सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

वैलेंटाइन डे की ख्वाहिश ,काश अपनी भी कोई सनम होती

        सबसे पहले आप सभी को वैलेंटाइन डे की बहुत-बहुत सारी शुभकामनाएं, फिर मेरा प्यार भरा नमस्कार | दोस्तों ,वैलेंटाइन डे का नाम आते ही दिल में सिर्फ एक ही ख्याल आता है 'प्यार' वैलेंटाइन डे प्यार को मनाने का दिन, प्यार से मिलने का दिन, प्यार को महसूस करने का दिन, प्यार को जताने का दिन | एक ऐसा दिन जिसका हर घड़ी, हर लम्हा, हर वक्त प्यार के नाम होता है | जिस दिन का इंतजार हर प्रेमी को इतनी बेसबरी से होता है कि शायद उतनी बेसब्री से रेगिस्तानी जमीन को बारिश का भी ना हो |

वैलेंटाइन डे

        लेकिन जिन लोगों के पास अभी तक उनका वैलेंटाइन नहीं है मेरी तरह उनकी भावनाएं , उनकी ख्वाहिशों को सहेजते हुए मैंने पहली बार ग़ज़ल लिखी है उम्मीद है आप सभी के दिल में उतर जाएगी | गजल कुछ यूं है

                                                     काश अपनी भी कोई सनम होती

उसे जान देकर भी निभाता अगर ऐसी कोई कसम होती
काश अपनी भी कोई सनम होती

कांच समझ कर तोड़ देती या फूल समझकर नाजो मे रखती मेरे दिल को
चाहे रहम दिल चाहे बेरहम होती

यूं तन्हा वीरान जिंदगी तो नहीं गुजरती रेगिस्तान की तरह
भले ही वह जख्म या मरहम होती

वैलेंटाइन डे की ख्वाहिश ,काश अपनी भी कोई सनम होती

किसकी जीद है की मिले तो जन्नत की हूर ही मिले
चांद सी खूबसूरत या चांद से थोड़ा कम होती

किसी का चेहरा नहीं उसकी आंखें बयां करती है उसका दर्द
लिख देता प्यार उसकी जिंदगी में जो मेरे पास खुदा की कलम होती

किसी का दो पल का मुस्कुराना कितना सुकून दे सकता है उन्हें मालूम ही नहीं
उनकी चाहत हक़ीक़त नहीं भी तो वहम होती

क्या यूं भी कोई दुआ कर सकता है अपने लिए हरी
वह बेवफा सही मेरी ही हर जन्म होती

        मेरी यह गजल आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अनजाने में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

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