की गर्मी

सत्तारूढ़ पार्टी सत्ता में बने रहना चाहती है
विपक्षी पार्टी सत्ता में आना चाहती है
जिन सपनों की टॉफी खिलाकर
सत्तारूढ़ पार्टी सत्ता में आई थी
पाच साल पहले जो टॉफिया नहीं खप पायी थी
उन्हीं टॉफियों को जनता को खिलाना चाहती है
इसके जवाब में विपक्षी पार्टी
जनता को चॉकलेट आइसक्रीम का
लालच दिखाना चाहती है
खुद को सबसे महान साबित करना चाहती है
जो नेता , मंत्री चुनाव जीतने के बाद
अपना मुंह तक नहीं दिखाते
वो अब जा जाकर लोगों के आगे झुक रहे हैं
मासूम जनता को खरीदने की कोशिश कर रहे हैं
जिताने की मिन्नतें कर रहे हैं
जरा देखिए तो इनकी बेशर्मी
बढ़ने लगी है विधानसभा चुनाव की गर्मी

चोर चोर मौसेरे भाई
एक दूसरे को चोर कहने लगे है
अचानक से राफाएल जैसे घोटालों के
पोल खोलने लगे हैं
कुछ नेता , मंत्री राम मंदिर - राम मंदिर और
कुछ जनेऊधारी राम भक्त हिंदू बनने लगे है
कोई किसी को पापी कहता है
कोई किसी को राष्ट्र विरोधी कहता है
और कोई कहता है अधर्मी
बढ़ने लगी है विधानसभा चुनाव की गर्मी

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

दिवाली कविता , एक दीप हम जलाएंअमर शहीद जवानों के नाम पर

   नमस्कार , आप को एवं आपके परिवार को प्रकाश के पावन पर्व दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ | दिवाली बस इस नाम से ही इस त्यौहार की विशालता एवं भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है | दिवाली का पर्व प्रकाश का पर्व होने के साथ साथ स्वच्छता एवं खुशीयों के घर आने का प्रतीक भी है |आज जब सारा देश अपने घरों में चिराग रोशन कर रहा होगा तो जरा उन घरों के बारे में भी सोचिए जिस घर ने अपना चिराग खोया है , जिस घर का बेटा हमारी सुरक्षा के लिए हमारे देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणो की आहूति दे दी | तो क्या हम देशवासीयो का यह कर्तव्य नही है के हम उन पूण्य बलिदानीयो को इस दिवाली या आगे आने वाली हर दिवाली पर एक दीया उनके नाम का जलाकर अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित करें |

 एक दीप हम जलाएंअमर शहीद जवानों के नाम पर

   मेरे इसी नेक ख्याल को मैने एक कविता की शक्ल देने की कोशिश कि है | अगर आप को ये कविता पसंद आये और आप मेरे इस विचार से सहमत हैं तो कृपया एक दीया अमर शहीद वीर जवानों के नाम पर जरूर जलाये |

एक दीप हम जलाएं
अमर शहीद जवानों के नाम पर

जब रोशन होंगे
नगर-नगर , गांव-गांव , शहर-शहर , घर-घर
तब यह फर्ज है
हम सभी भारत वासियों का
कृतज्ञता दर्शाने का
अपनी दुआओं को प्रकाश रूप देखकर
उस घर की देहरी दरवाजों तक जरूर पहुंचाएं
जिस घर ने अपना चिराग खोया है
उस मां के आंचल को
सादर प्रणाम अर्पित करते हुए
उनके मुख मंडल की खामोशी को
मुस्कान में बदलते हुए
यह प्रकाश उस घर को रोशन कर दे
मेरी बिनती है मेरे भारत देश से
एक दीप हम जलाएं
अमर शहीद जवानों के नाम पर

    मेरी यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै तहेदिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

शनिवार, 3 नवंबर 2018

हाइकु , एक हल्की सी झलक देखी थी

    नमस्कार , 'पहली नजर का प्यार' इसके बारे में बहोत सुना होगा आपने और यकीनन महसूस भी किया हो आपने मगर आज पहती नजर की कविता पढीए |

एक हल्की सी झलक देखी थी

घर कर गया मेरे दिल में
जाने क्यों आ जाता है
बार-बार मेरे ख्यालों में

लंबे घने बाल गोरे-गोरे गाल
चंचल सी दो आंखें
उड़ता हुआ दुपट्टा
वो मीठी-मीठी बातें

मैंने कहां देखा था
याद नहीं है
पर इतना याद है
ये रूप सच में देखा था

वो फूलों सा मुस्कुराना
कुछ कहकर सरमाना
बार-बार यूं मुझे चिढ़ाना
जाने क्या बात थी
हुस्न में इतना पहली बार
चमक देखी थी

यै नजरो भरोसा करो
यही तो मैं कहना चाहता हूँ तुमसे
एक हल्की सी झलक देखी थी |

     मेरी हाइकु के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता , यादो की रात भली होती है

    नमस्कार , यादें एक ऐसा विषय रही है जिस पर बहोत अधिक साहित्य रचित हैं | यादों पर शायरी एवं कविताओं का एक हुजूम मिल जायेगा | मेरे एहसास से मेरे नजरीये याद पर एक छोटी सी कविता आप के लिए लेकर आया हूं |

यादो की रात भली होती है

जब अंधेरे में हवाएं छली होती हैं
सच कहता हूं मैं
वो यादो की रात
भली होती है

तन्हाइयाँ भीतर से सताती हैं
तुझमे मैं हूँ
जाने क्या-क्या अहसास दिलाती है
महमाँ पड़ जाता है बताना
तस्वीरें अधजती होतीे हैं

