नमस्कार , ऐसी कविताएं जिनका एक अलग सा तेवर होता है उन्हें ही तेवरी कहा जाता है | तेवरी कविताएं में देखा गया है कि यह कविताएं किसी एक विशेष भाव का बगावत करती हुई नजर आती हैं या यूं कहें कि प्रति उत्तर देती हुई नजर आती हैं |
आज जो तेवरी मैं आपके समक्ष रखने वाला हूं वह एक आम से तेवर की कविताएं | इस तेवरी को मैंने तकरीबन हफ्ते भर पहले लिखा है -
देखिए
देखिए
दरअसल कोई आदेश सूचक शब्द नहीं है
दरअसल कोई आदेश सूचक शब्द नहीं है
ना तो यह किसी बात का प्रतिउत्तर है
और ना ही कोई संबोधन है
और ना ही कोई संबोधन है
देखिए एक तरीका है
जो हर किसी का अपना अपना होता है
कोई देखिए को बड़े जोर से कहता है
और कोई बड़े आस्ते से
मतलब अगर मैं यह कहूं कि
देखिए ....
सबका अपना-अपना होता है
जो हर किसी का अपना अपना होता है
कोई देखिए को बड़े जोर से कहता है
और कोई बड़े आस्ते से
मतलब अगर मैं यह कहूं कि
देखिए ....
सबका अपना-अपना होता है
मेरी तेवरी के रूप में एक और छोटा सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार