नमस्कार , एक अजीब सी कशमकश भरी कविता जिसे मैं ने 27 अक्टूबर 2017 को लिखा था | आप को अच्छी लगेगी यकीन करें |
मेरी अपनी यादों पर सही है
देखें कि आपको क्या मिला
हमने खुद को दुश्मन बनाया
अपने प्यार के लिए कोई प्यार नहीं है
फिर भी आप दिल में बस गए हैं
हमने खुद को दुश्मन बनाया
अपने प्यार के लिए कोई प्यार नहीं है
फिर भी आप दिल में बस गए हैं
मैं आपको बताना चाहता हूं
मुझे तुम्हारे लिए अकेला छोड़ दो
कहो कि तुम क्या कहते हो
मुझे तुम्हारे लिए अकेला छोड़ दो
कहो कि तुम क्या कहते हो
वादा तुम्हारा है
आप इस रिश्ते को तोड़ना चाहते हैं
चले जाएं
मेरी अपनी यादों पर सही है
चले जाएं
मेरी अपनी यादों पर सही है
आपकी इच्छाओं को दिल में रखा था
बोलना चाहता था
बोलना चाहता था
अचानक लोग प्रत्येक दिन जान लेते हैं
खुशबू तब आई थी जब फूलों को किताबों में छिपा रखा गया था
मेरी अपनी यादों पर सही है
मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
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