नमस्कार , एक गजल का मतला और दो- तीन शेर देखें के -
जुल्म की हद से गुजरना चाहता है
दीया गहरे तूफान में जलना चाहता है
दीया गहरे तूफान में जलना चाहता है
कल एक परिंदे ने कहा था मुझसे
सुकून से जीना है उसे इसलिए मरना चाहता है
सुकून से जीना है उसे इसलिए मरना चाहता है
मेरा हालात मेरे अशार बदलने नहीं देता
वो है के मेरा मयार बदलने नहीं देता
वो है के मेरा मयार बदलने नहीं देता
बहुत पहले ही मुक्तसर हो जाती मेरे हयात की कहानी लेकिन
वो है कि मेरा किरदार बदलने नहीं देता
वो है कि मेरा किरदार बदलने नहीं देता
दो तिन शेर और देखें के
इतने सितम सहकर तो पत्थर भी उफ कह देता
मेरा दिल है कि दिलदार बदलने नहीं देता
मेरा दिल है कि दिलदार बदलने नहीं देता
इश्क ने पेचीदा बना दिया है मुझे
नहीं तो पहले आसान था मैं
नहीं तो पहले आसान था मैं
मुसलसल इस शहर में खौफ का मौसम है
एक सुकून का लम्हा यहां से गुजारना चाहता है
एक सुकून का लम्हा यहां से गुजारना चाहता है
गजल का मख्ता देखने के
'तनहा' है के मिट जाने को तैयार ही नहीं
वो एक तूफान है के सब कुछ मिटाना चाहता है
वो एक तूफान है के सब कुछ मिटाना चाहता है
मेरी शेरों शायरी के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार
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