नमस्कार , अब मैं जिस लोकगीत के बारे में बात करने जा रहा हूं वह एक ऐसा लोकगीत है जो भाषा , क्षेत्र , राज्य आदि सीमाओं के परे है | क्योंकि लोरी एक ऐसा लोक गीत या गीत है जिसे हर मां अपने बच्चे को सुलाने के लिए बड़े प्यार से गाती है | हां लोरी की रचना अलग अलग भाषाओं में अलग अलग हो सकती है लेकिन हर लोरी वात्सल्य रस से भरी हुई होती है जिसे सुनकर बच्चे को चैन की नींद आती है | हम सब ने भी अपने-अपने बचपन में अपनी अपनी मांओ से लोरी जरूर सुनी होगी | वर्तमान हालात में हमारे बडे शहरों में भले लोरियां गायक सी होती जा रही हो लेकिन गांवो में यह आज भी फल-फूल रही हैं |
एक मां के उसके बच्चे से प्यार की कोई तुलना नहीं की जा सकती | मां की ममता को प्रदर्शित करती हुई मेरी एक लोरी जिसकी रचना मैंने 22 मई 2018 को की थी आपके स्नेह के लिए साझा कर रहा हूं -
टीम टीम करने लगे हैं तारे
चमकने लगा है चांद
बेटा मेरे सो जा
अब हो गई है रात
चमकने लगा है चांद
बेटा मेरे सो जा
अब हो गई है रात
निंदिया रानी आएगी
सपने खूब दिखाएगी
यह रात बीत जाएगी
सुबह मां खिलाएगी
मुन्ने को दूध भात
बेटा मेरे सो जा
अब हो गई है रात
सपने खूब दिखाएगी
यह रात बीत जाएगी
सुबह मां खिलाएगी
मुन्ने को दूध भात
बेटा मेरे सो जा
अब हो गई है रात
कल का सूरज आएगा
खिलौने ढेरों लाएगा
मेरा मुन्ना खूब खेलेगा
मैया भी खेलेगी मुन्ने के साथ
बेटा मेरे सो जा
अब हो गई है रात
खिलौने ढेरों लाएगा
मेरा मुन्ना खूब खेलेगा
मैया भी खेलेगी मुन्ने के साथ
बेटा मेरे सो जा
अब हो गई है रात
टीम टीम करने लगे हैं तारे
चमकने लगा है चांद
बेटा मेरे सो जा
अब हो गई है रात
चमकने लगा है चांद
बेटा मेरे सो जा
अब हो गई है रात
मेरी ये लोरी लोकगीत आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |
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