जौहर कुंड
शोकरहित हर्षित होकर
मृत्यु समय से परिचित होकर
अपने सतित्व कि रक्षा के खातिर
अपने स्त्रीत्व कि सुरक्षा के खातिर
अपने हाथों से मिल जुल कर
कुंड में ज्वाला जलाती विरांगनाए
इतिहास ने देखा है भारत कि धरा पर
जौहर कुंड सजाती विरांगनाए
हंसते हुए जल जाती विरांगनाए
जय भां भवानी के
जय घोष लगाती विरांगनाए
मेरीे ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |
इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |