मंगलवार, 3 जुलाई 2018

प्रतिगीत, बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम

      नमस्कार ,  हमारे देश की राजनीति के भी कई रंग है और नेताओं के भी कई रंग है | कोई चुनाव प्रचार के दौरान अपशब्दों का उपयोग करता है ,  तो कोई विवादित बयान देकर सुर्खियों में बने रहने की कोशिश करता है ,  कोई विरोधी पार्टियों के खिलाफ बयान बाजी करता है तो कोई अपनी ही पार्टी के खिलाफ साजिश होता है | हमारे देश के कई नेता मंत्री तो ऐसे हैं जो बद से हटने के बाद भी सरकारी सुविधाओं का लगातार लाभ उठाते रहते हैं और कोर्ट के आदेश के बाद भी मकान बंगले खाली नही करते |

        इसी विषय को आधार बनाते हुए मैंने प्रतिगीत लिखने की कोशिश की है | प्रतिगीत की मुख्य गीत भारती सिनेमा की फिल्मी गीत 'बहोत प्यार करते हैं तुमको सनम' की जमीन पर आधारित है | आपके मनोरंजन के लिए प्रतिगीत की प्रस्तुत है -

प्रतिगीत, बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम

बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम
कसम चाहे ले लो घोटालो की कसम
.
हारी है पार्टी चुनाव दोबारा
भूलेंगे कैसे हम ये नजारा
जितना फिर से चाहेंगे
जब तक हे दम
बहोत याद........

सरकारी मकान में मौजें हैं जीतनी
खाली करने के बाद दिक्कतें हैं उतनी
गाडी सरकारी ना
छोडेंगे हम
बहोत याद ........

बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम
कसम चाहे ले लो घोटालो की कसम

       मेरी प्रतिगीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

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