शनिवार, 3 नवंबर 2018

कविता, प्यार का मौसम आने को है

     नमस्कार , मेरी ये कविता प्यार के मेरे मन में एक हल्के से आहट की है जो मैने तकरीबन दो साल पहले डिगरी के दूसरे साल में महसूस किया था | आप भी इस कविता का आनंद लें |
प्यार का मौसम 

कविता, प्यार का मौसम आने को है

ठंडी-ठंडी बहे पूर्वी हवाएंँ
मेघा रिमझिम बुंदे बरसाएं
घुमड़-घुमड़ बादल छाएं
दामिनी चमकी बताने को है
तू नहीं मेरे पास पर
        प्यार का मौसम आने को है

धड़कने मेरी क्या कहती हैं
उनींदी नजरो का सार तु
सांसें भी आहट करती हैं
ना समझी तुम पर
चाहतों की खबर जमाने को है
तू नहीं मेरे पास मगर
        प्यार का मौसम आने को है

मोरनी मोर संग नृत्य करे
भँवरी भँवरे संग कृत्य करे
कोयलीयाँ कोयले संग संगीत रचे
बदली धरती के पास आने को है
तू नहीं मेरे पास जाने क्यों
        प्यार का मौसम आने को है

रुठ गई हो जब से
ना कोई चिठ्ठी ना कोई पाती
मुझे भूल गई हो लगता जैसे
ये इत्तेफाकन मिलना दूरियांँ मिटाने को है
तू नहीं मेरे पास मगर
         प्यार का मौसम आने को है

काली घनी रात होगी
सनसनाती हुई हवाएंँ बहेगी
अजीब सी कसमकस खामोशी मेरे
पास पांँव पसारे होगी और
तेरी यादें तड़पाने को है
तू नहीं मेरे पास मगर
          प्यार का मौसम आने को है
     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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