बेकरारी का आलम रहता है
सरगर्मी का मौसम होता है
बार-बार यही आता है ख्याल
रुठने का मलाल होता है
दिलो की तकरार तली होती है

एक चिराग जलता है
मन्द हवाओ में चुप्पी साधे हुऐ
आँखों से निदे गुम होती है
दिलो में हलचल मची होती है

एकान्त रहता है मन यादो में
ख्वाबो में महोब्बत मिली होती है
वो यादो की रात
भली होती है

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, प्यार का मौसम आने को है

     नमस्कार , मेरी ये कविता प्यार के मेरे मन में एक हल्के से आहट की है जो मैने तकरीबन दो साल पहले डिगरी के दूसरे साल में महसूस किया था | आप भी इस कविता का आनंद लें |
प्यार का मौसम 

कविता, प्यार का मौसम आने को है

ठंडी-ठंडी बहे पूर्वी हवाएंँ
मेघा रिमझिम बुंदे बरसाएं
घुमड़-घुमड़ बादल छाएं
दामिनी चमकी बताने को है
तू नहीं मेरे पास पर
        प्यार का मौसम आने को है

धड़कने मेरी क्या कहती हैं
उनींदी नजरो का सार तु
सांसें भी आहट करती हैं
ना समझी तुम पर
चाहतों की खबर जमाने को है
तू नहीं मेरे पास मगर
        प्यार का मौसम आने को है

मोरनी मोर संग नृत्य करे
भँवरी भँवरे संग कृत्य करे
कोयलीयाँ कोयले संग संगीत रचे
बदली धरती के पास आने को है
तू नहीं मेरे पास जाने क्यों
        प्यार का मौसम आने को है

रुठ गई हो जब से
ना कोई चिठ्ठी ना कोई पाती
मुझे भूल गई हो लगता जैसे
ये इत्तेफाकन मिलना दूरियांँ मिटाने को है
तू नहीं मेरे पास मगर
         प्यार का मौसम आने को है

काली घनी रात होगी
सनसनाती हुई हवाएंँ बहेगी
अजीब सी कसमकस खामोशी मेरे
पास पांँव पसारे होगी और
तेरी यादें तड़पाने को है
तू नहीं मेरे पास मगर
          प्यार का मौसम आने को है
     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

कविता , बिछड़ने का गम जरा कम होता है

    नमस्कार , एक सप्ताह की दिवाली कि छुट्टी पर हूं तो कोशिश कर रहा हूं कि अपनी जितनी रचनाएं अभी तक आप तक नही पहुंचापाया हूं उन्हें आपके सम्मुख प्रस्तुत करूं | इसी सिलसिले में पहली कविता आपको समर्पित कर रहा हूं |
कविता , बिछड़ने का गम जरा कम होता है
बिछड़ने का गम जरा कम होता है

वो बन गई थी जिंदगी मेरी
मै था धड़कन उसकी
उनके मुंह मोड़ने के बाद से
खत्म ये भरम होता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है

किसी के इंतजार में
किसी के बेसब्र प्यार में
फलक से दूर तन्हा
कोई दिवाना, सनम होता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है

ऐ खुदा बता तू
जिसे मैं जा देता हूँ
अगर वो मुझे बेसहार कर दे तो
फिर क्यों कहते वो, पागल हरदम रोता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है

जब जिंदगी साथ छोड़ जाती है
खामोशियां तन्हाइयाँं दिल को घर बनाती हैं
नैनों की निदे टकराती हैं
तब यादो का ही तो मरहम होता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है |

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शनिवार, 27 अक्तूबर 2018

गीत , आज की रात ना आयेगी फिर से

    नमस्कार , प्रेम के प्रतीक पर्व करवाचौथ की आप को बहोत सारी शुभकामनाए | करवाचौथ का ये पर्व आप के प्यार को दोगुना बढा दे यह मेरी आप के लिए तहे दिल से मनोकामना है | प्यार के इस उत्सव के लिए मैने एक गीत लिखने कि कोशिस की है | इस उम्मीद के साथ कि ये गीत आपको पसंद आयेगा में इसे आपके साहित्यमठ के इस आंगन में रखने की हिम्मत कर रहा हूं |

गीत , आज की रात ना आयेगी फिर से

चांद की शीतल रोशनी
दो दिलों में प्यार की आग
ना लगाएगी फिर से
आज की रात ना आएगी फिर से

आज एक दिवस का तुम्हारा उपवास
उस पर तुम्हारा अटूट विश्वास
संपूर्ण आयु तुम मेरी अर्धांगिनी रहो
ये तुम्हें मेरा आशीर्वाद
तुम्हारे रूप की कामुक माया
यूं ना मुझे रिहाई की फिर से
आज की रात ना आएगी फिर से

तुमसे बस है इतना कहना
मैं तुम्हारा राम बन कर रहूंगा
तुम मेरी सीता बनकर रहना
तुमसे प्रेम है मुझको प्रिये
इतनी सी यह बात है मगर
मगर कह रहा हूं बड़ी मुश्किल से
आज की रात ना आएगी फिर से

चांद की शीतल रोशनी
दो दिलों में प्यार की आग
ना लगाएगी फिर से
आज की रात ना आएगी फिर से

     मेरी गीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

गुरुवार, 18 अक्तूबर 2018

कविता, राम की मनोकामना

   नमस्कार , विजयादशमी की आप को बहोत बहोत शुभकामनाएं | दशमी का यह दिन अधर्म पर धर्म की असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की विजय का दिन है | आज के दिन भारत और पुरी दुनिया में जहां भी हिन्दू धर्म को माना जाता है या फिर हिन्दू धर्म को मानने वाले रहते है अधर्म एवं पाप के प्रतिक रावण के पुतले का दहन किया जाता है | मगर क्या शिर्फ रावण के पुतले का दहन कर देने से हमारे भीतर की सारी बुराई सारे दोषों का नाश हो जाता है ? , नही होता ना |

कविता, राम की मनोकामना


   मेरे मन में उठे इसी विचार को आधार बनाते हुए मैने एक कविता लिखी है और मेरी ये दिली ख्वाईस थी की मै आज के दिन ये कविता आप की हाजिरी में रखुं |

राम की मनोकामना

कविता, राम की मनोकामना

मुझे भगवान मानो या मत मानो
मगर मेरी बात मानो
बुजुर्गों का सम्मान करो
वंचितों को साथ में बैठाओ
पिछड़ों के हाथ से हाथ मिलाओ
नारी हमारा गौरव है
नारियों का सम्मान करो
तनिक सा भी कष्ट न पहुंचे उन्हें
इतनी सुरक्षा प्रदान करो
ईर्ष्या , अहंकार , काम ,
क्रोध , मोह , लोभ
ये रावण के प्रतीक हैं
रावण का पुतला तत्पश्चात जलाना
सर्वप्रथम अपने मन में
रावण के इन प्रतीकों को जलाओ
धर्म चाहे जो भी मानो
सुमार्ग पर चलो
ज्ञान चाहे जो भी जानो
सदुपयोग करो
सदाचारी बनो , कल्याणकारी बनो
नायक बनो , सुखदायक बनो
पुरुषोत्तम नहीं बन सकते तो
सर्वोत्तम इंसान बनो

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

भजन , नौ दिन हर एक साल में

   नमस्कार , नवरात्रि का आज नौवां एवं अंतिम दिवस है , आज के दिन शक्ति के नौवीं रुप यानी मां दुर्गा की पुजा होती है | अपनी पिछली पोस्ट मे किये अपने वादे के अनुसार आज मैं माता रानी के चरणों में समर्पित करते हुए एक भजन आप की उपस्थिति में रख रहा हूं | मुझे उम्मीद है के आप भी मेरी तरह ही आज साम जब मां दुर्गा की पुजा करेंगे तो मेरे इस भजन को जरूर गाएंगे |

भजन , नौ दिन हर एक साल में

नौ दिन हर एक साल में
मईया रानी रहती है
अपने हर पंडाल में

पाप की है मईया विनाशक
हम हैं माता तेरे उपासक
दरस दिखा दे माता हमको
हम ना मानेंगे किसी हाल में

नौ दिन.........

सद्बुद्धि दे हमें मां भवानी
तू है सारे जग में ज्ञानी
विनती सुन लो माता मेरी
बेटा है कस्टों के जंजाल में

नौ दिन हर एक साल में
मईया रानी रहती है
अपने हर पंडाल में

    मेरी भजन के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

कविता, वो एक बड़ी अच्छी दोस्त है मेरी

    नमस्कार, सर्वप्रथम आप को नवरात्रि कि हार्दिक शुभकामनाएँ , नवरात्रि के पावन पर्व पर मै मां दुर्गा के चरणों में समर्पित एक भजन लिखने की कोशिश कर रहा हूं जिसे मैं जल्द ही आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | आज मै एक दोस्त की खास फरमाइस पर एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूं | ये जो दोस्त है मेरी बडे लम्बे अरसे से मेरी कविताओं की प्रशंसक रही हैं आप की तरह ,तो जब उन्हों ने अपने लिए एक खास कविता कि इच्छा मुझसे जाहिर की तो मै मना नही कर पाया | तो इस कविता का आप आनंद लीजिए और पढ़कर बताइए की कैसी रही |

मेरी एक बड़ी अच्छी दोस्त है

डॉली तुम जानती हो क्या उसे
वो मेरी बड़ी अच्छी दोस्त है
वो भोपाल से आती है
वह भोपाल जो अपने
सिंगार प्रियता के लिए जाना जाता है
वो भी उसी शहर से आती है
उसका वहां पैतृक निवास है या नहीं
मुझे नहीं मालूम
कॉलेज में आते ही
वापस जाने के लिए फिक्रमंद रहती है
इंटरनेट पर बार-बार
भोपाल वापसी की ट्रेन सर्च करती रहती है
और तुम्हें मालूम है
बहुत चंचल है
बड़ी सादा दिल की लड़की है
प्रोफेसरों से बड़ी मासूमियत से
ऐसे प्रश्नों को भी बेझिझक पूछ लेती है
जिन्हें में दस बार सोचकर भी नहीं पूछ पाता
हाल ही में उसे
भारत की एक प्रमुख तकनीकी कंपनी ने
नौकरी दी है
या यूं कहूं तो कंपनी वालों ने
जिज्ञासाओं से भरी एक मासूम तितली को
नौकरी पर रख लिया है
जो अपने रंग बिरंगे पंखों को फैलाए
कामयाबी के आसमान में उड़ती रहेगी
और हजारो रंग बिखेरती रहेगी



    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शनिवार, 25 अगस्त 2018

कविता , सिर्फ राखी नहीं बांधी है , भईया

    नमस्कार , आप को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ | सबसे पहले तो मैं आशा करता हूं कि मेरी इस रचना को पढ़ने वाले/वली अगर आप एक बहन है तो आप अपने भाई के साथ हों और अगर आप एक भाई हैं तो आप अपनी बहन के साथ हों , मेरी तरह आज के दिन भी अपनी दीदी से दुर ना हों | मेरी अब तक गूजरी जिंदगी का ये पहला रक्षाबंधन है जब मै आज के इस पावन दिन पर अपनी बहन के साथ नही हूं | रक्षाबंधन का पर्व भाई बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है | आज के दिन हर भाई अपनी कलाई पर राखी बंधवाकर खुद को गौरवान्वित महसूस करते है और बहन भाई की कलाई पर राखी बांधकर स्वयं को खुशनसीब समझती हैं | जैसा की रिवाज है जब बहनें राखी बांध लेती है तो भाई उन्हें उपहार देते हैं ये उपहार कोई वस्तू , आभूषण या धन होता है |

