शनिवार, 27 अक्तूबर 2018

गीत , आज की रात ना आयेगी फिर से

    नमस्कार , प्रेम के प्रतीक पर्व करवाचौथ की आप को बहोत सारी शुभकामनाए | करवाचौथ का ये पर्व आप के प्यार को दोगुना बढा दे यह मेरी आप के लिए तहे दिल से मनोकामना है | प्यार के इस उत्सव के लिए मैने एक गीत लिखने कि कोशिस की है | इस उम्मीद के साथ कि ये गीत आपको पसंद आयेगा में इसे आपके साहित्यमठ के इस आंगन में रखने की हिम्मत कर रहा हूं |

गीत , आज की रात ना आयेगी फिर से

चांद की शीतल रोशनी
दो दिलों में प्यार की आग
ना लगाएगी फिर से
आज की रात ना आएगी फिर से

आज एक दिवस का तुम्हारा उपवास
उस पर तुम्हारा अटूट विश्वास
संपूर्ण आयु तुम मेरी अर्धांगिनी रहो
ये तुम्हें मेरा आशीर्वाद
तुम्हारे रूप की कामुक माया
यूं ना मुझे रिहाई की फिर से
आज की रात ना आएगी फिर से

तुमसे बस है इतना कहना
मैं तुम्हारा राम बन कर रहूंगा
तुम मेरी सीता बनकर रहना
तुमसे प्रेम है मुझको प्रिये
इतनी सी यह बात है मगर
मगर कह रहा हूं बड़ी मुश्किल से
आज की रात ना आएगी फिर से

चांद की शीतल रोशनी
दो दिलों में प्यार की आग
ना लगाएगी फिर से
आज की रात ना आएगी फिर से

     मेरी गीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

गुरुवार, 18 अक्तूबर 2018

कविता, राम की मनोकामना

   नमस्कार , विजयादशमी की आप को बहोत बहोत शुभकामनाएं | दशमी का यह दिन अधर्म पर धर्म की असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की विजय का दिन है | आज के दिन भारत और पुरी दुनिया में जहां भी हिन्दू धर्म को माना जाता है या फिर हिन्दू धर्म को मानने वाले रहते है अधर्म एवं पाप के प्रतिक रावण के पुतले का दहन किया जाता है | मगर क्या शिर्फ रावण के पुतले का दहन कर देने से हमारे भीतर की सारी बुराई सारे दोषों का नाश हो जाता है ? , नही होता ना |

कविता, राम की मनोकामना


   मेरे मन में उठे इसी विचार को आधार बनाते हुए मैने एक कविता लिखी है और मेरी ये दिली ख्वाईस थी की मै आज के दिन ये कविता आप की हाजिरी में रखुं |

राम की मनोकामना

कविता, राम की मनोकामना

मुझे भगवान मानो या मत मानो
मगर मेरी बात मानो
बुजुर्गों का सम्मान करो
वंचितों को साथ में बैठाओ
पिछड़ों के हाथ से हाथ मिलाओ
नारी हमारा गौरव है
नारियों का सम्मान करो
तनिक सा भी कष्ट न पहुंचे उन्हें
इतनी सुरक्षा प्रदान करो
ईर्ष्या , अहंकार , काम ,
क्रोध , मोह , लोभ
ये रावण के प्रतीक हैं
रावण का पुतला तत्पश्चात जलाना
सर्वप्रथम अपने मन में
रावण के इन प्रतीकों को जलाओ
धर्म चाहे जो भी मानो
सुमार्ग पर चलो
ज्ञान चाहे जो भी जानो
सदुपयोग करो
सदाचारी बनो , कल्याणकारी बनो
नायक बनो , सुखदायक बनो
पुरुषोत्तम नहीं बन सकते तो
सर्वोत्तम इंसान बनो

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

भजन , नौ दिन हर एक साल में

   नमस्कार , नवरात्रि का आज नौवां एवं अंतिम दिवस है , आज के दिन शक्ति के नौवीं रुप यानी मां दुर्गा की पुजा होती है | अपनी पिछली पोस्ट मे किये अपने वादे के अनुसार आज मैं माता रानी के चरणों में समर्पित करते हुए एक भजन आप की उपस्थिति में रख रहा हूं | मुझे उम्मीद है के आप भी मेरी तरह ही आज साम जब मां दुर्गा की पुजा करेंगे तो मेरे इस भजन को जरूर गाएंगे |

भजन , नौ दिन हर एक साल में

नौ दिन हर एक साल में
मईया रानी रहती है
अपने हर पंडाल में

पाप की है मईया विनाशक
हम हैं माता तेरे उपासक
दरस दिखा दे माता हमको
हम ना मानेंगे किसी हाल में

नौ दिन.........

सद्बुद्धि दे हमें मां भवानी
तू है सारे जग में ज्ञानी
विनती सुन लो माता मेरी
बेटा है कस्टों के जंजाल में

नौ दिन हर एक साल में
मईया रानी रहती है
अपने हर पंडाल में

    मेरी भजन के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

कविता, वो एक बड़ी अच्छी दोस्त है मेरी

    नमस्कार, सर्वप्रथम आप को नवरात्रि कि हार्दिक शुभकामनाएँ , नवरात्रि के पावन पर्व पर मै मां दुर्गा के चरणों में समर्पित एक भजन लिखने की कोशिश कर रहा हूं जिसे मैं जल्द ही आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | आज मै एक दोस्त की खास फरमाइस पर एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूं | ये जो दोस्त है मेरी बडे लम्बे अरसे से मेरी कविताओं की प्रशंसक रही हैं आप की तरह ,तो जब उन्हों ने अपने लिए एक खास कविता कि इच्छा मुझसे जाहिर की तो मै मना नही कर पाया | तो इस कविता का आप आनंद लीजिए और पढ़कर बताइए की कैसी रही |

मेरी एक बड़ी अच्छी दोस्त है

डॉली तुम जानती हो क्या उसे
वो मेरी बड़ी अच्छी दोस्त है
वो भोपाल से आती है
वह भोपाल जो अपने
सिंगार प्रियता के लिए जाना जाता है
वो भी उसी शहर से आती है
उसका वहां पैतृक निवास है या नहीं
मुझे नहीं मालूम
कॉलेज में आते ही
वापस जाने के लिए फिक्रमंद रहती है
इंटरनेट पर बार-बार
भोपाल वापसी की ट्रेन सर्च करती रहती है
और तुम्हें मालूम है
बहुत चंचल है
बड़ी सादा दिल की लड़की है
प्रोफेसरों से बड़ी मासूमियत से
ऐसे प्रश्नों को भी बेझिझक पूछ लेती है
जिन्हें में दस बार सोचकर भी नहीं पूछ पाता
हाल ही में उसे
भारत की एक प्रमुख तकनीकी कंपनी ने
नौकरी दी है
या यूं कहूं तो कंपनी वालों ने
जिज्ञासाओं से भरी एक मासूम तितली को
नौकरी पर रख लिया है
जो अपने रंग बिरंगे पंखों को फैलाए
कामयाबी के आसमान में उड़ती रहेगी
और हजारो रंग बिखेरती रहेगी



    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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