शनिवार, 21 अक्तूबर 2017

क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

      बेटियां ही मां होती हैं , बेटियां ही बहने होती है , बेटियां ही पत्नी बनती , संसार का ऐसा कोई भी रिश्ता नहीं है जो बेटियों के बिना पुरा हो सके | लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी हमारे देश में कंया भ्रुण हत्या होती है , आज भी हमारे देश में बेटियों के प्रति हीन भावना है | लोग आज भी बेटियों को बेटों से कामतर आंकते हैं , यह बहुत ही दुखद है लेकिन सच्चाई यही है | जबकि बेटियां आज दुनिया में हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकी हैं , चाहे वह अंतरिक्ष विज्ञान हो , तकनीकी हो, उद्योग हो | यही नहीं हमारे देश की बेटीया आज बेटो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की सुरक्षा में तैनात हैं |

बेटी

        हमारी सरकार के लाखों प्रयासों के बावजुत भी कंया भ्रुण हत्या जैसे जघन्य अपराघ पर पुरी तरह से काबू नही पाया जा चुका है | आज भी हमारे समाज ने बेटियों को वो अधिकार वो समानताएं नही दी हैं जो बेटो को प्राप्त है | मैने अक्सर यह महसूस किया है कि जब किसी घर में बेटा पैदा होता है तो लोग खुशियां मनाते हैं , बधाइयां देते हैं लेकिन जब बेटी पैदा होती है तो लोग मायूस हो जाते हैं | आखिर ऐसा क्यों है ? और कब खत्म होगी यह बेटियों के प्रति हीन भावना ?..| इन्हीं ख्यालो , इन्हीं सवालों के वशीभूत होकर मैंने एक कविता की रचना की है |मुझे उम्मीद है कि मेरी यह कविता मेरी भावनाओ को रेखांकित करेगी | कविता का शीर्षक है 
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क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

मैं कोख में ही मरती हूं
मैं दहेज की आग में जलती हूं
परिवार के लिए एक बोझ हूं
बरसों से खामोश हूं
कौन सुनेगा कहना मेरा
क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

मैं प्यार का स्वरूप हूं
मैं मातृत्व का प्रतीक हूं
फिर भी मेरा अस्तित्व क्यों खतरे में है
फिर क्यों मैं भयभीत हूं ?
फिर क्यों तय हो जाता है कोख में ही मरना मेरा ?
क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

बेटी

एक बात मुझे हमेशा तड़पाती है
मेरे पैदा होते ही उदासी क्यों छा जाती है ?
क्या मैं बोझ हूं ? , पर क्यों ?
क्या मैं लाचार हूं ? , पर क्यों ?
हक है मिले जीवन को जीना मेरा
क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

जब मैं पत्नी होती हूं , तो परिवार की सेवक होती हुं
जब मैं मां होती हूं , तो परिवार की पालक होती हुं
मैंने हर रिश्ते को पुरी वफादारी और जीजान से सींचा है
फिर क्यों बेटों से रुतबा मेरा नीचा है
क्या गलत है यह कहना मेरा
क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

      यह कविता आपको कैसाी लगाी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार |

गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

दीपावली पर एक नया चिराग जलाओ ना


दीपावली
   
  आप सबको दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं मंगलकामनाएं | दीपावली प्रकाश का पर्व है , अज्ञानता से ज्ञान की ओर गमन का पवित्र संदेश देता है | दीपावली पर्व का इतिहास बताता है कि दीपावली पर्व खुशियों के घर आगमन का प्रतीक है | घर के आंगन में जलते कतारबद्ध दीपों की रोशनी सभी प्रकार के दुख रूपी अंधकार को दूर कर एक नई ऊर्जा भर देती है |

दीपावली

        दीपावली हमारे देश के कोने - कोने में एक समान रुप से मनाई जाती है | जलते हुए दीपकों की रोशनी में आतिशबाजी का आनंद इस त्यौहार की गरिमा है | दीपावली के दीए हमारे घर के वातावरण को तो रोशन कर देते हैं , ज्ञान के उजाले की ओर जाने की प्रेरणा तो देते हैं लेकिन क्या हम लोग अपनी सोच में वह उजाला लाते हैं ? | दिवाली के इस शुभ अवसर पर मैंने एक कविता लिखी है | मुझे उम्मीद है कि मेरी यह कविता सोच के एक 
नए दीए की रोशनी से ओतप्रोत है |