कविता , सिर्फ राखी नहीं बांधी है , भईया
    आज के इस पावन दिन पर एक बहन अपने भाई की कलाई पर शिर्फ राखी नही बांधती बल्कि अपना स्नेह , उम्मीदें एवं दुआएं भी लपेटकर बांधतीं हैं और उपहार स्वरुप शिर्फ कोई वस्तू , आभूषण या धन नही चाहती | आज के पावन दिन को समर्पित बहनों कि भावनाओ को समेटे हुए मेरी एक नयी कविता आप के संग साझा कर रहा हूं | उम्मीद है कि मेरी ये कविता आप को पसंद आयेगी |

कविता , सिर्फ राखी नहीं बांधी है , भईया


सिर्फ राखी नहीं बांधी है , भईया

मैंने तुम्हारे हाथों में
सिर्फ राखी नहीं बांधी है
भईया
अपना विश्वास बांधा है
अपने दुआएं बांधी हैं
अपनी उम्मीदें बांध हैं
सिर्फ राखी नहीं बांधी है
भईया

आप मेरी जमाने भर की बुराइयों से
हमेशा रक्षा करोगे
जीवन के हर कठिनाइयों में
हर पल मेरे साथ रहोगे
आपका स्नेह मुझे सदा मिले
आपके और मेरे रिश्ते की
गरिमा का ताज बांधा है
सिर्फ राखी नहीं बांधी है
भईया

आपको कभी कोई गम ना सताए
दुख-दर्द आप को छू तक ना पाए
माता पिता के आंखो के तारे हो
भाई मेरे दुलारे हो
एक धागे में सारे जहां की
खुशियों का उपहार बांधा है
सिर्फ राखी नहीं बांधी है
भईया

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

रविवार, 12 अगस्त 2018

ग़ज़ल, वह अपने मुकद्दर बनेगा

नमस्कार , गजलों की इस फ़ेहरिस्त में एक और खुशगवार इजाफा हुआ है | जिस दिल का तू मुकद्दर बनेगा इस गजल को मैने 10 नवम्बर 2017 को लिखा था | गजल का मतला और दो तीन शेर देखें के -

जिस दिल का तू मुकद्दर बनेगा
वह अपने मुकद्दर का सिकंदर बनेगा

कड़ी धूप जब भी सताएगी मुझको
यकी है मुझे तू मेरा साया बनेगा

किसी और को मैं कैसे चाहूं
जब तेरा प्यार मेरा खुदाया बनेगा

मैं क्यों हाथ की लकीरों को देखूं
मेरा हमसफ़र तेरा साया बनेगा

यूं हक से न पूछो गम की वजह को
नई पहचान तेरा सितमगर बनेगा

रेजा - रेजा टूटा था ख्वाबों का घर
जिसे हमने सोचा था महल बनेगा

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, जिसके पास हो तुम जिसके साथ हो तुम

नमस्कार , जिसके पास हो तुम जिसके साथ हो तुम गजल को मैने 2 अक्टूबर 2017 को लिखा था | आप कि ख़िदमत में पेश है मेरी ये गजल | गजल देखे के -

हर घड़ी धड़कन की तरह मेरे पास हो तुम
किसी महकते फूल का एहसास हो तुम

जिसका खो जाए वह भी जिसे मिल जाए वह भी अपने आपे में कैसे रहे
जिसकी कोई कीमत ही नहीं इतनी खास हो तुम

क्या उसे किसी और की कभी आरजू भी होगी
जिसके पास हो तुम जिसके साथ हो तुम

उस बदनसीब के लिए इससे बुरा और क्या होगा जहां में
जिस घड़ी से मुझसे नाराज हो तुम

जो गीत गाकर मैं सारी दुनिया को अपना दीवाना बना दूं
उस गीत के सारे अल्फाज हो तुम

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, जैसे कोई चिंगारी आग लगा देती है

नमस्कार , इस गजल को मैने 30 अप्रैल 2017 को लिखा था | मेरी यह गजल मेरे इंस्टाग्राम के अकाउंट पर भी साझा कि गई है | वहा मेरी इस रचना को आपका प्यार मिला है | आशा है कि मेरी यह रचना आपको पसंद आयेगी |

उनकी याद मुझे ऐसे जला देती है
जैसे कोई चिंगारी आग लगा देती है

मेरी मोहब्बत को वो कुछ इस तरह समझते हैं
उनकी बेरुखी भी मुझे अब तो दुआ देती है

तन्हाई में वो होकर बेसबब पड़ती है बार-बार
जमाने को देखते ही मेरे खत को छुपा देती है

खुला आसमान परिंदों को बहुत भाता है
बहुत अधिक उड़ान मगर पर को थका देती है

भला है कम में मुतमइन हो जाना
शोहरत की चाह अक्सर गद्दार बना देती है

किसी और हसीन का मैं जिक्र करूं भी तो कैसे
मुझे मेरी धड़कन ही मेरा दुश्मन बना देती है

तुम्हें ये बात सुनकर कभी यकीन नहीं होगा
वो मेरा नाम हाथ पर लिखकर के मिटा देती है

सब कहते हैं वह आजकल बहकी बहकी बातें करता है
हमने सुना है दीवानगी पागल भी बना देती है

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शनिवार, 11 अगस्त 2018

ग़ज़ल, टूटा हुआ कांच हूं

नमस्कार , टुटा हुआ कांच हूं छुओगे तो चुभ जाऊंगा गजल को मैने 1 फरवरी 2017 को लिखा था | गजल का मतला और दो तीन शेर देखें के -

