सोमवार, 2 जुलाई 2018

दो क्षणिकाएं

   नमस्कार ,  क्षणिकाएं हमेशा से ही क्षणिक घटनाक्रमों पर आधारित रही हैं |  इनका स्वभाव भी छोटा होता है |  क्षणिकाओ के पाठक को पढ़कर  बहुत क्षणिक आनंद की अनुभूति होती है , और यह आनंद हर क्षणिका के साथ बदल जाता है |

    यहां मैं आपके सामने एक दिन पहले मेरी लिखी कुछ क्षणिकाएं  सुनाने जा रहा हूं |  आपके प्यार की उम्मीद है -

दो क्षणिकाएं

1 )  सारे भक्त होंगे
दर्शन को तैयार
सावन में
खुलेंगे भोलेबाबा
के दरबार

2 )  बादल गरजेंगे
बिजली चमक के डराएगी
याद आ जाएगी
नानी
कपड़े सूख ना पाएंगे
दिन भर बरसेगा
पानी

      मेरी क्षणिकाओ के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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