एक नया चिराग जलाओ ना

नए सुबह की नई रात है
पर रुढीयो की अभी वही पुरानी बात है
अपने नए ज्ञान से तुम
अज्ञानी अंधेरों को मिटाओ ना
          एक नया चिराग जलाओ ना

दीपावली

मत मारो तुम कोख मे हीं मैया
अपने प्यारे बचपन को
हर सुख देगी , कुछ न लेगी
भर देगी घर - आंगन को
बदल रही है पूरी दुनिया
थोड़ा तुम भी बदल जाओ ना
          एक नया चिराग जलाओ ना

हर तरफ हो भाईचारा
दुनिया में अमन की सुगंध महके
प्यार भरा हो जल - नभ में
सब को प्यार सिखाओ ना
          एक नया चिराग जलाओ ना

यह कविता आपको कैसाी लगाी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार | दीपावली पर एक नया चिराग जलाओ ना

रविवार, 8 अक्तूबर 2017

करवा चौथ पर गीत , मेरी चांद से चांद

     आज कौन सा पर्व है ? आज का दिन हर शादीशुदा जोड़े के लिए इतना खास क्यों है ? यह पर्व प्यार का सबसे बड़ा पर्व क्यों है ?, इससे पहले कि आप सब इन सब सवालों का जवाब सोचे मैं आप सभी शादीशुदा जोड़ों को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहता हूं साथ ही भगवान से दुआ करता हूं कि आप सभी शादीशुदा लोगों का रिश्ता हमेशा बना रहे हो | 'जी हा ' आज करवा चौथ है | आज के दिन पत्नियां अपने पतियों की लंबी उमर के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत करती हैं | और रात में चांद निकलने के बाद चांद को चलनी में से देखकर अपने पतियों की पूजा करती हैं एवं उनके हाथों से पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं | अगर मैं आप सब से यह पूछूं कि प्यार को मनाने का सबसे बड़ा दिन कौन सा है ?, तो जाहिर सी बात है आप सब में से अधिकांश लोग कहेंगे वैलेंटाइन डे | जबकि ऐसा नहीं है , मूल रूप से वैलेंटाइन डे किसी के प्रति प्यार जताने का दिन है , अपने प्यार का इजहार करने का दिन है | अपने प्यार को सेलिब्रेट करने का , अपने प्यार को जीने का , अपने प्यार के प्रति समर्पण का दिन है करवा चौथ | करवा चौथ का पर्व वह पर्व है जिसे हमारी भारतीय संस्कृति ने हमें उपहार स्वरूप दिया है | मैं करवा चौथ को प्यार का सबसे बड़ा पर्व इसलिए मानता हूं क्योंकि हर प्रेमी जोड़े की यह ख्वाहिश होती है कि उनका यह प्रेम शादी की मुकम्मल मंजिल तक जरूर पहुंचे | और करवा चौथ शादी के बाद ही मनाया जाता है |

करवा चौथ

       पत्नियां तो जीवन भर ही अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करते हैं , लेकिन क्या पति अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करते हैं ? सोचिए तो....| क्या सिर्फ पत्नियों को ही अपने पतियों का साथ जिंदगी भर के लिए चाहती हैं ?, क्या सिर्फ पत्नियां ही अपने पतियों से प्यार करते हैं ? , क्या पति अपनी अपनी पत्नी से प्यार नहीं करते ? , क्या पतियों को अपनी पत्नियों का साथ जिंदगी भर के लिए नहीं चाहिए ? ,' साथ चाहिए ना , प्यार करते हैं ना ' तो फिर पत्नियां ही क्यों हर बार व्रत रखें ?...| इस करवा चौथ प्रयास करें पति भी अपनी पत्नी के लिए व्रत रखें | मैं यह बात सारे पतियों से कहना चाहूंगा , आज जब आपकी पत्नियां आपके सामने सज संवर कर आए तो उनकी तारीफ में मेरा लिखा यह गीत गाकर उन्हें सुनाए | मुझे उम्मीद है उन्हें यह गीत अवश्य पसंद आएगा | इस गीत में मैंने एक शब्द जलन का उपयोग किया है | इस गीत में जलन का तात्पर्य ईर्ष्या से है | गीत प्रस्तुत है -

करवा चौथ

बेफिक्री से यूं ना जुल्फें लहराना
ये पागल दिल है मचलने लगेगा 
ओ आईने तू सच ना कहाकर
मेरी चांद से चांद जलने लगेगा

ये नीलम सी आंखें , ये चांद सा चेहरा
ये घुंघट है ऐसे , जैसे घटाओं का पहरा
चंदन की खुशबू , सोने सा तन
फूलों सी नाजुक , गंगा सा मन
ये लहरों सी चाल , ये मखमल सा आंचल
उस पर भी श्रृंगार लगता है ऐसे
यौवन का प्याला छलकने लगेगा
ओ आईने तू सच ना कहाकर
मेरी चांद से चांद जलने लगेगा

ये पूनम की रात , ये नीला गगन
ये एकांत का पल , ये चाहत का उपवन
ये पारस की छुअन , ये मीठी अगन
सातों सुरो जैसी तेरी हंसी
जहां ने अप्सरा भी ऐसी कभी देखी नहीं
सुंदरता भी अलंकृत होगी आज तुझसे
पत्थरों में भी दिल धड़कने लगेगा
ओ आईने तू सच ना कहाकर
मेरी चांद से चांद जलने लगेगा

बेफिक्री से यूं ना जुल्फें लहराना
ये पागल दिल है मचलने लगेगा
ओ आईने तू सच ना कहाकर
मेरी चांद से चांद जलने लगेगा
ओ आईने तू सच ना कहाकर
मेरी चांद से चांद जलने लगेगा

         यह गीत आपको कैसाी लगाी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार |

शनिवार, 30 सितंबर 2017

दशहरा , नेता और रावण मौसेरे भाई

     आज का दिन दशहरा दुनिया भर में असत्य पर सत्य की जीत के रूप में , पाप पर पुण्य की जीत के रूप में मनाया जाता है | इससे पहले कि मैं कुछ और आगे लिखूं सर्वप्रथम आप सबको दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं | आज के दिन ही भगवान श्रीराम ने दशानन रावण का वध किया था और बुराई पर अच्छाई की जीत का शंखनाद किया था | प्रतिवर्ष दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है , रावण के पुतले का दहन करने का मकसद सिर्फ इतना होता है कि हम सभी अपने मन के भीतर छुपी सभी बुराइयों का भी दहन कर दें | पर क्या हम ऐसा कर पाते हैं ? , क्या हम अपनी सभी बुराइयों को छोड़ पाते हैं ? , जवाब बिल्कुल आसान सा है , नहीं | क्योंकि अगर हम अपने भीतर छिपी सभी बुराइयों का दहन कर पाते तो हम लोभी , अहंकारी और भ्रष्टाचारी नहीं होते | हम क्रोधी और ईर्ष्यालु भी नहीं होते |

दशहरा

        दशहरे के अवसर पर मैंने एक हास्य व्यंग कविता लिखी है | जिसमें व्यंग का पात्र अपने देश के भ्रष्टाचारी नेताओं को बनाया है | कविता का आधार रावण और भ्रष्टाचारी नेताओं के भीतर छुपी बुराइयों एवं उनके आचरण में समानता प्रदर्शित करता है , और यही कविता के व्यंग का स्वरुप है | कविता प्रस्तुत है -

नेता और रावण मौसेरे भाई

जैसे शिकारी और कसाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

दोनों पापी , दोनों लोभी
दोनों कामी , दोनों क्रोधी
रावण ने सीता हरण किया
नेताओं ने देश को भ्रष्टाचार व घोटालो वाली सरकार दिया