ग़ज़ल, टूटा हुआ कांच हूं

टुटा हुआ कांच हूं छुओगे तो चुभ जाऊंगा
मोम का पत्थर हूं आंसुओं से भी पिघल जाऊंगा

अब तक घर नहीं है क्या बताऊं पता तुमको
बहता हुआ पानी हूं नहीं मालूम कहां जाऊंगा

मैं तो मजबूर हूं सच बताएगा आइना तुमको
मैं मर जाऊंगा उस दिन जब तुम्हें भुलाऊंगा

नफरत का दायरा इतना छोटा है कि क्या बताऊं तुमको
मैं जो खोना भी चाहूं तो कहीं ना कहीं मिल जाऊंगा

ये वादा है न टूटेगा मरते दम तक
मैं जो जाऊंगा तो लौट कर ना आऊंगा

तुम मुझे माफ करो ये हम नहीं कहते
इतना मालूम है रुलाकर तुम्हें मैं ना मुस्कुराऊगा

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

चार रुबाईया

नमस्कार , जैसा की हम जानते हैं कि मुक्तक मतलब रुबाई , रुबाई मतलब मुक्तक होता है तो 29 जनवरी 2017 को मैने तकरीबन चार रुबाईया लिखी भी जिन्हें आज आप को सुना रहा हूं |

चार रुबाईया

(1)

तुमसे नजरें जो मिला लिया हमने
खुद को दुश्मन बना लिया हमने
तेरे प्यार का और कोई सिला न मिला
फिर भी तुझको दिल में बसा लिया हमने

(2)

आ तुझसे चाहता का बयान दे दूं
तेरे लिए ही दो जहां छोड़ दूं
ये बता मेरे बिन क्या करेगी तू
तू जो कहे तो अभी जान दे दूं 

(3)

तेरे वादों पर हक तेरा है
तेरी मुलाकातों पर हक तेरा है
तू जो चाहे ये रिश्ता तोड़कर चली जाना मगर
तेरी यादों पर हक मेरा है

(4)

तेरी चाहतों को दिल में दबा रखा था
बोलना चाहा फिर भी बेजुबां रखा था
एक रोज अचानक लोगों को पता चल ही गया
खुशबू आई तो देखा फूलों को किताबों में छुपा रखा था

     मेरी रुबाईयों के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, कभी कभी ये तरिका भी आजमाया करो

नमस्कार , ये गजल मै ने 21 जनवरी 2017 को लिखा था | पुरी जिम्मेदार के साथ मैं कहना चाहूंगा के अभी तक मै ने YouTube videso के माध्यम से करिबदन सैकड़ों शायरो को सुना है इसलिए मेरी गजलो की जमीन किसी भी शायर की हो सकती हैं मगर गजलें पुरी तरह से मेरी है या मेरे द्वारा लिखित एवं रचित हैं | गजल देखे के

ग़ज़ल, कभी कभी ये तरिका भी आजमाया करो

कभी-कभी ये तरीका भी आजमाया करो
उनकी तरफ देख कर मुस्कुराया करो

सुना है कि दीवारों के भी कान होते हैं
इश्कबाजों अब कमरों में भी खुशफूसाया  करो

तारे चुपके से सही तुम्हारा चेहरा देख ही लेते हैं हर रोज
मेरी मानो तो अपने पल्लू से अपना नूर छुपाया करो

हर महीने ना सही तो ना सही
साल में एक दो बार तो हमारे शहर में आया करो

तुन जो यू कुछ कहती लोग बातें बनाने लगते हैं
तुम मुझे तनहा कहकर बुलाया करो

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

नटखट नंदलाला है , काव्य

नमस्कार , मैने ये दो छोटी छोटी कविताएं जिन्हें मुक्तक काव्य भी कहा जाता है 28 मई 2017 को लिखी थी आज मै इन्हें आप के सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं | आशा है मेरे प्रयास को आपसे सराहना मिलेगी |

नटखट नंदलाला है , काव्य

(1) - नटखट नंदलाला है -
माखन का चोर वो
गोकुल का ग्वाला है
बंसी का वादक वो
जिसका भोला रूप निराला है
राधा जिसकी दीवानी
वह नटखट नंदलाला है
माखन का चोर वो
गोकुल का ग्वाला है

(2) - नन्हा कान्हा है -
मैंने माखन नहीं खाया मां
एक झूठ जिसे सब ने माना है
यह जो नटखट बालक है
थोड़ा सा जाना पहचाना है
राधिका का दीवाना
मां यशोदा का नन्हा कान्हा है
मां यशोदा का नन्हा कान्हा है

     मेरी मुक्तक काव्य के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, प्यार जताने के लिए तरीको की जरूरत नहीं होगी

नमस्कार , प्यार जताने के लिए तरीकों की जरूरत नहीं होगी मैने ये गजल 22 फरवरी 2017 को लिखी थी और अब वक्त मयस्सर होने पर ये आपके ख़िदमत में हाजिर है | इससे पहले कि कुछ और लिखुं यहां मैं आपको बताता चलुं की मै इस महीने पिछले दो तीन सालों में लिखी रचनाओं को प्रकाशित कर रहा हूं जिन्हें अभी तक नहीं कर पाया था | गजल देखे के

ग़ज़ल, प्यार जताने के लिए तरीको की जरूरत नहीं होगी

सच कहने के लिए लफ्जों की जरूरत नहीं होगी
जिंदगी जीने के लिए लहजों की जरूरत नहीं होगी

कभी किसी का शरमाना , नजरें चुराना तो किसी का खामोश रहना इकरार होता है
प्यार जताने के लिए तरीकों की जरूरत नहीं होगी

हर अक्षर खुद-ब-खुद मन के हालात बया करता है
खत लिखने के लिए शब्दों की जरूरत नहीं होगी

तेरे मेरे साथ का एक पल हमारे प्यार को मुकम्मल बना देगा
मोहब्बत की यह दास्तां लिखने के लिए जन्मों की जरूरत नहीं होगी

एक कोठरी काफी है तेरे संग उम्र बिताने को
हमें आबाद रहने के लिए महलों की जरूरत नहीं होगी

वक्त को यह गुमान है की एक दिन हमारी मोहब्बत को मिटा देगा वो
उसे नहीं मालूम कि हमें जिंदा रहने के लिए सांसो की जरूरत नहीं होगी

मुझे तुमसे कितना प्यार है मुझे नहीं मालूम
बस इतना जानता हूं तू साथ होगी तो मुझे खुदा से कुछ और आरजू नहीं होगी 

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, प्यार

नमस्कार , मैने ये कविता 22 फरवरी 2017 को लिखी थी |बड़े जाने पहचाने से अहसास पर आधारित याह एक छोटी सी रचना अब आपके हवाले कर रहा हूं |

कविता, प्यार


प्यार

यह एक शब्द
मतलब दो दिलों का एक एहसास
एक से खुशियां
एक से गम
एक से जिंदगी
एक रास्ते
एक मंजिल
एक से कदम
दो जिस्म
दो सासे
दो दिल
एक धड़कन
एक जान
यह एक शब्द
 
     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

तीन रुबाईया

नमस्कार , ये तीन मुक्तक यानी की रुबाईया मैने 24 जनवरी 2017 को लिखा था |आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं

तीन रुबाईया


(1)

नफरतों से इश्क जब ज्यादा हो जाए
जनम जनम के साथ का जो वादा हो जाए
प्रेम की अमर दास्तां बने
मैं श्यामा हो जाऊंगा जो तू राधा हो जाए मुक्तक

(2)

तुम्हारे बिना अब मेरा कहीं गुजारा नहीं है
इस सागर का  अब और कोई किनारा नहीं है
पर्ची देखकर जब उन्होंने मेरी तरफ घूर कर देखा
तो हमने कहा यह कहीं और से आया है हमारा नहीं है

(3)

तू जो रुठ कर गई तो टूट कर बिखर जाएंगे हम
तेरे प्यार में हद से गुजर जायेंगे हम
वैसे  मुझे गहरे पानी से बहुत डर लगता है
लेकिन तेरे लिए उतने पानी में भी डूब कर मर जाएंगे हम   

     मेरी रुबाईयों के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

तीन नये मुक्तक

नमस्कार , ये तीन मुक्तक मै ने 23 मई 2017 को लिखा था | इन मुक्तको मे से दूसरे मुक्तक मे मेरी एक शिकायत है और उसकी वजह भी उसी मुक्तक में है | आशा है आप को मेरी मे लघु रचनाएं पसंद आये |

तीन नये मुक्तक

                           (1)

कोई गणित में अब्बल है किसी को विज्ञान आता है
कोई साहित्य में अब्बल है किसी को चिकित्सा विज्ञान आता है
बस एक ही विषय है जिसमें हम हमेशा अव्वल आते हैं
मैं बस प्यार लिखता हूं मुझे बस प्यार आता है

                           (2)

सबको एक जैसा हुनर नहीं दिया तूने
जहां में ऐसा बिखराब क्यों किया तूने
ये मेरे कर्म होंगे मैं तुझसे शिकवा नहीं करता है मेरे खुदा
मुझे आंखें तो देदी मगर उनमें मुकम्मल नूर नहीं दिया तूने

                            (3)

मैं पूजा पाठ वाला और मैं ही नबाजी हूं
मैं अल्लाह मानने वाला मैं शिव में विश्वासी हूं
मैं पूरी दुनिया को शांति का संदेश देता हूं
ईश्वर का करम है मैं भारत देश वासी हूं

     मेरी मुक्तको के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, मुझे उम्मीद है

नमस्कार , मेरी छोटी आखों में पल रहे सपनों को इस कविता में मैने उम्मीदों के हवाले से कहने की कोशिश कि थी | इस कविता कि रचना मै ने 30 सितंबर 2017 को किया था | आप के भी गर मेरे हि तरह के सपने है तो ये कविता आपको अपने सपनों का आइना महसूस होगी |

कविता, मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
मैं एक दिन चमकूंगा
तारे की तरह
मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
मैं जीवन की दौड़ जीत जाऊंगा
विजेता की तरह
मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
मैं अपने जीवन का एक दिन जीवित रहूंगा
मेरे सपने की तरह
मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
मैं अपने सच्चे सोलमीट को एक दिन मिल जाऊंगा
प्रेमियों की तरह
मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
दुनिया मानवता के मूल्य को समझ जाएगी
मनुष्य की तरह
मुझे उम्मीद है

मुझे उम्मीद है
मैं अपने जीवन के एक दिन के अंत में मर जाऊंगा
एक शुद्ध मानव आत्मा की तरह
मुझे उम्मीद है

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, मेरे मन में प्यार का दीया जलाया तुनने

नमस्कार , 19 जनवरी 2017 को मैने इस गजल को लिखने का ख्याल किया था और दूसरी सुबह तक मैं ने लिख लिया | कुछ और कहने से पहले में आपको याद दिलाना चाहूंगा के इस महीने में मै अपनी पुरानी रचनाओ को आपके साथ साझा कर रहा हूं | मुझे उम्मीद है कि मेरी ये रचनाएं आपको आनंदित करेंगी | गजल देखे के

