शनिवार, 29 मई 2021

ग़ज़ल , नही का मतलब नही , नही होता

      नमस्कार , एक दिवस पूर्व मैने एक नयी ग़ज़ल लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत करना चाहता हूं |

नही का मतलब नही , नही होता 

इस मोहब्बत मे नही , नही होता 


आंखें भी बहुत बोलती हैं उसकी 

ओठ जो कहें दें वही , नही होता 


मोहब्बत में मिला जख्म नही दिखता 

दर्द दिल के सिवा कहीं , नही होता 


सजा पाता हूं उसके किए जुर्म का 

हर बार वही तो सही , नही होता 


रहती हैं उसकी यादें सदा बनकर 

तभी तो मैं तनहा कभी , नही होता 

     मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


बुधवार, 26 मई 2021

कविता , अपनों को खोकर

      नमस्कार 🙏विधा कविता में विषय अपनों का गम पर दिनांक 4/4/2021 को मैने एक रचना की थी जिसे आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं 

अपनों को खोकर 


आपनों को खोकर 

जीवन रस फिका लगेगा 

न अब सावन 

लगेगा मन भावन 

और फागुन 

फिका फिका लगेगा 

पकवान अब कोई 

न मीठा लगेगा 

आपनों को खोकर 

जीवन रस फिका लगेगा 

      मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


ग़ज़ल , मै तो कोशिश में हूं तुम्हें सच बताने की

     नमस्कार , 26 मई 2021 को मैने एक नयी ग़ज़ल लिखी है जिसे आपसे साझा कर रहा हूँ आशा है कि आपको मेरी ये ग़ज़ल अच्छी लगेगी 

मै तो कोशिश में हूं तुम्हें सच बताने की 

तुम तो सुनते हो बस इस जमाने की 


तुम्हारे महल की ठंडक तुम्हें मुबारक हो 

मेरी तमन्ना है बस मेरा घर बनाने की 


मैं वो नही के इमान को गिरवी रखदूं 

अना तो चीज ही होती है नजर आने की 


इसबार की बहार आए तो यही शर्त रखुंगा 

मुझसे वादा करो लौटकर न जाने की 


यही हुआ है के एक अरसे से मै तनहा हूं 

ये सजा मिली है मुहब्बत न समझ पाने की 

   मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


रविवार, 16 मई 2021

कविता , एक गिलहरी देखा मैने

      नमस्कार 🙏 करीब दो हफ्ते पहले मैने एक प्रतियोगिता के लिए यह कविता लिखी थी जिसमें मेरी यह कविता सम्मानित की गई है | अब इसे मै आपके हवाले कर रहा हूं कविता कैसी रही जरूर बताइएगा 

एक गिलहरी देखा मैने 


रेत के टीले में लोट लगाकर 

सागर जल में खुद को धोती थी 

ऐसा वो क्यों बार-बार करती थी 

देख इसे मन ही मन सोचा मैने 


एक गिलहरी देखा मैने 


तब निश्चय किया कि इसे 

क्या पीड़ा है , पूछ तो लू 

इसकी हृदय वेदना सून तो लू 

कर निश्चय फिर पूछा मैने 


एक गिलहरी देखा मैने 


गिलहरी ने कहा प्रभु श्री राम से 

आप लंका चले है धर्मरक्षा के काम से 

मौन रहकर यू ही मै शांत नही बैठुंगी 

सहयोग करुंगी,सागर में रेत भरने सोचा मैने 


एक गिलहरी देखा मैने 

   मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

बुधवार, 5 मई 2021

कविता , रोजगार का बंटाधार

        नमस्कार  🙏विषय - रोजगार पर विधा - कविता में दिनांक - 01/05/2021 को मैने एक रचना की थी जिसे आपके समक्ष रख रहा हूं 

रोजगार का बंटाधार 


कोरोना का काला जाल 

चली कैसी इसने चाल 

बुरा किया सब का हाल 

हो मालामाल या कोई कंगाल 

रोटी दाल के लाले पड़ गए 

चलते चलते पांव में छाले पड़ गए 

रोजगार का बंटाधार 

कर दिया कोरोना ने 

    मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

शनिवार, 1 मई 2021

ग़ज़ल, कोई आसान नहीं है दोस्ती

      नमस्कार , साहित्य संगम संस्थान मध्यप्रदेश इकाई पटल पर विषय - दोस्ती विधा - ग़ज़ल पर मैने दिनांक - 30/4/2021 को यह रचना की थी जिसे आपके समक्ष रख रहा हूं |

कोई आसान नहीं है दोस्ती 

कैसे आसमान नहीं है दोस्ती 


घर से कम नही है मेरा यार

मगर मकान नही है दोस्ती 


गैर जरुरी कानून है हैसियत 

कोई अपमान नहीं है दोस्ती 


गाढ़ा वक्त गुजर जाए तो कन्नी 

कोई सामान नही है दोस्ती 


घाटा मुनाफा देखते रहें तनहा 

कोई दुकान नही है दोस्ती

    मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

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