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शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

घनाक्षरी, कहां का मजनू कहां की लैला

नमस्कार , अक्षरों की सघनता का रूप घनाक्षरी होता है |  घनाक्षरीया भी विभिन्न भावों को  खुद में सहेज लेती हैं | हिंदी भाषा खुद में इतनी सक्षम है कि हर भाव , हर रस की रचनाएं , हर विधा की रचना है अत्यंत सरलतापूर्वक की जाती हैं | घनाक्षरी भी इसी तरह की एक विधा विधा है |

12 जुलाई 2018 को मैंने एक घनाक्षरी लिखी है | जिसे मैं आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं | आपके स्नेह की उम्मीद है |

घनाक्षरी, कहां का मजनू कहां की लैला

कहां का मजनू कहां की लैला

प्यार-व्यार की बातें करते
झूठे-झूठे वादे करते
कहां रह गई है अब सच्ची मोहब्बत
हर महबूबा का आंचल मैला
कहां का मजनू कहां की लैला

आज जो उसका आशिक है
कल वो उसका आशिक था
कल जो उसकी महबूबा थी
आज वो उसकी महबूबा है
अब दिल्लगी ही बाकी बची है
फालतू में इश्क-इश्क का शोर है फैला
कहां का मजनू कहां की लैला

वो मीठी-मीठी बातें याद आती हैं
वो ठंडी-ठंडी रातें याद आती हैं
क्लास बंक करके सारा-सारा दिन
वो कैंटीन वाली मुलाकातें याद आती हैं
तब शहद सा मीठा लगता था
नीम का रस कड़वा कसैला
कहां का मजनू कहां की लैला

       मेरी घनाक्षरी के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मंगलवार, 15 मई 2018

घनाक्षरी , कुछ ऐसे ही

नमस्कार ,  कोई भी वाक्य बहुत सारे शब्दों का एक समूह होता है और एक शब्द बहुत सारे अक्षरों का समूह होता है | हिंदी पद्य साहित्य में एक विधा है जो अक्षरो के सघन समूह को परिभाषित करती है | उस विधा को घनाक्षरी के नाम से जाना जाता है | घनाक्षरी विधा में एक ही प्रकार के समानार्थी शब्दों की सघनता होती है | इस विधा की रचनाएं बहुत ही उच्च कोटि की होती हैं जिन्हें पढ़कर आनंद की अनुभूति होती |

   तकरीबन दो-तीन दिन पहले ही मेरा घनाक्षरी विधा से परिचय हुआ है | उसी दौरान इसी विधा में मैंने एक रचना की थी जिसे मैं यहां लिख रहा हूं | आपके आशीर्वाद की आशा है -

कुछ ऐसे ही

काले - काले कोट वाले
सफेद - सफेद धोती कुर्ता वाले
खादी की जैकेट , टोपी वाले
कुछ ऐसे ही दिखते हैं राजनीति वाले

कुछ ऐसे ही दिखते हैं राजनीति वाले

झूठे - झूठे करते वादे
जैसे होते हैं खाली - खाली लिफाफे
जीतने के बाद नजर ना आंवे
कुछ ऐसे ही करते हैं वोटनीति वाले

कर - कर के घोटालों पर घोटाले
भारत की जनता को लूट - लूट कर कंगाल -कंगाल कर डाले
इन्हें तिहाड़ जेल के करो हवाले
कुछ ऐसे ही सजा पाते हैं नोट की राजनीति वाले

   मेरी ये घनाक्षरी आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |   

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