ग़ज़ल, मेरे मन में प्यार का दीया जलाया तुनने

मेरे मन में प्यार का दीया जलाया तुमने
प्यार करना सिखा दीवाना बनाया तुमने

मेरा कातिल कोई और नहीं तुम ही हो
बेवफा जीते जी एक लाश बनाया तुमने

मेरी बर्बादी का तमाशा देख जाना कभी
कैसे किसी खेत को बंजर बनाया तुमने एक

बस इतना बता दो मुझे ओ कातिल
मेरे लिखे खतो को किस तरह जलाया तुमने

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, मेरी अपनी यादों पर सही है

नमस्कार , एक अजीब सी कशमकश भरी कविता जिसे मैं ने 27 अक्टूबर 2017 को लिखा था | आप को अच्छी लगेगी यकीन करें |

कविता, मेरी अपनी यादों पर सही है

मेरी अपनी यादों पर सही है

देखें कि आपको क्या मिला
हमने खुद को दुश्मन बनाया
अपने प्यार के लिए कोई प्यार नहीं है
फिर भी आप दिल में बस गए हैं

मैं आपको बताना चाहता हूं
मुझे तुम्हारे लिए अकेला छोड़ दो
कहो कि तुम क्या कहते हो
वादा तुम्हारा है

आप इस रिश्ते को तोड़ना चाहते हैं
चले जाएं
मेरी अपनी यादों पर सही है
आपकी इच्छाओं को दिल में रखा था
बोलना चाहता था

अचानक लोग प्रत्येक दिन जान लेते हैं
खुशबू तब आई थी जब फूलों को किताबों में छिपा रखा गया था
मेरी अपनी यादों पर सही है

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, मैने लासे चलते देखी है

नमस्कार , इस कविता को मैने 21 अक्टूबर 2017 को लिखा था | इसे पढ़ कर शायद आपको दुनिया और हमारे समाज मे फैली वेश्यावृत्ति जैसी निंदनीय अपराध के प्रति संवेदनशिलता जागृत हो जाये | मैने ये कविता मेरे इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी साझा किया है |

कविता, मैने लासे चलते देखी है

मैंने लासे चलते देखी है.

हवस की तंग गलियों में
लाचार बेबस तन मन को
चंद सिक्कों की खनक के आगे
जिंदगी की जरूरतों में टूटकर
हवस के भेड़ियों को
खुद को परोसते देखी है
मैंने लासे चलते देखी है

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

गुरुवार, 9 अगस्त 2018

मुक्त छंद

नमस्कार , मात्राओ की गिनती और वर्णों की अनिवार्यताओं से मुक्त एक छंद होता है जो हर परकार के साहित्ययीक बाध्यताओं से मुक्त होता है , इस तरह के छंद को मुक्त छंद कहा जाता है |

.
मुक्त छंद

27 जनवरी 2016 को मैने कुछ 8 लाइनें लिखी थी , जो किसी कविता, गीत या गजल का हिस्सा नही थी | अध्ययन करने के पश्चात पता चला कि इसे मुक्त छंद कहते हैं | उम्मीद है कि प्रचलन से हटकर भी कुछ नया आपको पसंद आयेगा |

गम के बादल छट जाएंगे
दर्द सारे मिट जाएंगे
जो मिल जाए तेरा सहारा
वादा है हम बदल जाएंगे
एक पाक एहसास होता है
तू जो मुझे अपनाएगी
जो प्यार मिले किसी का
ये जिंदगी  मुस्कुराएगी

     मेरा मुक्त छंद के रूप में एक और छोटा सा यह प्रयास आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, यह खिड़की बंद ही नहीं होती

नमस्कार , ये जो कविता है इसके बारे में मै बस इतना कहना चाहूंगा के ये कविता नही अविधा है | ये कविता मैने करिबदन 22 नवम्बर 2016 को साम के वक्त लिखा था | मुझे आशा है कि मेरी यह कविता आप को पसंद आयेगी |

कविता, यह खिड़की बंद ही नहीं होती


यह खिड़की बंद ही नहीं होती

मेरे सिरहाने एक खिड़की है
जिसमें पर्दे भी नहीं है
एक तो जाड़े का मौसम है
सुबह शाम ठंडी ठंडी हवा आती है
सहर होते ही कहीं से टुकटुक की आवाज आती   है
और मेरी नींद भी पूरी नहीं होती
बस ओठकाकर सोता हूं इसे
बहुत कोशिश की मगर
यह खिड़की बंद ही नहीं होती  

रोज एक खुशबू आती है कहीं से
मेरे बिन चाहे कमरे मे फैल जाती है
पक्षियों का चहचहाना ,मंदिर के घंटों की आवाज
बस यूं ही सुनाई देती रहती  है
खिड़की के उस पार वाले रास्ते से
रोज एक चेहरा गुजरता है
जिसे देखने के खातिर मेरा दिल मचलता है
यह ख्वाहिशें मुझे मेरे लक्ष्य से भटका जाती है
बहुत कोशिश की मगर
यह खिड़की बंद ही नहीं होती 

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, वक्त के हिसाब से लोग बदल जाते हैं

नमस्कार , वक्त के हिसाब से लोग बदल जाते हैं ये गजल 5 अक्टूबर 2016 की है | इस गजल को लिखने के पीछे मेरे दिल का एक मामला है कभी गर मैका मिला तो आप को जरूर बताऊंगा | मगर फिर हाल इस गजल का मजा लिजीये |

ग़ज़ल, वक्त के हिसाब से लोग बदल जाते हैं


कभी गिरते हैं तो कभी संभल जाते हैं
वक्त के हिसाब से लोग बदल जाते हैं

एक पल की जुदाई भी बर्दाश्त नहीं होती उन्हें
सितारे भी रात के साथ ढल जाते हैं

क्या हुआ घर गमो का साया बना रहता है
ओस की चंद बूंदों से फूल खिल जाते हैं

सच का सही होना अब कहां जरूरी है
आजकल तो नकली नोट भी बाजार में चल जाते हैं

किसी की शख्सियत का अंदाजा लगाना अब जरा मुश्किल है
पलों में लोगों के खयालात बदल जाते हैं

