नमस्कार , जिसके पास हो तुम जिसके साथ हो तुम गजल को मैने 2 अक्टूबर 2017 को लिखा था | आप कि ख़िदमत में पेश है मेरी ये गजल | गजल देखे के -
हर घड़ी धड़कन की तरह मेरे पास हो तुम
किसी महकते फूल का एहसास हो तुम
किसी महकते फूल का एहसास हो तुम
जिसका खो जाए वह भी जिसे मिल जाए वह भी अपने आपे में कैसे रहे
जिसकी कोई कीमत ही नहीं इतनी खास हो तुम
जिसकी कोई कीमत ही नहीं इतनी खास हो तुम
क्या उसे किसी और की कभी आरजू भी होगी
जिसके पास हो तुम जिसके साथ हो तुम
जिसके पास हो तुम जिसके साथ हो तुम
उस बदनसीब के लिए इससे बुरा और क्या होगा जहां में
जिस घड़ी से मुझसे नाराज हो तुम
जिस घड़ी से मुझसे नाराज हो तुम
जो गीत गाकर मैं सारी दुनिया को अपना दीवाना बना दूं
उस गीत के सारे अल्फाज हो तुम
उस गीत के सारे अल्फाज हो तुम
मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
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