एक राक्षस तो दूसरा हरजाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

रावण ने सोने की लंका बनाबाया
नेताओं ने सोने को ही तिजोरियों में है छुपाया 
जैसे रावण ने हनुमान की पूंछ में आग लगवाया 
नेताओं ने भी अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को जान से है मरवाया

एक है दानव दूसरे से हैवानियत भी शरमाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

जैसे शिकारी और कसाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

       यह हास्य व्यंग कवित आपको कैसाी लगाी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार |

गुरुवार, 28 सितंबर 2017

मेरी बिनती सुन लो दुर्गा मां

   आप सबको नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं एवं मंगलकामनाएं | नवरात्रि श्रद्धा एवं आस्था का वह पर्व है जिसमें मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा अर्चना की जाती है | हिंदी महीनों के अनुसार यह पर्व क्वार के महीने में मनाया जाता है इसलिए इसे क्वारीय नवरात्रि या दुर्गा नवरात्रि भी कहा जाता है | नवरात्रि का यह पर्व उत्तर भारत एवं मध्य भारत के राज्यों में विशेष रुप से मनाया जाता है | नवरात्रि पर्व के 9 दिनों के बाद दसवा दिन दशहरा होता है |

दुर्गा मां

    दुर्गा नवरात्रि बहुत ही हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है | जगह-जगह दुर्गा पंडालों में दुर्गा मां की मूर्तियां स्थापित की जाती है एवं पूजा आराधना की जाती है | नवरात्रि के इस पर्व पर मां दुर्गा के चरणों में समर्पित करते हुए मैंने एक भजन लिखने की कोशिश की है | मेरी कल्पना है कि मेरा लिखा यह भजन मां दुर्गा के प्रति मेरी आस्था एवं भक्ति भाव का पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्व करेगा -

दुर्गा मां , दुर्गा मां

दुर्गा मां , दुर्गा मां
मेरी बिनती सुन लो दुर्गा मां
काली मां , जगदंबे मां
हम पर दया करो अंबे मां

मां तेरे बेटे ने तुझे पुकारा है
मां बस तेरा ही एक सहारा है
सुना है तू है ममता का सागर
मुझे भी अपने शरण में ले ले
ज्योतावाली मां
काली मां , जगदंबे मां
हम पर दया करो अंबे मां

देवता भी तेरी आरती उतारे
सारे जग को देती है तु उजियारे
मेरे दुखों को भी हर लो
पहाड़ावाली मां
काली मां , जगदंबे मां
हम पर दया करो अंबे मां

दुर्गा मां , दुर्गा मां
मेरी बिनती सुन लो दुर्गा मां
काली मां , जगदंबे मां
हम पर दया करो अंबे मां

    यह भजन आपको कैसा लगा मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताएं | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार |

शनिवार, 16 सितंबर 2017

कर्म पुजा हो तुम्हारी

      नमस्कार , आप सब को विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं | आज का दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा ,अर्चना का दिन है | मान्यताओं के अनुसार आज के दिन सभी प्रकार के लौह उपकरणों , वाहनों एवम मशीनों आदि की पूजा की जाती है | विश्वकर्मा जयंती की सबसे बडी प्रेरणा कर्मठ होना है | जिस तरह इस प्रकृति का हर एक कण - कण हर एक जीव अपने कर्म के अधीन है उसी प्रकार मानव को भी सदैव कर्मठ होना चाहिए |

विश्वकर्मा जयंती

       मेरी एक कविता जिसे मैं विश्वकर्मा जयंती के इस पावन पर्व पर आप सबके साथ साझा करना चाहता हूं | मुझे यकीन है मेरी यह कविता इस पावन अवसर पर आपके मन का भी प्रतिनिधित्व करती नजर आएगी |

                                                             - कर्म पूजा हो तुम्हारी -

सदियों के कर्म फल से
तुमको मानव तन मिला है
एक लक्ष्य हो मनुष्य तेरी
कुछ ना दूजा हो
कर्म पूजा हो तुम्हारी

कर्मठ हैं चांद - तारे
कर्मठ आकाश है
कर्मठ है पर्वत - नदियां
कर्मठ सृजन विनाश है
कर्मठ हो जाओ ऐसे ज्यों पाषाण जल में डूबा हो 
कर्म पूजा हो तुम्हारी

कर्म के आधीन हीं वायु का प्रवाह है
कर्म के आधीन ही पेड़ छायादार है
कर्म के अधीन ही जुगनू चमकते हैं रात भर
कर्म के अधीन हो जाओ ऐसे ज्यों गुल में कांटा हो
कर्म पूजा हो तुम्हारी

     यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताएं | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार |

बुधवार, 12 जुलाई 2017

सावन का सोमवार . मेरे भोले बाबा मुस्काए


भगवान शिव

        सावन का महीना अपने साथ बरसात के साथ साथ बरसात की हल्की फुल्की मस्तियां लाता है |यही वह महीना है जिसमें भारत का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहार रक्षाबंधन आता है | रक्षाबंधन वह पर्व है जिसमें बहने भाइयों की कलाइयों पर राखियां बनती हैं और उनके जीवन की मंगल कामना करती हैं , साथ ही साथ अपनी सुरक्षा का वचन भी चाहती हैं | सावन का महीना सिर्फ इसलिए खास नहीं है कि इस महीने में रक्षाबंधन आता है या इंद्रदेव पूरी मेहरबानी के साथ बरसा करते हैं |

     
सावन का पूरा महीना ही शिव भक्तों के लिए त्यौहार के समान है | सावन के हर सोमवार को शिवजी के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के और भारत ही नहीं पूरी दुनिया के समस्त शिव मंदिरों में शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं एवं पूजा कि जाती है | सावन के हर सोमवार को कुंवारी लड़कियां एवं महिलाएं उपवास करती हैं | ऐसा कहा जाता है कि शिव जी सबसे अच्छे पति थे इसीलिए इस दिन कुंवारी लड़कियां शिवजी की तरह ही अच्छे पति की मनोकामना लिए सावन के सोमवार का उपवास करती हैं एवं भोलेनाथ को प्रसन्न करने की कोशिश करती हैं | शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं |

   
भगवान शिव की कृपा प्राप्ति का भाव लिए  मैंने पहली बार भगवान शिव के चरणों का वंदन करते हुए एक भजन लिखने की कोशिश की है | भगवान शिव की प्रार्थना करते हुए मुझे उम्मीद है कि मेरा लिखा यह भजन मेरे और आप सबके इष्ट शिव की भक्ति करेगा | भजन इस तरह है -

भगवान शिव

मेरे भोले बाबा मुस्काए
मेरे भोले बाबा मुस्काए
हम शिव के भजन मिल गए

मेरे भोले बाबा को भांग पसंद है
मेरे भोले बाबा को धतूर पसंद है
हम बेलपत्र , फूल सब चढ़ाएं
हम शिव के भजन मिल जाए

मेरे भोले बाबा मुस्काए
हम शिव के भजन मिल गए

मेरे भोले बाबा दयालु हैं
मेरे भोले बाबा कृपालु है
हम चलो रुठे शिव को मनाए
हम शिव के भजन मिल गए

मेरे भोले बाबा मुस्काए
हम शिव के भजन मिल गए

मेरे भोले बाबा मुस्काए
मेरे भोले बाबा मुस्काए
हम शिव के भजन मिल गए
हम शिव के भजन मिल गए
हम शिव के भजन मिल गए

     
साबन का यह महीना सफलताओं एवं खुशियों से भरा हो यह मेरी प्रार्थना है | सावन का हर सोमवार शिव की भक्ति से ओतप्रोत हो तथा हम सभी को भगवान शिव की कृपा दृष्टि प्राप्त हो | भगवान शिव की भक्ति पाकर  हम सभी का जीवन कल्याणकारी बने |

  
मेरा यह भजन आपको कैसा लगा मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा, कृपया ब्लागस्पाट के कमेंट बॉक्स में सार्वजनिक कमेंट ऐड करिएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

शुक्रवार, 30 जून 2017

उन्हें तरस भी नहीं आई ऐसा हाल हमारा देखकर

बेवफा और धोखेबाज

  समय की बात हो या दुनिया की , सब कुछ परिवर्तनशील है | किसी में बदलाव कि उम्मीद ना करके उसे अपने ख्वाइशों का मसीहा मान लेना  जरा भी समझदारी नहीं है | यह बात प्यार करने वालों पर भी उतनी ही लागू होती है जितनी के व्यापार करने वालों पर | जिसमें आपने बदलाव की उम्मीद ना की हो जब आप उसे समय के साथ बदलता हुआ देखते हैं तो आपका मन उसे  आपका गुनहगार समझने लगता है | और उस समय मन की जो भावना होती है उसे बेवफा और धोखेबाज जैसे लफ्ज़ हूबहू परिभाषित करते हैं |

    कोई पेड़ जब आंधी में टूट कर गिरता है तो उस पेड़ का कुछ हिस्सा उसी जगह पर बच जाता है जहां पेड़ था | विश्वास के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है | जब एक बार किसी पर किया गया विश्वास टूट जाता है तो टूटने की वह खटक  दिल में बनी रह जाती है | उसी खटक को अक्सर बेवफाई कहा जाता है | लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा था कि दुनिया परिवर्तनशील है और सब को अपने हिसाब से जीने की आजादी है | अपना भला बुरा सोचने की आजादी है | तो ऐसे में कोई किसी के मन का गुनहगार जरूर हो सकता है लेकिन किसी मापदंड का गुनहगार कभी नहीं हो सकता |

  
किसी से सहारे की उम्मीद करना अच्छी बात है और किसी का सहारा बनना और भी अच्छी बात है लेकिन किसी से जबरन सहारे की उम्मीद करना बहुत गलत बात है | कुछ दिनों पहले मैंने एक नई ग़ज़ल लिखी है | मुझे उम्मीद है कि पहले की तरह ही मेरी यह गजल आप सबको पसंद आएगी -

उन्हें तरस भी नहीं आई ऐसा हाल हमारा देखकर

कभी-कभी चमकने का जी करता है  कोई टिमटिमाता सितारा देखकर
हमने किस्मत पर दाव लगाना छोड़ दिया है रईसों का खसारा देखकर

जड़ से लेकर पत्तों तक पेड़ डूबा हुआ है दरिया में
परिंदा आसमान में भौचक्का है यह नजारा देखकर

एक रोटी बाटकर कैसे खाई जाती है एक पूरे परिवार में
कुछ नेता गरीबी सीख रहे हैं यह गुजारा देखकर

वह तूफान तो समंदर में कई कश्तियां डूबो गया
बर्बादी का अंदाजा लगा रहे हैं लोग किनारा देखकर

बेवफा और धोखेबाज

अजनबीयों की तरह मुंह मोड़कर अपने रास्ते चल दीये वह
उन्हें तरस भी नहीं आई ऐसा हाल हमारा देखकर

मालूम ना था कि रात का सफर इतना मुश्किल है
हम तो निकले थे घर से चांद की रोशनी का सहारा देखकर

क्या अजब सी दुनिया बदल रही है इस नए दौर की
बेवजह ही चौक जाते हैं लोग एक ही चेहरे को दोबारा देखकर

चर्चा आम है उसकी इश्क की  दास्तान
जिसे देखिए बातें बनाता है उसे इश्क में आवारा देखकर

  
अक्सर मोहब्बत में यह बात होती है , जब प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे से जुदा हो जाते हैं तो दोनों में से कोई एक या कभी-कभी तो दोनों ही अपनी अनमोल जिंदगी को तबाही की ओर मोड़ देते हैं | ऐसी परिस्थितियों में इंसान अक्सर यह भूल जाता है कि कुछ बिगाड़ने से ज्यादा कठिन कुछ बनाना है | तो क्यों ना हम अपनी जिंदगी को उस वक्त एक लक्ष्य प्रदान करें | एक ऐसा लक्ष्य जो हजारों जिंदगियों को खुशी का पल दे सके , उनकी तरक्की का जरिया बन जाए |

   
मेरी यह गजल आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा, कृपया ब्लागस्पाट के कमेंट बॉक्स में सार्वजनिक कमेंट ऐड करिएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

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