उन लम्हों को बड़ी फुर्सत से जीना
हसीन पल बड़ी जल्दी गुजर जाते हैं

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, शराब पीने से गम नहीं मिटता

नमस्कार , शराब पीने से गम नहीं मिटता यह पीने का एक बहाना है | ये गजल अखबार में प्रकाशित एक खबर पर मन की उपज है | इस रचना को मैने 1 फरवरी 2017 को लिखा था | गजल छोटी है पर गजल को लिखने का मक़सद बहुत बड़ा है |

ग़ज़ल, शराब पीने से गम नहीं मिटता

ये वह सच है जिसे जानता जमाना है
शराब पीने से गम नहीं मिटता ये पीने का एक बहाना है

अब क्या बाकी है मेरी जिंदगी में तुझसे बिछड़ कर
तन्हाइयों का साया है मौसमो का आना जाना है

वो दौर और था जब हम कभी गुनगुनाते थे
बड़ी मुद्दत हो गई अब ये किस्सा बहुत पुराना है

मेरा हश्र क्या हुआ इश्क में किसी से बेरूखी से पूछो
जिंदगी कब की जल गई बाकी अब बस घर जलाना है 

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, सुबह को आने दो

नमस्कार , 2 फरवरी 2017 की सुबह उगते सूरज को देखकर मैने एक गजल लिखी थी | आज फुर्सत के कुछ पल हासिल होने पर अपनी सभी पुरानी रचनाओं को आपके साथ साझा कर रहा हूं जिन्हें मैने बीते दो सालों के मध्य में लिखा है | गजल का आनंद उठाईये

ग़ज़ल, सुबह को आने दो

अंधेरों को डराऊंगा मैं , सुबह को आने दो
ये चिराग बुझाऊंगा मैं , सुबह को आने दो

तुम्हारी तस्वीर धुंधली सी नजर आ रही है अभी
जी भर कर देखूंगा तुम्हें , सुबह को आने दो

कल रात जुगनूओं से रास्ता पूछा तो बड़ा इतरा रहे थे ये
मैं सही रास्ता दिखाऊंगा इन्हें , सुबह को आने दो

रात में चंद खोखली दीवाने बना कर कहते हैं कि हमने महल बना दिया
दरारें कहां-कहां हैं सबको बताऊंगा मै , सुबह को आने दो

रात को ईमानों कि सौदायगी होती है
सियासत का हाल सुनाऊंगा तुम्हें , सुबह को आने दो

मेरे मन का आशियाना बड़ा सुनसान और अंधेरों भरा है
खुद से मिलाऊंगा तुम्हें , सुबह को आने दो

मैं ' तनहा ' बैठा रहा चांदनी को घेर रखा था इन्होंने
तारों की शिकायत करूंगा मैं , सुबह को आने दो

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, हम चट्टानों से टकराने का अंजाम क्या होता है

नमस्कार , ये जो गजल आज मै आम कर रहा हूं इसे मैने तकरीबन दो साल पहले 5 अक्टूबर 2016 को लिखा था | जब आप गजल पढगे तो आपको इसके मिजाज का अंदाजा हो जायेगा , गजल छोटी पर यकीन मानीये आपको इसका पुरा लुत्फ आयेगा

ग़ज़ल, हम चट्टानों से टकराने का अंजाम क्या होता है

गीदड़ से पूछो शेरों को आंख दिखाने का अंजाम क्या होता है
हम चट्टानों से टकराने का अंजाम क्या होता है

इन्हें मालूम नहीं कि किसके सह में उछल रहे हैं वो, हिंद के रहमों  से  वजूद है उनका
दुनिया उन्हें समझाए कि एहसान क्या होता है

जाने किस मजहब ,किस रंजिस की आग लगाए बैठे हैं दिल में
काश, 'वह कभी समझ पाए कि इंसान क्या होता है

जो मजहब के नाम पर, अपने स्वार्थ के लिए, इंसानों को तकलीफ पहुंचाता है
वह इंसान ,हैवान से बुरा होता है

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मंगलवार, 7 अगस्त 2018

कविता, एक तेरी दोस्ती है तो है मेरे पास

     नमस्कार , अभी हाल ही में फ्रेंडशिप डे था | उस दिन यानी 5 अगस्त 2018 को मैने अपने फेसबुक पेज पर एक कविता अपने दोस्तों के साथ साझा की थी जिसे मैं आज आपके साथ साझा कर रहा हूं | ये कविता मैने करिबदन तीन महीने पहले लिखी थी | कविता का उनवान यानी शीर्षक है -

कविता, एक तेरी दोस्ती है तो है मेरे पास

एक तेरी दोस्ती है तो है मेरे पास
और कुछ भी नहीं

एक तेरी दोस्ती ही तो है मेरे पास
और कुछ भी नहीं
एक बस तू ही तो है मेरे साथ
और कोई नहीं
एक बस तुझे ही तो है मुझ पर विश्वास
और किसी को नहीं
एक तेरी दोस्ती है तो है मेरे पास
और कुछ भी नहीं

जब मै हतास होता हूं , उदास होता हूं
कौन करता है मुझ पर ऐतबार
कौन मुझे झूठी दिलासा दिलाता है सौ बार
कौन मुझे गुदगुदाता है बार-बार
बस तू और कोई नही
एक तेरी दोस्ती है तो है मेरे पास
और कुछ भी नहीं

       मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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