शुक्रवार, 30 जून 2017

उन्हें तरस भी नहीं आई ऐसा हाल हमारा देखकर

बेवफा और धोखेबाज

  समय की बात हो या दुनिया की , सब कुछ परिवर्तनशील है | किसी में बदलाव कि उम्मीद ना करके उसे अपने ख्वाइशों का मसीहा मान लेना  जरा भी समझदारी नहीं है | यह बात प्यार करने वालों पर भी उतनी ही लागू होती है जितनी के व्यापार करने वालों पर | जिसमें आपने बदलाव की उम्मीद ना की हो जब आप उसे समय के साथ बदलता हुआ देखते हैं तो आपका मन उसे  आपका गुनहगार समझने लगता है | और उस समय मन की जो भावना होती है उसे बेवफा और धोखेबाज जैसे लफ्ज़ हूबहू परिभाषित करते हैं |

    कोई पेड़ जब आंधी में टूट कर गिरता है तो उस पेड़ का कुछ हिस्सा उसी जगह पर बच जाता है जहां पेड़ था | विश्वास के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है | जब एक बार किसी पर किया गया विश्वास टूट जाता है तो टूटने की वह खटक  दिल में बनी रह जाती है | उसी खटक को अक्सर बेवफाई कहा जाता है | लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा था कि दुनिया परिवर्तनशील है और सब को अपने हिसाब से जीने की आजादी है | अपना भला बुरा सोचने की आजादी है | तो ऐसे में कोई किसी के मन का गुनहगार जरूर हो सकता है लेकिन किसी मापदंड का गुनहगार कभी नहीं हो सकता |

  
किसी से सहारे की उम्मीद करना अच्छी बात है और किसी का सहारा बनना और भी अच्छी बात है लेकिन किसी से जबरन सहारे की उम्मीद करना बहुत गलत बात है | कुछ दिनों पहले मैंने एक नई ग़ज़ल लिखी है | मुझे उम्मीद है कि पहले की तरह ही मेरी यह गजल आप सबको पसंद आएगी -

उन्हें तरस भी नहीं आई ऐसा हाल हमारा देखकर

कभी-कभी चमकने का जी करता है  कोई टिमटिमाता सितारा देखकर
हमने किस्मत पर दाव लगाना छोड़ दिया है रईसों का खसारा देखकर

जड़ से लेकर पत्तों तक पेड़ डूबा हुआ है दरिया में
परिंदा आसमान में भौचक्का है यह नजारा देखकर

एक रोटी बाटकर कैसे खाई जाती है एक पूरे परिवार में
कुछ नेता गरीबी सीख रहे हैं यह गुजारा देखकर

वह तूफान तो समंदर में कई कश्तियां डूबो गया
बर्बादी का अंदाजा लगा रहे हैं लोग किनारा देखकर

बेवफा और धोखेबाज

अजनबीयों की तरह मुंह मोड़कर अपने रास्ते चल दीये वह
उन्हें तरस भी नहीं आई ऐसा हाल हमारा देखकर

मालूम ना था कि रात का सफर इतना मुश्किल है
हम तो निकले थे घर से चांद की रोशनी का सहारा देखकर

क्या अजब सी दुनिया बदल रही है इस नए दौर की
बेवजह ही चौक जाते हैं लोग एक ही चेहरे को दोबारा देखकर

चर्चा आम है उसकी इश्क की  दास्तान
जिसे देखिए बातें बनाता है उसे इश्क में आवारा देखकर

  
अक्सर मोहब्बत में यह बात होती है , जब प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे से जुदा हो जाते हैं तो दोनों में से कोई एक या कभी-कभी तो दोनों ही अपनी अनमोल जिंदगी को तबाही की ओर मोड़ देते हैं | ऐसी परिस्थितियों में इंसान अक्सर यह भूल जाता है कि कुछ बिगाड़ने से ज्यादा कठिन कुछ बनाना है | तो क्यों ना हम अपनी जिंदगी को उस वक्त एक लक्ष्य प्रदान करें | एक ऐसा लक्ष्य जो हजारों जिंदगियों को खुशी का पल दे सके , उनकी तरक्की का जरिया बन जाए |

   
मेरी यह गजल आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा, कृपया ब्लागस्पाट के कमेंट बॉक्स में सार्वजनिक कमेंट ऐड करिएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

शुक्रवार, 23 जून 2017

मुझे पहली बरसात का इंतजार है

पहली बरसात

  तपती हुई धूप जब रेत पर पड़ती है तो यूं लगता है कि जैसे प्रकृति किसी क्रोध की अग्नि में जल रही हो और यह ग्रीष्म का मौसम उसी क्रोध का परिणाम हो | इस ग्रीष्म के मौसम में पसीने से लतपथ होने पर अगर कहीं पेड़ों की ठंडी छाया मिल जाए तो यूं लगता है कि जैसे प्रियतमा आंचल हो |

  
चार महीनों की तपन के बाद जब आषाढ़ का महीना आता है तो आशाएं मुस्कुराने लगती हैं | मौसम धीरे-धीरे करवटें बदलने लगता है और सारी प्रकृति वर्षा ऋतु मौसम के पहली बरसात का इंतजार करने लगती है | जब पहली पहली बरसात होती है तो बरखा की बूंदें , सर्द हवाएं प्रियतमा के मन मे मिलन की ख्वाहिशों को बढ़ा देती है | चमकती हुई बिजलियां , गरजते हुए बादल दिल में चाहतों की अगन लगा देते हैं | बरखा ऋतु के इस मौसम में जब धरती हरियाली से सुशोभित होती है तो हर प्रियतमा यह चाहती है कि उसका प्रीतम उसके साथ रहे |

पहली बरसात

  
मौसम की पहली बरसात की अनेकों भावनाओं , यादों को समेटे हुए मैंने एक गीत लिखने की कोशिश की है | मेरी ख्वाहिश है कि मेरी यह गीत आप सभी के दिलों को छू जाए -

मुझे पहली बरसात का इंतजार है

चार माह की तपन
लगा गई मन में अगर
अब आया महीना आषाढ़ का
अब टूट गया बांध पिया मेरे सब्र और इंतजार का
अब लौट आओ वतन अगर तुम्हें मुझसे प्यार है
मुझे पहली बरसात का इंतजार है

किसके लिए खनके मेरी यह पायल
कौन लहराता मेरा प्यार से आंचल
मेरी सखियों के साजन लौट आए
कैसे मेरे मन को चैन आए
मत आना इस बार भी मेरा मरना गर तुम्हें स्वीकार है
मुझे पहली बरसात का इंतजार है

पहली बरसात

   
जब बरसात का जिक्र हो रहा है तो मुझे यकीन है कि बरसात को लेकर आप सभी के मन में भी यादों के कई दरवाजे खुल गए होंगे | कुछ खट्टे मीठी घटनाएं आपके मन में दस्तक दे रही होंगी | इस मौसम की पहली बरसात भी आने वाली है | और इस बरसात को भी हम सभी इस तरह जिए के इस बरसात कि कुछ यादों का पन्ना हमारे जिंदगी में जुड जाए |

   
मेरी यह गीत आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा, कृपया ब्लागस्पाट के कमेंट बॉक्स में सार्वजनिक कमेंट ऐड करिएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

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